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गर्मियों में पित्त बढ़ने से क्या-क्या परेशानी होती है? आयुर्वेदाचार्य से जानें

गर्मी का मौसम आते ही शरीर में कई बदलाव महसूस होते हैं। यहां जानिए, गर्मियों में पित्त बढ़ने से क्या-क्या परेशानी होती है?
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गर्मियों में पित्त बढ़ने से क्या-क्या परेशानी होती है? आयुर्वेदाचार्य से जानें


गर्मी का मौसम जहां आम और छुट्टियों की सौगात लाता है, वहीं यह शरीर में कुछ असंतुलन भी पैदा कर सकता है। इन्हीं में से एक है पित्त दोष का बढ़ जाना, जो आयुर्वेद के अनुसार गर्मियों में बहुत आम समस्या है। आयुर्वेदिक मान्यता के अनुसार, शरीर में तीन प्रमुख दोष होते हैं, वात, पित्त और कफ इनमें से पित्त दोष अग्नि तत्व से जुड़ा होता है जो पाचन, तापमान कंट्रोल और एनर्जी बैलेंस का कार्य करता है। गर्मी के मौसम में वातावरण में बढ़ी हुई गर्मी का सीधा असर हमारे शरीर की अंदरूनी गर्मी यानी पित्त पर पड़ता है। जब पित्त अधिक मात्रा में बढ़ जाता है, तो इसका असर हमारे पाचन तंत्र से लेकर त्वचा, मानसिक स्थिति और शरीर के एनर्जी लेवल तक पर दिखने लगता है। इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, गर्मियों में पित्त बढ़ने से क्या-क्या परेशानी होती है?

गर्मियों में पित्त बढ़ने से क्या-क्या परेशानी होती है? - What Happens If Pitta Is High In Summer

डॉ. श्रेय बताते हैं कि जब गर्मी के कारण शरीर में पित्त बढ़ता है, तो पेट में स्थित पित्त (कोष्ठाश्रित पित्त) शरीर की बाहरी अंगों जैसे कि बाजुओं और पैरों (शाखाश्रित भाग) की ओर चला जाता है। इसका प्रभाव यह होता है कि शरीर की भूख कम हो जाती है, लेकिन प्यास अधिक लगने लगती है। पित्त के असंतुलन का एक प्रमुख लक्षण है “दाह” यानी शरीर में जलन की अनुभूति। पेट, सीना, आंखों या त्वचा में गर्माहट या जलन महसूस होती है। इस अवस्था में शरीर की पाचन अग्नि कमजोर (अग्निमंद) हो जाती है, जिससे भोजन का पाचन ठीक से नहीं हो पाता। परिणामस्वरूप, अपच, गैस, भूख न लगना और थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

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जब पित्त दोष शरीर के ऊपरी हिस्सों की ओर बढ़ता है, तो यह शरीर में ऊष्मा पैदा करता है। इससे प्यास की तीव्रता बढ़ जाती है। लोग दिनभर पानी पीते रहते हैं, लेकिन फिर भी तृप्ति नहीं मिलती। ऐसा इसलिए, क्योंकि असली समस्या शरीर के अंदर की गर्मी की होती है, जिसे शांत करना जरूरी होता है।

What happens if Pitta is high in summer

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गर्मी में पित्त को शांत करता है आम

आयुर्वेद के अनुसार, आम सिर्फ स्वाद में मीठा नहीं है बल्कि इसमें पित्त को संतुलित करने की क्षमता होती है। आम शरीर के शाखाश्रित पित्त को वापस पेट (कोष्ठ) में लाने का काम करता है, जिससे पाचन शक्ति फिर से जाग्रत होती है और शरीर का संतुलन बना रहता है।

पित्त संतुलन के लिए क्या करें?

  • ठंडी तासीर वाली चीजें खाएं, जैसे खीरा, खरबूजा, तरबूज, नारियल पानी, सौंफ का शरबत और बेल आदि।
  • गर्म, तीखा और ऑयली खाना पित्त को और भड़काता है।
  • दोपहर के समय धूप से बचें, सीधी धूप शरीर में पित्त बढ़ा सकती है।
  • दिनभर में थोड़ा-थोड़ा करके पानी पिएं, एक साथ बहुत अधिक पानी पीना पाचन पर असर डालता है।

निष्कर्ष

गर्मियों में पित्त का बढ़ना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन अगर इसे समय पर संतुलित न किया जाए तो यह शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। आयुर्वेद हमें यह सिखाता है कि कैसे मौसम के अनुसार अपने शरीर और खान-पान को ढालकर हम अपने दोषों को संतुलित रख सकते हैं। पित्त को शांत करने के लिए ठंडी तासीर वाली चीजें और बैलेंस लाइफस्टाइल ही सबसे बड़ा उपाय है।

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