
डायबिटीज यानी मधुमेह आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बीमारियों में से एक है। हर घर में कोई न कोई इस रोग से परेशान दिखता है। जहां आधुनिक चिकित्सा प्रणाली (Allopathy) इसे कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन और दवाओं पर निर्भर करती है, वहीं आयुर्वेद इसे शरीर के असंतुलन का परिणाम मानता है। आयुर्वेद के अनुसार, मधुमेह सिर्फ ब्लड शुगर का बढ़ना नहीं है, बल्कि यह वात, पित्त और कफ दोष के असंतुलन से उत्पन्न होने वाला एक जटिल रोग है। आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि मधुमेह को आयुर्वेद में 'वातज प्रमेह' कहा गया है और आचार्य चरक ने इसे असाध्य रोगों में गिना है यानी यह पूरी तरह खत्म तो नहीं होता, लेकिन संतुलित आहार, नियमित विहार और उचित औषधियों के प्रयोग से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।
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आपको बता दें, ओन्लीमायहेल्थ 'आरोग्य विद आयुर्वेद' (Arogya with Ayurveda) नाम से एक स्पेशल सीरीज को चला रहा है। इस सीरीज में हम बीमारियों और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के बारे में बताते हैं, ताकि लोग बीमारियों के इलाज और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से मिलने वाले फायदों और नुकसानों के बारे में जान सकें और सही उपयोग कर सकें। इस लेख में सिरसा के रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, डायबिटीज का आयुर्वेदिक उपचार क्या है?
क्या आयुर्वेद में डायबिटीज का इलाज है? - Is there any treatment for diabetes in ayurveda
आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार, आयुर्वेद कहता है कि यह रोग उन लोगों को जल्दी होता है जो अत्यधिक खाते हैं, कम चलते-फिरते हैं और दिनभर बैठे रहते हैं। इसलिए इसे अमीर लोगों का रोग भी कहा गया है, आरामपसंद और कम परिश्रम करने वाले अमीर लोग इस रोग के ज्यादा शिकार होते हैं। आयुर्वेद के मुताबिक, मधुमेह में सबसे जरूरी है जीवनशैली सुधारना। दिन में सिर्फ दो बार भोजन करना, गेहूं का सेवन घटाकर ज्वार-बाजरा और जौ को आहार में शामिल करना और सूर्यास्त से पहले भोजन कर लेना, ये कुछ ऐसे नियम हैं जो डायबिटीज कंट्रोल (diabetes control karne ka tarika) करने में चमत्कारी असर दिखाते हैं। आगे हम जानेंगे कि आयुर्वेदिक उपचार से डायबिटीज कैसे कंट्रोल किया जा सकता है, कौन से आहार और विहार अपनाने चाहिए और क्यों मधुमेह को केवल ब्लड शुगर का नहीं बल्कि पूरे शरीर का रोग माना गया है।
आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा कहते हैं, ''जैसे 5000 साल पहले ये असाध्य थी, आज भी है और आगे भी रहेगी।'' इसका मतलब यह नहीं कि इसे कंट्रोल नहीं किया जा सकता, बल्कि यह है कि यह रोग पूरी तरह खत्म नहीं होता, लेकिन सही जीवनशैली और औषध से इसे मैनेज किया जा सकता है।
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डॉ. शर्मा बताते हैं कि कई लोग मानते हैं कि अगर पैंक्रियाज इंसुलिन रिलीज न करे तो वही डायबिटीज का कारण है, लेकिन आयुर्वेद कहता है कि यह केवल एक पहलू है। मधुमेह एक ऐसी अवस्था है जिसमें शरीर के धातुओं का नाश होने लगता है। इसका असर केवल ब्लड शुगर पर नहीं बल्कि आंखों, दिल, गुर्दों और नर्वस सिस्टम पर भी पड़ता है। धीरे-धीरे ब्लड सर्कुलेशन कमजोर होता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है।
