गर्मियों के मौसम में पित्त प्रकृति वालों को अपनी डाइट और लाइफस्टाइल को लेकर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार, गर्मियों का मौसम पित्त को प्रबल करने वाला होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि पित्त अग्नि तत्व से जुड़ा हुआ होता है और जब वातावरण में गर्मी बढ़ती है तो शरीर में पित्त भी बढ़ने लगता है। इसका असर हमारे पाचन, त्वचा, मानसिक स्थिति और एनर्जी लेवल पर पड़ता है। पित्त के बढ़ने से भूख में कमी, बदहजमी, एसिडिटी, अत्यधिक प्यास लगना, चिड़चिड़ापन और त्वचा में जलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में पित्त दोष से पीड़ित लोगों को न सिर्फ अपने खानपान पर ध्यान देना चाहिए, बल्कि यह भी जानना चाहिए कि कौन-से आटे की रोटी उनके लिए फायदेमंद होगी। क्योंकि जो हम खाते हैं, उसका सीधा असर हमारे दोषों पर पड़ता है। इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, पित्त प्रकृति वालों को कौन से आटे की रोटी खानी चाहिए?
पित्त प्रकृति वालों को कौन से आटे की रोटी खानी चाहिए? - Which Flour Is Good For Pitta
आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार, गर्मियों में शरीर की पाचन शक्ति यानी अग्नि मंद हो जाती है। इस स्थिति में भारी, चिकनाई वाली और गर्म तासीर की चीजें खाने से पाचन तंत्र पर असर पड़ता है और पित्त और अधिक बढ़ जाता है। इसलिए इस मौसम में ऐसे अनाज का सेवन करना चाहिए जो लघु (हल्का) और ठंडी तासीर वाला हो। डॉ. श्रेय बताते हैं कि गर्मियों में पित्त दोष वाले लोगों को जौ (Barley) के आटे की बनी रोटी ही खानी चाहिए। जौ की तासीर ठंडी मानी जाती है और यह बहुत ही लघु और पचने में आसान होता है। जौ न सिर्फ शरीर को ठंडक देता है, बल्कि यह पाचन में भी सुधार करता है और पित्त को संतुलित करता है।
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मोटे और पित्त वाले लोगों के लिए शुद्ध जौ
अगर किसी व्यक्ति का शरीर मोटा है और उसमें पित्त दोष भी है, तो उसे गर्मियों में सिर्फ जौ के आटे की रोटी ही खानी चाहिए। इसका सेवन करने से शरीर की चयापचय क्रिया सुधरती है, फैट कम होता है और पित्त शांत होता है। जौ में फाइबर की मात्रा भी अधिक होती है, जो पेट को भरा रखने में मदद करता है और बार-बार भूख लगने से रोकता है।
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दुबले-पतले लोगों के लिए जौ-गेहूं का मिश्रण
यदि किसी व्यक्ति में पित्त की समस्या है लेकिन उसका शरीर दुबला-पतला है, तो उसे शुद्ध जौ के आटे से बनी रोटी नहीं खानी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि जौ रूक्ष (सूखा) होता है और शरीर को अधिक रूखा बना सकता है। ऐसे में डॉक्टर श्रेय की सलाह है कि इस स्थिति में 70 प्रतिशत जौ और 30 प्रतिशत गेहूं के मिश्रण से रोटी बनानी चाहिए। गेहूं शरीर में थोड़ी चिकनाई लाता है, जिससे संतुलन बना रहता है।
निष्कर्ष
गर्मी में पित्त दोष को कंट्रोल रखना जरूरी है। आयुर्वेद के अनुसार, पित्त प्रकृति वालों को अनाज का चयन बहुत सोच-समझकर करना चाहिए। ऐसे में जौ का आटा एक बेहतरीन विकल्प है, जो शरीर को ठंडक देता है और पाचन को मजबूत करता है। लेकिन शरीर की प्रकृति के अनुसार इसका संतुलित उपयोग ही लाभकारी होता है।
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