How Do HIV Affect Skin In Hindi: एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस। यह एक तरह का वायरस होता है, जो बॉडी की इम्यून सिस्टम को अटैक करता है। इससे शरीर में इंफ्लेमेशन होने लगती है और कई ऑर्गन भी नष्ट होने लगते हैं। यह जानलेवा और बहुत गंभीर बीमारी है। एचआईवी के मरीजों को अपनी सेहत का बहुत ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है। छोटी-छोटी बीमारी जैसे सर्दी-जुकाम या खांसी को लेकर भी ये लोग लापरवाही नहीं कर सकते हैं। एचआईवी के मरीजों को कई तरह की बीमारियों का जोखिम हर समय बना रहता है, जैसे संक्रमण, कैंसर, न्यूरोलॉजिकल कंडीशंस आदि। तो क्या एचआईवी मरीजों की स्किन को भी प्रभावित कर सकती है? आखिर एचआईवी का त्वचा पर क्या प्रभाव पड़ता है? आइए? जानते हैं राजौरी गार्डन स्थित कॉस्मेटिक स्किन क्लिनिक की कॉस्मेटोलॉजिस्ट और त्वचा रोग विशेषज्ञ, डॉ. करुणा मल्होत्रा से।
क्या एचआईवी से स्किन प्रभावित होती है?- How Can HIV Affect Skin In Hindi
जैसा कि आपको यह जानकारी है कि एचआईवी एक ऐसा वायरस है, जो बॉडी के हेल्दी सेल्स को अटैक करता है। एचआईवी के मरीजों की इम्यूनिटी बहुत कमजोर होती है। इसका उनकी ओवर ऑल हेल्थ पर बहुत बुरा असर पड़ता है। स्किन पर भी इसका असर नजर आता है। विशेषज्ञों की मानें, तो एचआईवी के कारण कई तरह की स्किन कंडीशंस हो सकती हैं, जैसे रैशेज, स्किन इंफेक्शन, हर्पीस आदि। कभी-कभी यह सिर्फ वायरस का असर नहीं होता है, बल्कि एचआईवी होने पर जो दवाईयां ली जाती हैं, उसकी वजह से भी ऐसा होता है। दवाएं रैशेज को ट्रिगर कर सकती है। यहां तक कि एचआईवी के मरीजों में सोरायसिस जैसी कंडीशनंस और ज्यादा बिगड़ जाती हैं।
इसे भी पढ़ें: एड्स होने के 4-5 साल बाद दिख सकते हैं ये लक्षण, डॉक्टर से जानें बचाव के टिप्स
एचआईवी में किस तरह की स्किन प्रॉब्लम हो सकती है
सेल्युलाइटिसः यह एक तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो कि स्किन और उसके नीचे के ऊतकों यानी टिश्यूज में फैलता है। ऐसे में स्किन में दर्द, सूजन, रेडनेस आदि समस्या हो सकती है।
कैंडिडिआसिसः एचआईवी के मरीजों में कैंडिडिआसिस जैसी स्किन प्रॉबलम भी देखने को मिलती है। कैंडिडिआसिस, फंगल इंफेक्शन है। इस तरह की परेशानी होने पर मरीज को त्वचा में खुजली, रेडनेस और सूजन हो सकती है।
इसे भी पढ़ें : बिना किसी अलग इलाज के खुद से ठीक हुई HIV पॉजिटिव महिला, डॉक्टर्स ने किया दावा
रैशेजः विशेषज्ञों के अनुसार, रैशेज एचआईवी के शुरुआती लक्षणों में से एक होता है। अगर किसी व्यक्ति के रैशेज लंबे समय तक ठीक न हो और तमाम तरह से मैनेज करने के बावजूद रैशेज में सुधार न हो, तो इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। ये रैशेज न सिर्फ दर्द भरे होते हैं, इसमें खुजली और पस भी भर जाता है।
वॉर्ट्सः एचआईवी के मरीजों में वॉर्ट्स होने का रिस्क भी अन्य लोगों की तुलना में अधिक होता है। खासकर, नाखूनों, मुंह और जेनिटल एरिया के आसपास। अगर कोई व्यक्ति उक्त हिस्सों में वॉर्ट्स महसूस करे, तो बेहतर है कि डॉक्टर से संपर्क कर अपनी जांच करवाएं।