डेंगू एक ऐसी बीमारी हैं जो एडीज इजिप्टी मच्छरों के काटने से होता है। इस रोग में तेज बुखार के साथ शरीर पर चकत्ते बनने शुरू हो जाते हैं। जहां यह महामारी के रूप मे फैलता है वहां एक समय में अनेक प्रकार के विषाणु सक्रिय हो सकते है। डेंगू बुखार बहुत ही दर्दनाक और अक्षम कर देने वाली बीमारी है। इसमें मरीज के शरीर में दर्द बहुत ज्यादा होता है, इसलिए इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। बरसात के मौसम में यह बीमारी आम हो जाती है, क्यों कि इस मौसम गंदगी की वजह से महामारी फैलने की समस्या ज्यादा रहती है। विषाणु जनित इस रोग को एंटीबायोटिक दवाइयों से ठीक नहीं किया जा सकता है।
डेंगू वायरस चार भिन्न-भिन्न प्रकारों के होते हैं। यदि किसी व्यक्ति को इनमें से किसी एक प्रकार के वायरस का संक्रमण हो जाये तो आमतौर पर उसके पूरे जीवन में वह उस प्रकार के डेंगू वायरस से सुरक्षित रहता है। हालांकि बाकी के तीन प्रकारों से वह कुछ समय के लिये ही सुरक्षित रहता है। यदि उसको इन तीन में से किसी एक प्रकार के वायरस से संक्रमण हो तो उसे गंभीर समस्याएं होने की संभावना काफी अधिक होती है। डेंगू आमतौर पर डेन1, डेन2, डेन3 और डेन4 सरोटाइप का होता है। 1 और 3 सरोटाइप के मुकाबले 2 और 4 सेरोटाइप कम खतरनाक होता है। टाइप 4 डेंगू के लक्ष्णों में शॉक के साथ बुखार और प्लेट्लेट्स में कमी, जबकि टाइप 2 में प्लेट्लेट्स में तीव्र कमी, हाईमोरहैगिक बुखार, अंगों में शिथिलता और डेंगू शॉक सिंडरोम प्रमुख लक्षण हैं। डेंगू की हर किस्म में हीमोरहैगिक बुखार होने का खतरा रहता है, लेकिन टाइप 4 में टाइप 2 के मुकाबले इसकी संभावना कम होती है। डेंगू 2 के वायरस में गंभीर डेंगू होने का खतरा रहता है।
डेंगू में प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत है या नहीं इसके बारे में भी डॉक्टर्स ही बताते है लेकिन यह सब जानकारी डॉक्टर्स मरीज की रक्त जांच के बाद ही बता सकते है। डेंगू के कई प्रकारों को देखते हुए डॉक्टर संक्रमित व्यक्ति के लक्षणों के आधार पर ही रक्त जांच की सलाह देते है। डेंगू की पहचान के लिए रक्त जांच अनिवार्य होती है। आमतौर पर सिवियर और साधारण मलेरिया जांच के लिए रैपिड टेस्ट जांच को जरूरी बताया गया है, जिसमें रक्त में फैलसिपेरम प्लाज्मोडियम की उपस्थिति को आरबीसी के आधार पर गिना जाता है। इसके अलावा रीयल टाइम पीसीआर (पॉलीमरेज चेन रिएक्शन) टेस्ट से भी डेंगू की जांच की जाती है। वर्तमान में डेंगू जांच के लिए रेपिड डाइग्नोस्टिक किट का भी इस्तेकमाल किया जाता है। हेमेगुलीटिनीशन इनहीबिशन टेस्ट तथा एलीसा सेरोलोजिकल टेस्ट से भी डेंगू विषाणुओं की पहचान की जा सकती है। इनमें एलीसा टेस्ट कम खर्चीला, करने में आसान तथा तुरंत परिणाम देने वाला होता है।