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गर्मियों में रागी खाने से किसे परहेज करना चाहिए? आयुर्वेदाचार्य से जानें

गर्मी के दिनों में शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है, ऐसे में आयुर्वेद के अनुसार खानपान में ठंडी तासीर वाले और पचने में हल्के आहार को प्राथमिकता देना जरूरी होता है। यहां जानिए, गर्मियों में रागी किन लोगों को नहीं खानी चाहिए? 
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गर्मियों में रागी खाने से किसे परहेज करना चाहिए? आयुर्वेदाचार्य से जानें


इन दिनों उत्तर भारत समेत देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी पड़ रही है। दिल्ली में तापमान 45 डिग्री तक पहुंच चुका है और लू का प्रकोप लगातार बना हुआ है। ऐसे में शरीर को ठंडक पहुंचाने और पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाए रखने के लिए खानपान में बदलाव करना बेहद जरूरी हो जाता है। लेकिन आजकल सोशल मीडिया और हेल्थ ट्रेंड्स के चलते कई लोग गर्मियों में भी ऐसे फूड्स का सेवन कर लेते हैं जो इस मौसम के लिए उपयुक्त नहीं होते। इन्हीं में से एक है रागी (Nachni)। रागी को सुपरफूड माना जाता है क्योंकि इसमें फाइबर, कैल्शियम, आयरन और प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

यह ब्लड शुगर कंट्रोल करने से लेकर वजन घटाने तक में मददगार है। यही कारण है कि सोशल मीडिया पर रागी से बने डोसा, चीला, खीर या लड्डू जैसी रेसिपी वायरल हो रही हैं और लोग इसे बिना मौसम और शरीर की प्रकृति समझे गर्मियों में भी अपनी डाइट में शामिल कर रहे हैं। इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, गर्मियों में रागी खाने से किसे परहेज करना चाहिए?

गर्मियों में रागी किन लोगों को नहीं खाना चाहिए? - Who Should Not Consume Ragi In Summer

आयुर्वेदाचार्य श्रेय शर्मा बताते हैं कि ग्रीष्म ऋतु में रागी का सेवन सभी के लिए उपयुक्त नहीं होता। आयुर्वेद के अनुसार, रागी तासीर में गर्म और भारी अनाज माना गया है। इसीलिए इसका सेवन सर्दियों यानी हेमंत और शिशिर ऋतु में फायदेमंद होता है। लेकिन गर्मियों में जब शरीर की पाचन शक्ति कमजोर होती है और पित्त दोष पहले से ही बढ़ा रहता है, तब रागी खाने से कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। रागी एक पौष्टिक अनाज है जो खासतौर पर दक्षिण भारत में लोकप्रिय है। इसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम, आयरन, अमीनो एसिड, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। आयुर्वेद में रागी को उष्ण तासीर (गर्म प्रवृत्ति वाला) अनाज बताया गया है। यह शरीर को गर्मी देता है और मांसपेशियों को मजबूत करता है। यही कारण है कि इसे सर्दियों में खाना अधिक उपयुक्त माना जाता है।

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गर्मियों में जब शरीर का तापमान पहले से ही अधिक होता है और पाचन अग्नि मंद पड़ जाती है, तब रागी का सेवन शरीर में गर्मी, पित्त और अपच जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। इसलिए आयुर्वेद में इसे ग्रीष्म ऋतु में खाने से मना किया गया है।

1. पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति

जिनकी प्रकृति पहले से ही पित्त प्रधान है, उन्हें रागी से परहेज करना चाहिए। यह शरीर में अतिरिक्त गर्मी और जलन पैदा कर सकती है।

Who Should Not Consume Ragi

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2. एसिडिटी और गैस की समस्या वाले लोग

रागी का सेवन अपच, गैस और सीने में जलन को बढ़ा सकता है। खासकर गर्मियों में ये लक्षण अधिक तीव्र हो सकते हैं।

