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क्या दोनों बाजुओं में अलग ब्लड प्रेशर रीडिंग आना नॉर्मल है? डॉक्‍टर से जानें

हां, दोनों बाजुओं में 10 mmHg तक, बीपी में अंतर होना सामान्य है, लेकिन इससे ज्यादा फर्क बार-बार आए, तो यह हृदय रोग का संकेत हो सकता है।
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क्या दोनों बाजुओं में अलग ब्लड प्रेशर रीडिंग आना नॉर्मल है? डॉक्‍टर से जानें


अक्सर जब आप ब्लड प्रेशर चेक करवाते हैं, तो ध्यान नहीं देते कि वह किस हाथ से नापा जा रहा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर दोनों बाजुओं में बीपी नापें और रीडिंग अलग आए, तो यह सामान्य है या किसी गंभीर समस्या का संकेत? बहुत से लोग इस बात से अनजान होते हैं कि दोनों हाथों में ब्लड प्रेशर थोड़ा बहुत अलग होना आम बात है या नहीं। लखनऊ के केयर इंस्‍टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फ‍िजिश‍ियन डॉ सीमा यादव ने बताया क‍ि दोनों बाजुओं में 10 mmHg तक का फर्क सामान्य है, लेकिन इससे ज्यादा होने पर इसकी वजह का पता लगाना जरूरी होता है। इस लेख में हम जानेंगे कि बीपी रीडिंग दोनों हाथों में अलग क्यों आती है, कब चिंता करनी चाहिए, कौन-सी बीमारियां इससे जुड़ी हो सकती हैं और डॉक्टर इस स्थिति को कैसे जांचते हैं। अगर आप नियमित रूप से बीपी मॉनिटर करते हैं या हाई बीपी की समस्या से जूझ रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद काम की हो सकती है।

दोनों बाजुओं में अलग ब्लड प्रेशर रीडिंग आना नॉर्मल है?- Different Blood Presssure Readings in Both Arms is Normal or Not

डॉ सीमा यादव ने बताया क‍ि हां, दोनों बाजुओं में थोड़ा बहुत ब्लड प्रेशर का अंतर आना सामान्य हो सकता है। लेक‍िन अगर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (ऊपरी संख्या) में 10 mmHg तक का फर्क हो, तो यह आमतौर पर कोई गंभीर चिंता की बात नहीं मानी जाती। यह शरीर की धमनियों की बनावट, हाथ की पोजीशन या मापने की तकनीक में फर्क के कारण हो सकता है। लेकिन अगर दोनों बाजुओं के बीपी का यह अंतर बार-बार 15 mmHg या उससे ज्यादा हो, तो यह हृदय रोग, पेरिफेरल आर्टरी डिजीज या अन्य ब्‍लड सर्कुलेशन से जुड़ी समस्याओं का संकेत हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर से जांच कराना जरूरी होता है।

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दोनों हाथों में बीपी अलग क्यों आता है?- Why is Blood Pressure is Different in Both Arms

शरीर की दोनों बाजुओं तक खून पहुंचाने वाली धमनियों की बनावट या ब्लड फ्लो थोड़ा अलग हो सकता है। इसके कारण दोनों हाथों में ब्‍लड प्रेशर थोड़ा-बहुत अलग आ सकता है। इसके कुछ सामान्य कारण हैं-

  • दाएं और बाएं हाथ की आर्टरी का डायमीटर (Diameter) अलग होना
  • हाथ की स्थिति में फर्क होना
  • मापने की तकनीक में अंतर होना
  • 10 mmHg तक का फर्क ज्‍यादातर मामलों में सामान्य माना जाता है।

दोनों बाजुओं में बीपी का अंतर कब बनता है खतरा?

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अगर दोनों हाथों के बीच सिस्टोलिक बीपी में 15 mmHg या उससे ज्यादा का फर्क बार-बार आता है, तो इन स्थितियों का संकेत हो सकता है-

  • पेरिफेरल आर्टरी डिजीज, जिसमें हाथों या पैरों की धमनियों में ब्लॉकेज होता है।
  • कारोटिड आर्टरी डिजीज, ज‍िसमें द‍िमाग को खून पहुंचाने वाली नसों में रुकावट आ सकती है।
  • रिसर्च से पता चला है कि दोनों हाथों के बीपी में बड़ा फर्क, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का संकेत हो सकता है।
  • किडनी की बीमारी या डायबिटीज के रोगि‍यों में भी यह अंतर गंभीरता से देखा जाता है।

डॉक्टर इस स्थिति की जांच कैसे करते हैं?

अगर लगातार बीपी रीडिंग में अंतर पाया जाता है, तो डॉक्टर इन टेस्‍ट को कराने की सलाह देते हैं-

  • डॉप्लर अल्ट्रासाउंड या आर्टरी स्कैनिंग
  • ईसीजी या इकोकार्डियोग्राफी
  • ब्लड टेस्ट (कोलेस्ट्रॉल, शुगर वगैरह)

दोनों बाजुओं के बीपी में अंतर होने पर क्‍या करें?- What Should You Do If Blood Pressure is Different in Both Arms

  • पहली बार बीपी नपवाते समय दोनों हाथों से बीपी की जांच करवानी चाहिए।
  • नियमित रूप से बीपी मॉनि‍टर करते समय हमेशा एक ही हाथ से मापें, लेकिन शुरुआत में दोनों हाथों में बीपी के अंतर को चेक करें।
  • अगर अंतर 15 mmHg या उससे ज्यादा है, तो डॉक्टर से तुरंत सलाह लें।
  • स्मोकिंग, अनहेल्दी डाइट और स्‍ट्रेस वगैरह से बचें, क्योंकि ये धमनियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

दोनों बाजुओं के बीपी में थोड़ा अंतर आना सामान्य है, लेकिन अगर यह अंतर बार-बार और ज्यादा हो रहा है, तो इसे नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। यह हार्ट, दिमाग या धमनियों से जुड़ी गंभीर बीमारियों की ओर संकेत कर सकता है।

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FAQ

  • दोनों बाहों में अलग-अलग रक्तचाप का क्या कारण है?

    दाएं और बाएं हाथ की धमनियों की संरचना में फर्क, ब्लड फ्लो में अंतर या नापने की तकनीकी वजह से दोनों बाजुओं में बीपी अलग आ सकता है। अगर यह फर्क 15 mmHg से ज्यादा है, तो यह पेरिफेरल आर्टरी डिजीज या हृदय संबंधी समस्या का संकेत हो सकता है।
  • बीपी बढ़ने पर शरीर क्या संकेत देता है?

    बीपी बढ़ने पर सिरदर्द, चक्कर, धुंधली दृष्टि, सीने में दबाव और घबराहट जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। कई बार हाई बीपी को साइलेंट किलर भी कहा जाता है, क्‍योंक‍ि इसमें कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते।
  • बीपी बढ़ने पर तुरंत क्या करें?

    बीपी बढ़ने पर शांत बैठें, गहरी सांस लें और नमक वाले खाने से बचें, जरूरत हो, तो डॉक्टर द्वारा दी गई दवा लें। साथ ही, ब्लड प्रेशर मॉनिटर करें और अगर 180/120 mmHg से ज्यादा हो, तो तुरंत मेडिकल हेल्‍प लें।

 

 

 

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