Doctor Verified

आयुर्वेद के अनुसार अलग-अलग रोटियों के हैं अनेक फायदे, जानें कौन सी रोटी किसके लिए है बेहतर

सेहतमंद रहने के लिए लोगो को अलग-अलग अनाजों से बनी रोटियों का सेवन मौसम और शरीर की प्रकृति के अनुसार करना चाहिए। यहां जानिए, आयुर्वेद के अनुसार अलग-अलग रोटियों के फायदे।
  • SHARE
  • FOLLOW
आयुर्वेद के अनुसार अलग-अलग रोटियों के हैं अनेक फायदे, जानें कौन सी रोटी किसके लिए है बेहतर


भारतीय खान-पान में रोटी का एक अलग स्थान है। यह न केवल भोजन का एक प्रमुख हिस्सा है, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद लाभकारी होती है। आयुर्वेद के अनुसार, विभिन्न प्रकार की रोटियों का सेवन हमारी सेहत पर गहरा असर डाल सकता है, खासकर जब हम इसे अपने शरीर की प्रकृति और मौसम के अनुसार चुनते हैं। भारत में कई प्रकार के अनाजों का उपयोग करके रोटियां बनाई जाती हैं, जैसे गेहूं, जौ, चना, बाजरा और रागी। प्रत्येक अनाज की अपनी खासियत और गुण होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, गेहूं की रोटी पित्त और वात को संतुलित करती है, जबकि जौ की रोटी ठंडक प्रदान करती है। इस लेख में आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा से जानिए, कौन-सी रोटी किसके लिए फायदेमंद है और किस समय इसे खाना बेहतर होता है।

आयुर्वेद के अनुसार रोटी के प्रकार और उनके फायदे

1. गेहूं की रोटी के फायदे और गुण

गेहूं की रोटी हमारे भोजन का प्रमुख हिस्सा है। यह पौष्टिक होती है लेकिन पाचन में हल्की भारी होती है। यह रोटी वात और पित्त दोष को संतुलित करने में सहायक मानी जाती है। इसका सेवन उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनके शरीर में वात और पित्त असंतुलन होता है। यह रोटी दिन में एक बार मुख्य भोजन में शामिल की जा सकती है। लेकिन इसे रात में कम मात्रा में ही खाना चाहिए ताकि पाचन में कोई समस्या न हो।

इसे भी पढ़ें: इंटरमिटेंट फास्टिंग में रोटी खानी चाह‍िए या नहीं? एक्‍सपर्ट से जानें 

wheat roti

2. जौ की रोटी के फायदे

जौ की रोटी को आयुर्वेद में ठंडा माना जाता है। यह पाचन तंत्र को बेहतर बनाने और कब्ज की समस्या को दूर करने में सहायक होती है। जौ की तासीर ठंडी होती है, जो शरीर को ठंडक प्रदान करती है। यह पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करती है और लाइफस्टाइल से संबंधित बीमारियों को दूर रखने में सहायक होती है। जौ की रोटी को गर्मियों में अधिक लाभकारी माना जाता है। इसे भोजन में शामिल करने से शरीर में ठंडक बनी रहती है और पाचन भी अच्छा होता है।

3. चना या बेसन की रोटी के फायदे

चना और बेसन की रोटी को ठंडा और शुष्क माना जाता है। यह कफ और पित्त को शांत करने में सहायक होती है और तैलीय त्वचा तथा मुंहासों से राहत प्रदान करती है। चना या बेसन की रोटी कफ और पित्त के दोषों को संतुलित करती है और खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिन्हें त्वचा से संबंधित समस्याएं होती हैं जैसे कि मुंहासे आदि। चना या बेसन की रोटी को दोपहर के भोजन में शामिल करना सबसे अच्छा होता है।

इसे भी पढ़ें: प्रोटीन से भरपूर होते हैं ये 5 तरह के आटे, खाने से सेहत को मिलते हैं कई फायदे

4. सत्तू या आलू से भरी हुई रोटी

सत्तू, आलू या किसी भी प्रकार की भरी हुई रोटी का स्वाद बहुत ही लाजवाब होता है, लेकिन ये पाचन में भारी होती हैं। सत्तू या आलू भरी रोटी पित्त को संतुलित करती है और शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाती है। यह पाचन तंत्र पर भारी प्रभाव डालती है, इसलिए इसे दिन के समय ही खाना चाहिए। इन रोटियों को दोपहर के समय में खाना बेहतर होता है। इसे सीमित मात्रा में खाने से पाचन सही रहता है और वजन बढ़ने का खतरा भी कम होता है।

निष्कर्ष

अलग-अलग प्रकार की रोटियों का आयुर्वेदिक गुणों के आधार पर चयन करना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। आयुर्वेदाचार्य श्रेय शर्मा के अनुसार, हमें मौसम और शरीर की जरूरतों के अनुसार रोटियों का चयन करना चाहिए। सर्दियों में अपने पाचन और शरीर की ऊर्जा बनाए रखने के लिए दिन में एक बार पचने में हल्की रोटियों का सेवन करें। साथ ही, इसे घी के साथ खाने से इसके पौष्टिक गुण और भी बढ़ जाते हैं।

All Images Credit- Freepik

Read Next

प्रजनन क्षमता में सुधार करने के लिए फॉलो करें ये 5 आयुर्वेदिक डाइट टिप्स, नहीं होगी कोई समस्या

Disclaimer