Ayurveda Health tips for Autumn: आयुर्वेद में, ऋतुचर्या का अर्थ मौसमी बदलाव के दौरान अपने खान-पान और जीवनशैली में बदलाव करना है, जो आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। सावन का महीना खत्म होने के बाद शरद ऋतु (Autumn) की शुरुआत हो जाती है, जो आयुर्वेद के अनुसार सितंबर के मध्य से नवंबर के मध्य तक होती है। शरद ऋतु में अपने स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है कि आप मौसम में बदलाव के साथ अपने खान-पान और लाइफस्टाइल में भी बदलाव करना शुरू कर दें। आयुर्वेद में शरद ऋतु का ऋतुचर्या आपके बेहतर स्वास्थ्य और जीवनशैली के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद के बारे में जागरुकता फैलाने और लोगों तक सही जानकारी पहुंचाने के उद्देश्य से ओन्लीमायहेल्थ 'आरोग्य विद आयुर्वेद' (Arogya with Ayurveda) स्पेशल सीरीज चला रही है। इस सीरीज में हम आपको आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों और जड़ी-बूटियों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। साथ ही आयुर्वेद ने कैसे कुछ लोगों के जीवन में सकारात्मक बदालव किए हैं, इसके बारे में भी बताएंगे। आज की इस सीरिज के तहत हम आयुर्वेद में शरद ऋतुचर्या के बारे में जानने की कोशिश करेंगे, जिसके लिए हमने रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से बातचीत की। तो आइए जानते हैं क्या है शरद ऋतुचर्या और इस मौसम में कैसे रखना चाहिए अपना ध्यान।
आयुर्वेद में शरद ऋतु क्या है?
आयुर्वेद में शरद ऋतु ऋतुचर्या में आपके आदतों में बदलाव करने के महत्व के बारे में बताया गया है। इस मौसम में आसमान साफ रहता है, तापमान में नमी और हल्की ठंड रहती है। ऐसे में हमारे शरीर में पाचन अग्नि बढ़ जाती है, जिससे पित्त दोष भी बढ़ जाता है, जिससे शरीर के तीन दोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करना मुश्किल हो जाता है। शरद ऋतु की विशेषता अपा (जल) और अग्नि (आग) के तत्वों से होती है। ये तत्व ठंडक और ताप ऊर्जा के बीच एक संतुलन को दिखाते हैं। शरद ऋतु आपके शरीर में वात दोष को शांत करती है, लेकिन यह अपने शुष्क और ठंडे तापमान के कारण पित्त दोष को बढ़ा सकती है। इस मौसम में शरीर में दोषों का संतुलन बनाए रखने के लिए, आयुर्वेद सही खान-पान और लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव करने की सलाह देता है, जिससे पित्त को संतुलित करने में मदद मिल सके।
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शरद ऋतु में क्या न खाएं?
शरद ऋतु के दौरान आपके मुंह का स्वाद लवण (नमकीन) होता है, और पाचन अग्नि आम तौर पर काफी मजबूत होती है। इसका मतलब है कि, जब आपका चयापचय एक्टिव होता है, तो ऐसे खाद्य पदार्थों और गतिविधियों से बचने की जरूरत होती है जो शरीर को ज्यादा गरम करते हैं या एसिडिटी और ब्लोटिंग का कारण बनते हैं, जो पित्त असंतुलन के लक्षण हैं। आइए जानते हैं इस समय किन चीजों से बचना चाहिए और क्यों?
1. मसालेदार, खट्टे और नमकीन खाद्य पदार्थ
मसालेदार खाना, खट्टे फल या सब्जियां, और नमकीन खाद्य पदार्थ आपके पित्त को बढ़ा सकते हैं, और शरीर में ज्यादा गर्मी पैदा करसकते हैं, जिसके कारण स्किन पर रैशेज और चिड़चिड़ापन होने की समस्या हो सकती है।
2. भारी, एसिड और तले हुए खाद्य पदार्थ
तले हुए स्नैक्स, टमाटर और सिरके से बने खाद्य पदार्थ आपके पाचन को धीमा कर सकते हैं, जिससे पेट फूलने और सुस्ती की समस्या हो सकती है। अम्लीय खाद्य पदार्थ पित्त को भी बढ़ा सकते हैं और अपच का कारण बन सकते हैं।
3. लहसुन, बैंगन और मूंगफली
लहसुन और बैंगन गर्म खाद्य पदार्थ माने जाते है, जो पित्त को बढ़ावा दे सकते हैं, जबकि मूंगफली भारी होती है, जो ब्लोटिंग का कारण बन सकती है।
4. लाल मिर्च और लहसुन
लाल मिर्च और लहसुन बहुत ज्यादा गर्म होते हैं, जो शरद ऋतु के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं क्योंकि ये शरीर की गर्मी और सूजन को बढ़ा सकते हैं।
5. जमे हुए, गर्म और कड़वे खाद्य पदार्थ
जमे हुए खाद्य पदार्थ पाचन अग्नि को परेशान कर सकते हैं, जबकि ज्यादा कड़वे खाद्य पदार्थ शरीर को सूखा सकते हैं, जिससे वात दोष बढ़ सकता है।
6. हैवी डेयरी उत्पाद
फुल-फैट दूध और क्रीम जैसे भारी डेयरी चीजें शरद ऋतु के दौरान आपके पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे बलगम बनता है और पाचन धीमा हो जाता है।
शरद ऋतु में क्या खाएं?
