
Diwali Abhyanga Snan 2025: दिवाली का त्योहार केवल रोशनी और मिठाइयों का नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और शारीरिक शुद्धि का भी पर्व है। दिवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली होती है, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है और इसका विशेष महत्व है। इस दिन तड़के उठकर किया जाने वाला अभ्यंग स्नान (When to do abhyang Snan) सिर्फ एक धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि आयुर्वेद में वर्णित एक गहराई भरा स्वास्थ्य अनुष्ठान है। आयुर्वेद में अभ्यंग का अर्थ है पूरे शरीर पर तेल से मालिश करना। यह न केवल त्वचा को चमकदार बनाता है, बल्कि ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है, नींद सुधारता है और शरीर से विषैले तत्वों यानी टॉक्सिंस को बाहर निकालता है। छोटी दिवाली पर किया गया यह स्नान एक तरह से डिटॉक्स रिचुअल है जो सर्दियों की शुरुआत में शरीर को भीतर से मजबूत करने का काम करता है। इस लेख में सिरसा के रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, छोटी दिवाली पर अभ्यंग स्नान कैसे करें और इसके क्या-क्या फायदे हैं?
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छोटी दिवाली पर अभ्यंग स्नान - Abhyanga Snan On Diwali
दीपावली से एक दिन पहले आने वाली छोटी दिवाली के दिन प्राचीन परंपरा (chhoti diwali ritual) के अनुसार अभ्यंग स्नान किया जाता है। आयुर्वेद में अभ्यंग को शरीर की शुद्धि और मानसिक शांति के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है। यह केवल धार्मिक रीति नहीं, बल्कि शरीर और मन को संतुलित करने का एक उपाय भी है। आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि अभ्यंग यानी शरीर पर तेल से मालिश (What is the Abhyang Snan ritual) करना। यह क्रिया शरीर में बढ़ी हुई व्यान वायु को शांत करती है और शीत ऋतु में शरीर की रक्षा करती है।
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अभ्यंग क्या है? - What Is Abhyanga Snan
डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार, जब शरीर में व्यान वायु बढ़ जाती है, तो व्यक्ति को बेचैनी, थकान, स्किन की ड्राईनेस और मांसपेशियों में जकड़न जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इस अवस्था को संतुलित करने के लिए अभ्यंग (तेल मालिश) की जाती है। विशेषकर ठंड के मौसम में जब शीत वायु बढ़ती है, तो शरीर की रूक्षता बढ़ जाती है। ऐसे में अभ्यंग करने से स्किन को नमी मिलती है, मसल्स को ताकत मिलती है और रक्त संचार बेहतर होता है।
आयुर्वेद में यह माना गया है कि तेल त्वचा से अवशोषित (absorb) होता है और इससे न केवल त्वचा को पोषण मिलता है बल्कि यह शरीर के भीतर तक जाकर धातुओं को मजबूत बनाता है। तिल का तेल आयुर्वेद में वात शामक और वाजीकर माना गया है, यानी यह वात दोष को शांत करता है और एजिंग को धीमा करता है।
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छोटी दिवाली पर अभ्यंग स्नान क्यों किया जाता है? - Why do we take an oil bath on Deepavali
छोटी दिवाली पर अभ्यंग स्नान का संबंध केवल धार्मिक मान्यता से नहीं बल्कि शरीर की शुद्धि और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने से भी है। यह दिन शरीर, मन और आत्मा की पवित्रता का प्रतीक माना गया है। आयुर्वेद में कहा गया है कि जब व्यक्ति तिल के तेल से शरीर की मालिश करता है, तो शरीर से विषैले तत्व (toxins) बाहर निकलते हैं और यह डिटॉक्सिफिकेशन की प्रक्रिया को सक्रिय करता है।
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अभ्यंग स्नान के फायदे - Abhyanga snan ke fayde
1. वात दोष का संतुलन
तिल या सरसों के तेल से की गई मालिश शरीर में वात दोष को संतुलित करती है, जिससे जोड़ दर्द, स्किन ड्राईनेस और थकान से राहत मिलती है।
2. त्वचा की नमी और चमक
नियमित अभ्यंग से त्वचा में प्राकृतिक नमी बनी रहती है और यह भीतर से पोषित होती है।
3. ब्लड सर्कुलेशन में सुधार
तेल मालिश से ब्लड वैसेल्स एक्टिव होती हैं और शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है।
4. मांसपेशियों और हड्डियों की मजबूती
अभ्यंग से मसल्स को स्ट्रेंथ मिलती है और हड्डियां मजबूत होती हैं। यह खासकर वृद्ध लोगों के लिए लाभकारी है।
5. तनाव और अनिद्रा से राहत
सिर और पैरों की मालिश करने से मन शांत होता है, नर्वस सिस्टम रिलैक्स होता है और नींद की क्वालिटी सुधरती है।
5. एजिंग की प्रक्रिया को धीमा करे
तिल का तेल वाजीकर माना गया है, जो त्वचा की झुर्रियों को कम करता है और एंटी-एजिंग प्रभाव देता है।

अभ्यंग स्नान करने का सही तरीका - How To Do Abhyanga Snan
आयुर्वेद के अनुसार अभ्यंग स्नान सुबह सूर्योदय से पहले करना सर्वोत्तम माना गया है और इसके लिए तिल का तेल सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि यह वात दोष को संतुलित करता है। तेल को हल्का गुनगुना करें, क्योंकि गुनगुना तेल त्वचा में आसानी से अवशोषित होता है। इसे हथेलियों में लेकर पूरे शरीर पर धीरे-धीरे मलें। अभ्यंग हमेशा सिर से शुरू करें। सिर की मालिश करने से मानसिक तनाव दूर होता है और नींद बेहतर होती है। तेल को 10-15 मिनट तक शरीर पर लगा रहने दें ताकि यह त्वचा के अंदर तक समा सके।
निष्कर्ष
छोटी दिवाली पर किया जाने वाला अभ्यंग स्नान केवल परंपरा नहीं बल्कि आयुर्वेदिक विज्ञान से जुड़ी हुई एक संपूर्ण शारीरिक और मानसिक थेरेपी है। यह शरीर को अंदर से डिटॉक्स करता है, स्किन को निखारता है और मन को शांति देता है। इसलिए इस छोटी दिवाली, आप भी सुबह-सुबह अभ्यंग स्नान करें और अपने शरीर स्वस्थ रखें।
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FAQ
छोटी दिवाली पर अभ्यंग स्नान क्यों किया जाता है?
छोटी दिवाली पर अभ्यंग स्नान इसलिए किया जाता है ताकि शरीर और मन की शुद्धि हो सके।अभ्यंग स्नान करने का सही समय क्या है?
आयुर्वेद के अनुसार अभ्यंग स्नान ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे) के बीच करना शुभ माना गया है। इस समय स्नान करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।अभ्यंग स्नान के लिए कौन सा तेल सबसे अच्छा होता है?
सर्दी या वात दोष वालों के लिए तिल का तेल और गर्मी या पित्त दोष वालों के लिए नारियल तेल लाभकारी होता है।
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Oct 17, 2025 16:27 IST
Modified By : Akanksha TiwariOct 15, 2025 12:42 IST
Modified By : Akanksha TiwariOct 15, 2025 12:42 IST
Published By : Akanksha Tiwari