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शरीर के दोषों के कारण हो सकती है पाचन की परेशानियां, आयुर्वेदाचार्य से जानें बचाव का तरीका

Digestion and Doshas How Ayurveda Helps You Heal form With this: आयुर्वेदाचार्य का कहना है कि शरीर में वात, पित्त और कफ दोषों का संतुलन बिगड़ जाता है, तो पाचन से जुड़ी परेशानी होती है।
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शरीर के दोषों के कारण हो सकती है पाचन की परेशानियां, आयुर्वेदाचार्य से जानें बचाव का तरीका


Digestion and Doshas How Ayurveda Helps You Heal from With this: आजकल पाचन से जुड़ी परेशानी आम बात होती जा रही है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में तीन प्रमुख दोष होते हैं- वात, पित्त और कफ। जब इन दोषों का संतुलन बिगड़ता है, तो शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारियां होती है। पाचन से जुड़ी परेशानियां जैसे गेट, ब्लोटिंग, पेट में दर्द और एसिडिटी की समस्या भी इन्हीं दोषों के असंतुलन से होती है। इस लेख में बटरफ्लाई आयुर्वेद की संस्थापक और सीईओ अक्षी खंडेलवाल (Akshi Khandelwal, Founder & CEO, Butterfly Ayurveda) से जानेंगे पाचन से जुड़ी परेशानी के पीछे कौन से दोष जिम्मेदार हैं और इन दोषों को कैसे ठीक किया जा सकता है।

वात दोष और पाचन की समस्या- Vata dosha and digestion problems

अक्षी खंडेलवाल के अनुसार, जब किसी व्यक्ति के शरीर में वात दोष में जब असंतुलन आता है, तो यह सूखापन, गैस, अपच, कब्ज और पेट फूलने जैसी समस्याएं उत्पन्न करता है। वात दोष में अनियमित भोजन करना, ठंडे और शुष्क खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करने की वजह से होती है।

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पित्त दोष और पाचन की परेशानी- Pitta dosha and digestive problems

शरीर में पित्त दोष में वृद्धि होने पर एसिडिटी, जलन, अल्सर, अधिक भूख और पाचन में असंतुलन जैसी समस्याएं होती हैं। खाने में ज्यादा मसाला, तेल और खट्टा खाने से पित्त का दोष बढ़ता है।

कफ दोष और पाचन की समस्या- Kapha dosha and digestion problems

आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की मानें तो, कफ दोष में असंतुलन होने पर भारीपन, सुस्ती, भूख न लगना और शरीर में बलगम बढ़ने जैसी समस्याएं होती हैं। अत्यधिक मीठा, ठंडा खाने की वजह से कफ का दोष असंतुलित होता है।

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आयुर्वेद के हिसाब से दोषों को संतुलित कैसे करें- How to balance the doshas according to Ayurveda

ओनलीमॉय हेल्थ के साथ खास बातचीत के दौरान आयुर्वेदिक एक्सपर्ट अक्षी खंडेलवाल ने बताया कि आयुर्वेद में कफ को संतुलित करने के लिए अपने भोजन की शुरुआत कुछ मीठे से करने की सलाह दी जाती है। इसके बाद पित्त को जागने के लिए पौष्टिक, ताजा पका हुआ गर्म खाने के लिए कहा जाता है। इस प्रक्रिया से पाचन अग्नि सक्रिय होती है। जिससे छोटी आंत, अग्नाशय और यकृत में भोजन पचाने और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद मिलती है। जब हम इस तरह का भोजन करते हैं, तो दूसरी ओर वात पाचन के लयबद्ध चक्र को सुनिश्चित करता है। यह शरीर से अपशिष्ट को खत्म करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

वात दोष को संतुलित करने के उपाय- Measures to balance the Vata dosha

शरीर में वात दोष को संतुलित करने के लिए गरम, ताजा और आसानी से पचने वाला भोजन करें। खाना खाते समय भोजन को धीरे-धीरे चबाएं। खाने के बाद अदरक, जीरा, हींग और त्रिफला का सेवन करें। यह खाने के बाद पचाने की प्रक्रिया को तेज करते हैं।

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पित्त दोष को कैसे संतुलित करें- How to Balance Pitta Dosha

ठंडे, मीठे और हल्के भोजन का सेवन करने से पित्त दोष संतुलित होता है। इसके साथ ही रोजाना के खानपान में नारियल पानी, एलोवेरा जूस और सौंफ का सेवन करें। पित्त प्रधान के कारण होने वाले क्रोध और तनाव को कम करने के लिए ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास करें।

कफ दोष को संतुलित करने के उपाय- Measures to balance Kapha dosha

प्रतिदिन हल्का, गर्म और मसालेदार भोजन करें। भोजन में शहद, हल्दी और काली मिर्च को पर्याप्त मात्रा में शामिल करें। लेकिन ठंडी और भारी चीजों से बचें, विशेषकर डेयरी उत्पादों का सेवन सीमित करें। ज्यादा ठंडी चीजों का सेवन करने से कफ दोष बढ़ता है।

निष्कर्ष

आयुर्वेद में पाचन को शरीर की संपूर्ण सेहत का आधार माना गया है। वात, पित्त और कफ दोषों का संतुलन बनाए रखना बेहद आवश्यक है। जीवनशैली और खानपान में छोटे-छोटे बदलाव करके पाचन से जुड़ी परेशानियों से बचा जा सकता है।

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