हाई ब्लड प्रेशर का ही दूसरा नाम हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) है। आपको पता होगा कि हमारे शरीर में मौजूद रक्त नसों में लगातार दौड़ता रहता है और इसी रक्त के माध्यम से शरीर के सभी अंगों तक ऊर्जा और पोषण के लिए जरूरी ऑक्सीजन, ग्लूकोज, विटामिन्स, मिनरल्स आदि पहुंचते हैं। ब्लड प्रेशर उस दबाव को कहते हैं, जो रक्त प्रवाह की वजह से नसों की दीवारों पर पड़ता है। आमतौर पर ये ब्लड प्रेशर इस बात पर निर्भर करता है कि हृदय कितनी गति से रक्त को पंप कर रहा है और रक्त को नसों में प्रवाहित होने में कितने अवरोधों का सामना करना पड़ रहा है। मेडिकल गाइडलाइन्स के अनुसार 130/80 mmHg से ज्यादा रक्त का दबाव हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर की श्रेणी में आता है।
हाइपरटेंशन के कारण भारत में हर साल लगभग 2.5 लाख लोग मरते हैं जबकि विश्वभर में ये आंकड़ा करोड़ों लोगों का है। खास बात ये है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनियों के बावजूद खराब जीवनशैली और अस्वस्थ खान-पान के चलते इसके मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वैसे तो हाई ब्लड प्रेशर से शरीर का कोई भी अंग प्रभावित हो सकता है मगर इसका सबसे ज्यादा खतरा हृदय यानि दिल को होता है। जब ह्वदय को संकरी या सख्त हो चुकी रक्त वाहिकाओं के कारण पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलता तो सीने में दर्द होता है। ऐसे में अगर खून का बहाव रुक जाए तो हार्ट-अटैक या कार्डियक अरेस्ट भी हो सकता है।
कारणों के अनुसार देखें तो हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप दो तरह का होता है।:
प्राइमरी हाइपरटेंशन - प्राइमरी हाइपरटेंशन ज्यादातर युवाओं को होता है और इसका कोई खास कारण नहीं होता है बल्कि लगातार अनियमित जीवनशैली की वजह से ये धीरे-धीरे समय के साथ हो जाता है। इस तरह के ब्लड प्रेशर का कारण बहुत आम होता है जैसै:
सेकेंडरी हाइपरटेंशन - सेकेंडरी हाइपरटेंशन वो है जो शरीर में किसी रोग के कारण या किसी स्थिति के कारण हो जाता है। आमतौर पर सेकेंडरी हाइपरटेंशन के निम्न कारण होते हैं।
उच्च रक्तचाप के प्रारंभिक लक्षण में रोगी के सिर के पीछे और गर्दन में दर्द रहने लगता है। कई बार इस तरह की परेशानी को वह नजरअंदाज कर देता है, जो आगे चलकर गंभीर समस्या बन जाती है। आमतौर पर हाई ब्लड प्रेशर के ये लक्षण होते हैं।:
कई बार कुछ लोगों में उच्च रक्तचाप से संबंधित कोई भी लक्षण नजर नहीं आता। उन्हें इस बारे में चेकअप के बाद ही जानकारी होती है। हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण दिखाई न देना किडनी और हार्ट के लिए घातक हो सकता है इसलिए अगर आपको लगातार थकान या आलस जैसी सामान्य समस्या भी है, तो अपना ब्लड प्रेशर जरूर जांच करवाएं।
अगर आप उच्च रक्तचाप की समस्या से ग्रस्त हैं तो आपको इससे संबंधित कई खतरे हो सकते हैं। उच्च रक्तचाप के कारण दिल के दौरे और दिल संबंधित बीमारियों के होने का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा इस समस्या से ग्रस्त लोगों को कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज की भी जांच करानी चाहिए। उच्च रक्तचाप के कारण कई अन्य बीमारियां होने की संभावना भी रहती है। हाई ब्लड-प्रेशर में रोगी की याद्दाश्त पर असर हो सकता है, जिसे डिमेंशिया कहा जाता है। इसमें रोगी के मस्तिष्क में खून की आपूर्ति कम हो जाती है, और सोचने-समझने की शक्ति घटती जाती है। हाई ब्लड-प्रेशर के कारण किडनी की रक्त वाहिकाएं संकरी या मोटी हो सकती हैं। इसके कारण आंखों की रोशनी कम होने लगती है उसे धुंधला दिखाई देने लगता है।
हाइपरटेंशन का दिल पर प्रभाव:
रक्तचाप को मापना बहुत आसान है। ज्यादातर अस्पतालों में डॉक्टर से मिलने से पहले आपका ब्लड प्रेशर और वजन जांच लिया जाता है। आमतौर पर ब्लड प्रेशर को लगातार जांचते रहने पर सही परिणाम मिलते हैं। केवल एक बार रीडिंग ज्यादा होने पर ही इसका इलाज नहीं किया जा सकता है। आजकल बाजार में कई तरह के इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटर मिलते हैं, जिनकी मदद से आप घर में ही आसानी से अपना ब्लड प्रेशर चेक कर सकते हैं और इस पर नजर रख सकते हैं। शुरू में दवाओं को एडजस्ट करते समय ब्लड प्रेशर नाप कर एक गोल निश्चित कर लें। सामान्य ब्लड प्रेशर 120/80 mmHg से कम होता है। ब्लड प्रेशर के 130/80 mmHg से ज्यादा हो जाने पर इसे हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर की श्रेणी में रखते हैं। जिन्हें डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर है, उनका ब्लड प्रेशर 130/80 या उससे कम होना चाहिए। अगर आपका ब्लड प्रेशर लागातार हाई रह रहा है तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ऐसी स्थिति में चिकित्सक आपको ब्लड प्रेशर के अलावा इन जांचों के लिए कह सकता है।
प्राइमरी हाइपर टेंशन का इलाज - प्राइमरी हाइपरटेंशन को ठीक करने के लिए आपको कुछ दवाएं देते हैं जिनसे आपका ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है मगर इसके साथ ही जीवनशैली में जरूरी बदलाव की सलाह देते हैं क्योंकि प्राइमरी हाइपरटेंशन का मुख्य कारण ही जीवनशैली की अनियमितता है। ऐसे मामलों में डॉक्टर आपको निम्न सलाह दे सकते हैं।
सेकेंडरी हाइपरटेंशन का इलाज - सेकेंडरी हाइपरटेंशन चूंकि शरीर की ही किसी समस्या के कारण होता है इसलिए ऐसे मामलों में डॉक्टर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने की दवा दे देते हैं मगर उनका मुख्य फोकस उस बीमारी को खत्म करना होता है जिसके कारण ब्लड प्रेशर हाई हुआ है। कई बार ये काम मुश्किल हो जाता है क्योंकि रोग के इलाज के लिए जो दवाएं उपलब्ध होती हैं, उन दवाओं के सेवन से ब्लड प्रेशर उल्टा बढ़ने लगता है। इसलिए ऐसे मामले में किसी योग्य चिकित्सक से ही सलाह लें। कई बार ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए दोनों तरह के ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है यानि रोग के इलाज की भी और जीवनशैली में बदलाव की भी, ऐसी स्थिति में चिकित्सक आपको उचित सलाह दे सकता है।