3. बच्चे और बुजुर्ग

बच्चों और बुजुर्गों की पाचन शक्ति कमजोर होती है। गर्मियों में भारी अनाज जैसे रागी पचाना उनके लिए मुश्किल हो सकता है।

4. प्रेग्नेंट महिलाएं

गर्भावस्था के दौरान गर्म चीजों से परहेज करना चाहिए क्योंकि ये गर्भाशय पर असर डाल सकती हैं। रागी भी ऐसी चीजों में आती है।

5. स्किन डिजीज वाले लोग

पित्त बढ़ाने वाले फूड्स से स्किन एलर्जी, फोड़े-फुंसी और खुजली की समस्या बढ़ सकती है।

रागी से गर्मियों में होने वाले नुकसान

  • डायरिया या दस्त की समस्या
  • एसिडिटी और पेट में जलन
  • मुंह के छाले और नासिका से रक्तस्राव (नाक से खून आना)
  • पाचन में भारीपन और सुस्ती
  • त्वचा पर पित्त जनित समस्याएं जैसे चकत्ते, खुजली

रागी में मौजूद फाइबर और मिनरल्स शरीर के लिए फायदेमंद हैं, लेकिन गर्मी में इसकी भारी तासीर शरीर में पित्त को असंतुलित कर सकती है जिससे ऊपर बताए गए लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।

निष्कर्ष

रागी पोषण से भरपूर सुपरफूड है, लेकिन आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से यह गर्म तासीर वाला अनाज है। गर्मियों में जब पित्त दोष बढ़ा रहता है, तब इसका सेवन हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं होता। खासकर पित्त प्रकृति वाले, गैस या एसिडिटी से पीड़ित, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे , इन्हें रागी खाने से परहेज करना चाहिए। यदि रागी खाना ही हो, तो सीमित मात्रा में और सही समय पर, ठंडी प्रकृति वाले फूड्स के साथ लें।

All Images Credit- Freepik

FAQ

  • रागी की तासीर क्या होती है?

    रागी की तासीर गर्म होती है। यह शरीर में गर्मी पैदा करने वाला अनाज माना जाता है, इसलिए इसे ठंड के मौसम या सर्द जलवायु वाले क्षेत्रों में खाने की सलाह दी जाती है। रागी में फाइबर, आयरन और कैल्शियम भरपूर होता है, लेकिन यह पचने में भारी होता है। आयुर्वेद के अनुसार, गर्मियों में रागी का सेवन करने से पित्त दोष बढ़ सकता है, जिससे एसिडिटी, जलन, त्वचा पर फुंसी, सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए गर्म तासीर वाले इस अनाज का सेवन गर्मियों में सावधानीपूर्वक और सीमित मात्रा में करना चाहिए या पूरी तरह परहेज करना चाहिए।
  • क्या हम गर्मियों में रागी खा सकते हैं?

    आयुर्वेद के अनुसार, गर्मियों में रागी खाने से परहेज करना चाहिए क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है। यह शरीर में अतिरिक्त गर्मी पैदा कर सकती है, जिससे पित्त बढ़ने, एसिडिटी, डाइजेशन की समस्या, त्वचा पर फुंसी और शरीर में जलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। बेहतर होगा कि रागी का सेवन हेमंत ऋतु या सर्द मौसम में करें जब यह शरीर को गर्मी प्रदान कर फायदा करता है।
  • रागी से किसे बचना चाहिए?

    पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति, जिन्हें बार-बार एसिडिटी, पेट में जलन या पित्त की समस्या होती है, उन्हें रागी से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा, गर्भवती महिलाएं, छोटे बच्चे और कमजोर पाचन वाले लोग यदि रागी खाना चाहते हैं तो पहले डॉक्टर या डाइटिशियन से सलाह जरूर लें। गर्मियों में इसकी गर्म तासीर शरीर पर नकारात्मक असर डाल सकती है। इसलिए मौसम और शरीर की प्रकृति के अनुसार ही रागी का सेवन करना उचित होता है।

 

 

 

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