शरद ऋतु के दौरान पित्त को शांत करने और वात को संतुलित करने के लिए, ठंडे, शांत और आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। ये खाद्य पादर्थ अच्छे पाचन को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।
1. फल और सब्जियां
खीरे, खरबूजे, नाशपाती, सेब और अनार जैसे फल इस मौसम के लिए बेहतरीन विकल्प हैं, क्योंकि ये हाइड्रेटिंग और ठंडे होते हैं। कद्दू, लौकी, मेथी और पालक जैसी सब्जियां पाचन पर ज्यादा दबाव डाले बिना फाइबर और पोषक तत्वों की कमी पूरी करने में मदद करते हैं।
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2. आसानी से पचने वाले अनाज
चावल, जई, जौ और गेहूं जैसे अनाज हल्के और पचने में आसान होते हैं, जो शरद ऋतु में पाचन अग्नि को बढ़ाने में मदद करते हैं। ये अनाज आपके शरीर में वात को संतुलित रखने में भी मदद करते हैं।
3. फलियां
मूंग दाल, तूर दाल और छोले जैसी हल्की फलियां आप अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। ये पाचन में आसान होने के साथ-साथ प्रोटीन से भरपूर होती है और पित्त को संतुलित रखती हैं।
4. पित्त को शांत करने वाली जड़ी-बूटियां
धनिया, सौंफ़, दालचीनी और पुदीना जैसी जड़ी-बूटियां आपके पाचन तंत्र को ठंडा और शांत रखने में मदद करते हैं। खाने में इन्हें शामिल करने से स्वाद बढ़ाने और संतुलन को बढ़ावा मिलता है।
5. स्वस्थ वसा
घी, नारियल तेल और जैतून का तेल शरद ऋतु में शामिल करने के लिए बेहतरीन और हेल्दी फैट के विकल्प हैं। ये वात दोष को कंट्रोल रखते हुए शरीर को पोषण देने का काम करते हैं।
6. हेल्दी ड्रिंक्स
नारियल पानी, हर्बल चाय, लस्सी और गुलाब का शरबत जैसे पेय पदार्थों को आप अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं, जो पित्त को शांत रखने के लिए हाइड्रेशन और ठंडक देते हैं।
7. ड्राई फ्रूट्स
अंजीर, किशमिश और खजूर जैसे हल्के और पौष्टिक ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें, जो इस मौसम में दोषों को संतुलित करने के लिए हेल्दी विकल्प हैं।
शरद ऋतु में स्वस्थ जीवनशैली कैसे अपनाएं?
शरद ऋतु में स्वस्थ रहने के लिए खानपान में बदलाव करने के साथ जरूरी है कि आप अपनी जीवनशैली में भी कुछ जरूरी बदलाव करें, जो न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर रखने में मदद कर सके। तो आइए जानते हैं शरद ऋतु में हेल्दी लाइफस्टाइल कैसे अपनाएं?
1. हल्के व्यायाम और योग
इस मौसम में अपने शरीर को लचीला और मान को शांत रखने के लिए जरूरी है कि आप सुबह-सुबह कुछ देर ताजी हवा में टहलें, वॉक करें या जॉगिंग करें। इसके साथ हल्के योग या एक्सरसाइज को भी अपने रूटीन में शामिल करें।
2. अभ्यंग
अभ्यंग यानी तेल की मालिश करना, जो इस मौसम में आपके शरीर में बढ़े हुए पित्त को शांत करने और स्किन को पोषण देने के लिए जरूरी है, क्योंकि शरद ऋतु में आपकी स्किन ड्राई हो सकती है। आप नारियल के तेल से अपने शरीर की मालिश कर सकते हैं।
3. हाइड्रेटेड रहें
स्वस्थ रहने के लिए हेल्दी डाइट के साथ शरीर को हाइड्रेटेड रखना भी जरूरी है, जिसके लिए आप दिन भर पर्याप्त मात्रा में पानी और हर्बल चाय पीते रहे, ताकि आपके शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिल सके और शरीर हाइड्रेटेड रहे।
4. खानपान पर ध्यान दें
इस मौसम के दौरान हेल्दी खाने के साथ सही तरह से खाना भी जरूरी है। आप ओवर ईटिंग करने से बचें। केवल तभी खाएं जब आपको सच में भूख लगी हो, और अधिक खाने से बचें, जो आपके पाचन को बिगाड़ सकता है और पित्त असंतुलन का कारण बन सकता है।
5. ज्यादा धूप से बचें
शरद ऋतु में आप सीधी धूप में समय बिताने से बचें, क्योंकि बहुत तेज धूप या गर्मी पित्त को बढ़ावा दे सकती है और स्किन पर जलन का कारण बन सकती है।
निष्कर्ष
शरद ऋतु में इंफेक्शन फैलने का जोखिम ज्यादा होता है। ऐसे में खुद को हेल्दी रखने के लिए आप इस ऋतुचर्या को अपना सकते हैं, जो इस मौसम के लिए सही और स्वस्थ है। इसके साथ ही, शरीर में पित्त को बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों से परहेज करके, ठंडे और हल्के आहार के विकल्पों को चुनें और लाइफस्टाइल में अच्छी आदतों को शामिल करें।
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