आयुर्वेद के अनुसार, मौसम का असर हमारे शरीर के दोषों पर पड़ता है, जिससे शरीर के प्राकृतिक संतुलन में बदलाव आ सकता है। इस मौसम का हमारे शरीर और स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है, अगर इस समय सही देखभाल नहीं की जाए, तो सर्दी-जुकाम, बुखार, त्वचा की समस्याएं और पाचन विकार जैसी समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है। आयुर्वेद में अभ्यंग (तेल मालिश) एक प्रमुख उपचार पद्धति है जो शरीर की ऊर्जा को संतुलित करती है और इसे प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करती है। आयुर्वेदाचार्य के अनुसार, नियमित रूप से अभ्यंग करने से शरीर को कई लाभ मिलते हैं। इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, बदलते मौसम में अभ्यंग शरीर के लिए कितना लाभदायक होता है।
बदलते मौसम में अभ्यंग के फायदे
1. इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक
बदलते मौसम में रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है, जिससे सर्दी, खांसी और बुखार जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। अभ्यंग के दौरान उपयोग किए गए औषधीय तेलों में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। अभ्यंग शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है और शरीर को रोगों से लड़ने के लिए तैयार करता है।
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2. त्वचा को मिले पोषण
अभ्यंग न केवल शरीर को भीतर से मजबूत करता है, बल्कि त्वचा को भी पोषण प्रदान करता है। बदलते मौसम में त्वचा रूखी, फटी और संवेदनशील हो सकती है। अभ्यंग में उपयोग किए जाने वाले तेल जैसे कि तिल का तेल, नारियल का तेल या बादाम का तेल, त्वचा को गहराई से पोषण देते हैं। ये तेल त्वचा को मॉइश्चराइज करते हैं, त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाते हैं और त्वचा को ग्लोइंग बनाते हैं।
3. रक्त संचार में सुधार
अभ्यंग से शरीर के विभिन्न अंगों में रक्त संचार बेहतर होता है। नियमित रूप से अभ्यंग करने से रक्त प्रवाह बेहतर होता है, जिससे ऑक्सीजन और पोषक तत्व शरीर के विभिन्न हिस्सों तक बेहतर ढंग से पहुंचते हैं। बेहतर रक्त संचार से शरीर की ऊर्जा बनी रहती है और थकान कम होती है।
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4. शरीर और जोड़ों के दर्द में राहत
बदलते मौसम में अक्सर लोगों को शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द और जोड़ों में अकड़न महसूस होती है। अभ्यंग से इन समस्याओं से राहत मिलती है। अभ्यंग में इस्तेमाल किए गए तेल सूजन को कम करने में मदद करते हैं और मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द को दूर करते हैं। विशेष रूप से बुजुर्ग लोगों के लिए, अभ्यंग जोड़ों के दर्द में आराम प्रदान करता है।
5. दोषों का संतुलन
आयुर्वेद के अनुसार, हमारे शरीर में तीन दोष होते हैं - वात, पित्त, और कफ। जब ये दोष असंतुलित होते हैं, तब हमें विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अभ्यंग दोषों को संतुलित करने में मदद करता है। वात दोष को संतुलित करने के लिए अभ्यंग विशेष रूप से उपयोगी है, क्योंकि यह शरीर को शांत करता है और नसों को आराम देता है।
निष्कर्ष
बदलते मौसम में अभ्यंग एक सरल लेकिन प्रभावी तरीका है, जो न केवल शरीर की देखभाल करता है, बल्कि उसे भीतर से मजबूत बनाता है। इससे हमारी त्वचा, मांसपेशियों और जोड़ों को पोषण मिलता है। प्रतिदिन या सप्ताह में दो से तीन बार अभ्यंग करने से आप इन सभी स्वास्थ्य लाभों का अनुभव कर सकते हैं।
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