बच्चे के जन्म के बाद एक महिला का जीवन पूरी तरह से बदल जाता है। डिलीवरी के बाद लंबे समय पीरियड्स, हार्मोनल बदलाव, ब्रेस्टफीडिंग और शारीरिक परिवर्तन होते हैं, जिनसे उबरने के लिए सही देखभाल, हेल्दी लाइफस्टाइल और खानपान की जरूरत होती है। आयुर्वेद में डिलीवरी के बाद 45 से 90 दिन के समय को सूतिका काल (postpartum period) कहा जाता है। इस दौरान जच्चा की सही देखभाल की जरूरत होती है। क्योंकि प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के दौरान शरीर कमजोर हो जाता है और इस दौरान वात दोष (Vata Dosha) बढ़ जाता है। शरीर के वात दोष को संतुलित करने और नवजात शिशु को दूध पिलाने के लिए महिलाओं को सही खानपान और जीवनशैली को अपनाना जरूरी होता है।
आयुर्वेद के अनुसार, डिलीवरी के बाद महिलाओं की डाइट और लाइफस्टाइल कैसी होनी चाहिए, इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए हमने दिल्ली के आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा से बात की।
इसे भी पढ़ेंः खून में TLC बढ़ना इन बीमारियों का हो सकता है संकेत, जानें कैसे करें बचाव
इसे भी पढ़ेः क्या कैल्शियम की गोली खाने से वाकई किडनी की पथरी हो जाती है? डॉक्टर से जानें सच्चाई
डिलीवरी के बाद लाइफस्टाइल कैसी होनी चाहिए?- What should be the lifestyle after delivery?
डॉ. चंचल शर्मा के अनुसार, प्रेगनेंसीके दौरान तो महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति काफी सजग रहती हैं और हर बात का ध्यान रखती हैं। लेकिन डिलीवरी के बाद बच्चे की देखभाल में ऐसी व्यस्त हो जाती हैं कि उन्हें अपने शरीर का बिल्कुल होश नहीं रहता है। लेकिन नई मांओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह स्वस्थ रहेंगी, तभी बच्चे के स्वास्थ्य का भी ध्यान रख पाएंगी। इसलिए डिलीवरी के बाद महिलाओं को 45 दिन तक सही तरीके से आराम करने की सलाह दी जाती है।
इसे भी पढ़ें: क्या पीरियड्स के दौरान खट्टा खाने से ज्यादा ब्लीडिंग होती है? जानें क्या कहते हैं डॉक्टर
- स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ का कहना है कि डिलीवरी के 45 दिन के बाद महिलाएं योग और मेडिटेशन जैसी फिजिकल एक्टिविटी करनी चाहिए।
- डिलीवरी के बाद बच्चे की देखभाल में मां की नींद पूरी नहीं हो पाती है। इसकी वजह से महिलाओं को शारीरिक थकान की समस्या हो सकती है। इसलिए डिलीवरी के तुरंत बाद जब भी बच्चा सोए, मां को भी आराम करना चाहिए।
- प्रसव के बाद महिलाओं में मानसिक तनाव की समस्या भी देखी जाती है। इस तनाव को कम करने के लिए किताब पढ़ें, अपना पसंदीदा म्यूजिक सुनें।
इसे भी पढ़ेंः रुके हुए पीरियड्स को जल्द लाने में मदद करेगा ये हर्बल काढ़ा, न्यूट्रिश्निस्ट से जानें रेसिपी
टॉप स्टोरीज़
डिलीवरी के बाद महिलाओं की डाइट कैसी होनी चाहिए?- What should be the diet of women after delivery?
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ का कहना है कि डिलीवरी के बाद महिलाओं के शरीर से काफी मात्रा में खून निकल जाता है। ब्लीडिंग के कारण महिलाओं को शारीरिक तौर पर कमजोरी महसूस हो सकती है। इस कमजोरी से राहत पाने के लिए डाइट का ध्यान रखना जरूरी है। डिलीवरी के बाद महिलाओं को डाइट में नीचे बताए गए पोषक तत्व शामिल करने चाहिए।
इसे भी पढ़ेंः एक दिन में पैरासिटामॉल की कितनी गोलियां खा सकते हैं? एक्सपर्ट से जानें इसे ज्यादा खाने के नुकसान
आयरन
बच्चे को जन्म देते समय गर्भवती महिला के शरीर से काफी खून निकलता है, जिसकी भरपाई करने के लिए आयरन बहुत जरुरी है। डिलीवरी के बाद आयरन की पूर्ति के लिए महिलाओं को डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर, गुड़, रेड मिट, बींस, सी फूड्स, दालें को डाइट का हिस्सा जरूर बनाएं।
कैल्शियम
डिलीवरी के बाद मां और बच्चे दोनों के लिए कैल्शियम बहुत जरूरी होता है। कैल्शियम आपकी हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है और अगर डिलीवरी के बाद महिला के शरीर में इसकी कमी हो जाये तो शरीर हड्डियों से इसकी आपूर्ति शुरू कर देता है। जिससे आपकी हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए डाइट में दूध, मखाना, टोफू, हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें।
इसे भी पढ़ेंः महिलाओं के शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ने पर दिखाई देते हैं ये 7 संकेत, भूलकर भी न करें नजरअंदाज
आयोडीन
नई मां की रिकवरी और नवजात शिशु के विकास के लिए आयोडीन बहुत जरूरी होता है। आयोडीन की कमी को पूरा करने के लिए मछली, योगर्ट, अंडे, दूध को डाइट का हिस्सा जरूर बनाएं।
निष्कर्ष
डिलीवरी के बाद महिलाओं का शरीर कमजोर हो जाता है, इसलिए आयुर्वेद में वात दोष को संतुलित करने और शरीर को फिर से मजबूत बनाने के लिए सही खानपान और जीवनशैली अपनाने की सलाह दी जाती है। अगर आप भी नई मां हैं, तो आयुर्वेद एक्सपर्ट द्वारा बताए गए टिप्स को जरूर फॉलो करें।