Vata Dosha Symptoms Causes And Ayurvedic Treatment: आयुर्वेद पद्धति में रोगों का इलाज शरीर के दोषों को शांत करके किया जाता है। यह इलाज की एक प्राचीन और महत्वपूर्ण पद्धति मानी जाती है। आयुर्वेद में शरीर के अंदर होने वाले वात, कफ और पित्त दोषों को ही विभिन्न रोगों का मुख्य कारक माना जाता है। आयुर्वेद के एक्सपर्ट्स बताते हैं कि हर व्यक्ति के शरीर की एक विशेष प्रकृति होती है। जब शरीर में वात, कफ और पित्त में से कोई एक या दो का स्तर अंसतुलित होता है तो इससे शारीरिक कार्यों में बदलाव देखने को मिलता है। जब किसी व्यक्ति के शरीर में वात दोष बढ़ता है, ऐसे में उसके शरीर में अकड़न, रूखापन, जोड़ों में दर्द और पाचन से जुड़ी समस्याएं हो सकती है। वात दोष होने पर बाल और त्वचा पर भी प्रभाव देखने को मिलता है। इस लेख में आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर सोनल गर्ग से जानते हैं कि वात दोष क्या होता है। वात दोष में क्या लक्षण महसूस होते हैं। साथ ही, वात दोष को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में भी आगे विस्तार से बताया गया है।
वात दोष क्या है? - What is Vata Dosha in Hindi
आयुर्वेद के अनुसार वात दोष शरीर के पांच तत्वों में से वायु और आकाश तत्व से बना होता है। यह शरीर के तीनों प्रकार के दोषों में अधिक महत्वपूर्ण होता है। इसे मौलिक शक्ति के रूप में बताया गया है, जो सांस, रक्त और विचारों के साथ ही शरीर की गति को नियंत्रित करता है। क्योंकि यह गति से संबंधित शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करता है, जिसकी वजह से ब्लड सर्कुलेशन, रेस्पिरेटरी सिस्टम, नर्वस सिस्टम की गतिविधियों से जुड़ी समस्या का कारण बन सकता है। जब किसी व्यक्ति के शरीर में वात संतुलित रहता है तो यह एनर्जी और अनुकूलन क्षमता को बेहतर करता है। लेकिन, इस दोष के बढ़ने पर शरीर और मन से जुड़े विकार उत्पन्न हो सकते हैं।
वात बढ़ने के क्या लक्षण हैं? - Symptoms Of Vata Dosha In Hindi
वात दोष होने के लक्षण शारीरिक और मानसिक रूप से अलग-अलग हो सकते हैं। वात दोष के लक्षणों में पाचन से जुड़ी समस्याए जैसे गैस, पेट फूलना, कब्ज, आदि को शामिल किया जाता है। फिलहाल जानते हैं कि वात दोष होने पर किस तरह के लक्षण दिखाइ दे सकते हैं।
- पाचन संबंधी समस्याएं: वात दोष के कारण व्यक्ति की पाचन क्रिया प्रभावित होती है, जो कब्ज, पेट फूलना, गैस और अनियमित भूख जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- त्वचा और बाल का रूखापन: वात असंतुलन अक्सर शुष्क, खुरदरी त्वचा और बालों के रूखेपन का कारण बनती है। इसके अलावा, कुछ लोगों में बाल दोमुंहे होने की संभावना बढ़ जाती है।
- जोड़ों का दर्द: वात दोष वाले व्यक्तियों के जोड़ों में अकड़न और दर्द का अनुभव हो सकता है।
- हाथ-पैर ठंडे होना: वात असंतुलन की वजह से ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित हो सकता है। जिसकी वजह से हाथ और पैर ठंडे हो सकते हैं।
- मासिक धर्म अनियमित होना: वात दोष के कारण महिलाओं को अनियमित मासिक धर्म या पीरियड्स से जुड़ी समस्या हो सकती है।
- थकान: वात दोष बढ़ने से व्यक्ति को थकान महसूस हो सकती है। इसके अलावा, नींद की क्वालिटी खराब हो सकती है।
- चिंता: वात असंतुलन होने पर व्यक्ति को चिंता, घबराहट और कुछ मामलों में असुरक्षा की भावना हो सकती है।
- फोकस करने में परेशानी होना: इस दोष के कारण लोगों के विचारों में बदलाव आने लगता है, जिसकी वजह से उनको किसी एक चीज पर फोकस करने में परेशानी होती है। साथ ही कई मामलो में व्यक्ति की निर्णय लेन की क्षमता भी प्रभावित होती है।
- नींद से जुड़ी समस्या: वात दोष के बढ़ने पर व्यक्ति को रात के समय सोने में मुश्किल होती है। साथ ही, रात में बैचेनी हो सकती है।
- मूड में बदलाव होना: इस दौरान विचारो में बदलाव होने के कारण व्यक्ति को मूड में भी बदलाव महसूस होने लगता है।
वात दोष बढ़ने के क्या कारण हो सकते हैं? - Vata Dosha Ke Karan
