साल की हर ऋतु का शरीर और मन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। जब मौसम बदलता है, तो हमारे शरीर में तीनों दोष वात, पित्त और कफ अपने-अपने समय पर बढ़ते या घटते हैं। यदि इन दोषों में असंतुलन हो जाए, तो यही छोटी-छोटी गड़बड़ियां आगे चलकर बीमारियों का कारण बनती हैं। वर्षा ऋतु के बाद अब शरद ऋतु की शुरुआत हो चुकी है, इस समय दिन हल्के गर्म और रातें ठंडी होने लगती हैं। शरद ऋतु में अगर शरीर के दोष के अनुसार बदलाव न किए जाएं तो कई समस्याएं हो सकती हैं। इस लेख में मेवाड़ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एवं प्राकृतिक चिकित्सालय बापू नगर, जयपुर की वरिष्ठ चिकित्सक योग, प्राकृतिक चिकित्सा पोषण और आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. किरण गुप्ता (Dr. Kiran Gupta, Yoga, Naturopathy, Nutrition and Ayurveda Specialist, Professor at Mewar University and Senior Physician at Naturopathy Hospital, Bapunagar, Jaipur) से जानिए, शरद ऋतु में कौन-सा दोष बढ़ता है और उसे कैसे संतुलित करें?
शरद ऋतु में कौन-सा दोष बढ़ता है? - Which Dosha Increased In Sharad Ritu
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. किरण गुप्ता बताती हैं कि शरद ऋतु में पित्त दोष बढ़ता है, पित्त दोष के बढ़ने के पीछे मुख्य कारण है मौसम और आंतरिक तापमान में असंतुलन। जब पित्त दोष बढ़ता है, तो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है, बल्कि मानसिक स्थिति भी प्रभावित होती है। लोग जल्दी गुस्सा, बेचैनी और तनाव महसूस करने लगते हैं। इसलिए इस ऋतु में शरीर और मन का संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है।
आयुर्वेद में इसके लिए कई सरल और प्राकृतिक उपाय बताए गए हैं। सही डाइट, पर्याप्त नींद, प्राणायाम और ध्यान जैसी आदतें पित्त कंट्रोल करने में मदद करती हैं। साथ ही चांदनी स्नान (Moon Bathing) को भी पित्त दोष को शांत करने वाला अद्भुत उपाय माना गया है। रात में चांद की ठंडी रोशनी में कुछ मिनट बैठने या टहलने से शरीर को ठंडक मिलती है, मन शांत होता है और डाइजेशन सही रहता है।
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पित्त दोष संतुलित करने के लिए क्या करें? - How to Balance Pitta Dosha
- पित्त को शांत करने के लिए ऐसे भोजन का सेवन करें जो शरीर को ठंडक और शांति दे। नारियल पानी, दूध, मूंग की दाल, चावल, घी और मीठे फलों का सेवन करें। वहीं तीखा, खट्टा, नमकीन और तला-भुना भोजन। लाल मिर्च, सिरका, प्याज और लहसुन कम खाएं।
- नींबू पानी, गुलाब शरबत या नारियल पानी जैसे पेय पदार्थ शरीर की गर्मी घटाते हैं और पित्त को शांत करते हैं।
- आयुर्वेद में शरद ऋतु के लिए चांदनी स्नान (moon bathing) को बेहद लाभकारी बताया गया है। रोजाना रात में 10 मिनट तक चांद की ठंडी रोशनी में बैठना शरीर को ठंडक देता है और मन को शांत करता है। इससे पित्त दोष प्राकृतिक रूप से संतुलित होता है।
- तेल से सिर और पैरों की हल्की मालिश करें। यह शरीर की गर्मी कम करता है, नींद में सुधार लाता है और मानसिक तनाव घटाता है।
- गुस्सा और तनाव पित्त को बढ़ाते हैं। सुबह या शाम 15 मिनट तक ध्यान, अनुलोम-विलोम और प्राणायाम करने से शरीर में ठंडक बनी रहती है और मन स्थिर होता है।
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निष्कर्ष
शरद ऋतु अपने साथ सुंदर मौसम और ठंडी हवाएं लाती है, लेकिन यही समय शरीर के भीतर पित्त दोष के बढ़ने का भी होता है। यदि आप अपने खानपान और दिनचर्या में थोड़े से आयुर्वेदिक बदलाव करें, तो इस ऋतु का पूरा आनंद लेते हुए खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। इसलिए, शरद ऋतु में बैलेंस डाइट, सही डेली रूटीन और शांत मन के साथ चलना ही पित्त दोष को कंट्रोल रखने का सबसे सरल उपाय है।
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Oct 06, 2025 17:48 IST
Published By : Akanksha Tiwari