अनियमित खानपान और लाइफस्टाइल वात दोष का कारण बन सकती है। हालांकि, इसके मुख्य कारणों में सामान्य शारीरिक गतिविधियों को रोकने से भी वात दोष में असंतुलन बढ़ सकता है। आगे जानते हैं कि वात दोष को बढ़ाने वाले कुछ कारक।
- मल-मूत्र को रोकना
- छींक को रोकना
- अधिक मात्रा में भोजन करना
- देर रात तक जागना
- ज्यादा ठंडी चीजें, और मसालेदार भोजन वात को बढ़ा सकते हैं।
- शारीरिक और मानसिक तनाव के कारण वात का संतुलन प्रभावित हो सकता है।
वात दोष का आयुर्वेदिक उपचार - Ayurvedic Treatment for Vata Dosha in Hindi
वात दोष को संतुलित करने के लिए आयुर्वेद में अनेक प्रभावशाली उपाय हैं-
स्नेहन (Oil Therapy)
सरसों, तिल, नारियल या बादाम तेल से पूरे शरीर की मालिश की जाती है। यह जोड़ों की सूखापन को कम करता है और वात को शांत करता है।
स्वेदन (Steam Therapy)
बिल्व पत्र, एरंड (अरंडी) पत्ते या अन्य औषधीय जड़ी-बूटियों से भाप दी जाती है जिससे शरीर के टॉक्सिन बाहर निकलते हैं और वात दोष कम होता है।
बस्ती (Enema Therapy)
आयुर्वेद में यह वात का प्रमुख उपचार माना गया है। इसमें जड़ी-बूटियों और तेल से बना एनिमा दिया जाता है जिससे बड़ी आंत की शुद्धि होती है।
वात दोष को संतुलित करना - How To Balance Vata Dosha in hindi
योग और ध्यान करें
वात दोष में मन और तंत्रिका तंत्र को शांत करने के लिए योग अभ्यास और ध्यान कर सकते हैं। इसमें आप गहरी सांस से संबंधित योगासनों का अभ्यास करें। इससे बदलते मूड को ठीक करने में मदद (how to balance vata dosha naturally) मिलेगी।
तेल मालिश (अभ्यंग)
त्वचा को नमी देने, तंत्रिका तंत्र को शांत करने और सर्कुलेशन को बेहतर करने के लिए नियमित रूप से स्किन पर तिल या बादाम के तेल को गुनगुना कर मालिश कर सकते हैं।
टहलना शुरु करें
शरीर से अतिरिक्त वात दोष को कम करने के लिए तैराकी, पैदल चलना का अभ्यास करें। इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और आपको पाचन व अन्य समस्याओं में आराम (how to reduce vata dosha naturally) मिलता है।
स्लीप पैर्टन को फॉलो करें
वात दोष को नियंत्रित करने के लिए आप स्लीप पैर्टन को फॉलो करें। एक ही समय पर सोना और जागने की आदत डालें। इससे वात दोष के लक्षणों में कमी आती है।
वात दोष को संतुलित करने वाले आहार - Diet for Vata Dosha in Hindi
डाइट में वात दोष को बैलेंस करने वाले आहारों को शामिल करना चाहिए। इसके लिए आप सूप, फल, साबुत अनाज आदि का सेवन कर सकते हैं। इसमें आप पका हुआ केला, खीरा, गाजर व नट्स को (vata dosha foods to eat) शामिल करें।
- घी, तिल का तेल,
- गरम दालें (मूंग, मसूर),
- पकी हुई फल और सब्जियां
- दूध, छाछ, खजूर, बादाम
- मसाले जैसे अदरक, हल्दी, अजवाइन, हींग
वात दोष में क्या नहीं खाना चाहिए? - Vata Dosha Foods To Avoid In Hindi
- ठंडी चीजें (आइसक्रीम, फ्रिज का पानी)
- सूखा, बासी या कच्चा भोजन
- गैस पैदा करने वाली चीजें (राजमा, छोले)
- बहुत अधिक चाय और कॉफी
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Vata Dosha In Hindi: वात दोष शरीर की संपूर्ण गतिशीलता और मानसिक क्रियाओं का नियंत्रक है। इसका असंतुलन अनेक प्रकार की बीमारियों और मानसिक समस्याओं को जन्म देता है। लेकिन यदि आप संतुलित आहार, नियमित दिनचर्या, योग, आयुर्वेदिक उपचार और मानसिक शांति को अपनाते हैं, तो आप वात दोष को नियंत्रित कर स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। याद रखें, आयुर्वेद जीवन जीने की कला है, यह रोग होने पर ही नहीं, बल्कि रोग से बचने का भी विज्ञान है।
FAQ
वात दोष कैसे पहचानें?
वात दोष में शरीर में गैस, कब्ज, स्किन में रूखापन, जोड़ों में दर्द और अकड़न की समस्या हो सकती हैं। इन समस्याओं में आप वात दोष को पहचान सकते हैं।वात बिगड़ने से क्या होता है?
कब्ज, कमजोरी, हाई बीपी, बेचैनी, गठिया और पेट या पाचन से संबंधित अन्य समस्याओं व्यक्ति को वात बिगड़ने में महसूस हो सकती हैं।वात रोग में क्या नहीं खाना चाहिए?
इनमें ठंडे, सूखे, और कच्चे खाद्य पदार्थ शामिल हैं, जैसे कि ठंडे पेय, बासी भोजन, और गैस बनाने वाली सब्जियां जैसे गोभी आदि।