आयुर्वेद के अनुसार डायबिटीज का कारण - Causes of Diabetes according to Ayurveda
आयुर्वेद कहता है कि मधुमेह यानी डायबिटीज केवल एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर नहीं, बल्कि आहार-विहार की गड़बड़ी से उत्पन्न होने वाला रोग है। डॉ. श्रेय शर्मा कहते हैं कि जब व्यक्ति भारी, कफवर्धक और गुरु आहार लेता है और शारीरिक श्रम नहीं करता, तो उसका मूत्र कफज हो जाता है। यही स्थिति आगे चलकर मधुमेह के रूप में दिखाई देती है। इसलिए आयुर्वेद कहता है कि इस रोग को कंट्रोल करने के लिए तीन स्तंभों, आहार (खानपान), विहार (जीवनशैली) और औषध (दवा) का संतुलन जरूरी है।
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आहार: डायबिटीज रोगी के लिए आयुर्वेदिक आहार नियम - What is the best type of diet for diabetes
1. दिन में केवल दो बार भोजन करें
डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार, आधुनिक भारतीय परिवारों में तीन बार भोजन करना आम है, लेकिन आयुर्वेद इसे गलत मानता है। आयुर्वेद के अनुसार, दिन में केवल दो बार भोजन करना उचित है। पुराने समय में लोग सुबह 9 से 10 बजे के बीच और फिर शाम 6 बजे से पहले भोजन करते थे। इस तरह शरीर को पाचन का पर्याप्त समय मिलता था। आजकल वेस्टर्न लाइफस्टाइल के कारण लोग तीन बार खाना और बार-बार स्नैकिंग करने लगे हैं, जिससे अग्नि कमजोर होती है और ब्लड शुगर असंतुलित रहता है।
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2. गेहूं का सेवन कम करें
डॉ. शर्मा बताते हैं कि गेहूं शुगर बढ़ाने वाला प्रमुख कारक है। जिन क्षेत्रों में गेहूं प्रमुख भोजन है, वहां डायबिटीज के मरीज अधिक पाए जाते हैं। गेहूं में मौजूद ग्लूटिन शरीर में इंसुलिन रेसिस्टेंस को बढ़ा देता है। इसलिए मधुमेह रोगियों को गेहूं का सेवन सीमित कर देना चाहिए और अन्य अनाजों को शामिल करना चाहिए।
3. ज्वार, बाजरा और जौ को डाइट में शामिल करें
आयुर्वेद में कहा गया है कि मधुमेह के रोगी को ज्वार और बाजरा जैसे मोटे अनाजों का सेवन करना चाहिए। ये कफ कम करते हैं और शरीर को हल्का रखते हैं। गर्मियों में ज्वार सीमित मात्रा में लिया जा सकता है जबकि सर्दियों में गेहूं के स्थान पर बाजरा या जौ का प्रयोग करें। डॉ. शर्मा कहते हैं, ''तेज सर्दियों में गेहूं बंद कर देना चाहिए क्योंकि यह कफज रोगों जैसे बलगम, सर्दी, जुकाम और डायबिटीज को बढ़ाता है।''
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4. भोजन को अच्छी तरह चबाकर और समय पर खाएं
आयुर्वेद के अनुसार, जल्दी-जल्दी खाना और असमय खाना भी डायबिटीज का कारण बनता है। इसलिए भोजन को धीरे-धीरे, मन लगाकर और समय पर खाएं। डॉ. श्रेय शर्मा सुझाव देते हैं कि चैत्र की नवरात्रि से शरद की नवरात्रि तक जौ और शरद से चैत्र तक बाजरा-ज्वार का उपयोग करना चाहिए। यह मौसमी परिवर्तन के अनुसार शरीर की जरूरत को संतुलित रखता है।
विहार: जीवनशैली और दिनचर्या के नियम
आयुर्वेद के अनुसार डायबिटीज केवल खानपान की गलती से नहीं, बल्कि गलत दिनचर्या (विहार) से भी होता है। सही विहार अपनाने से इंसुलिन और ब्लड शुगर को नेचुरली कंट्रोल (What is the fastest way to lower blood sugar naturally) किया जा सकता है।
1. सूर्योदय से पहले उठें
डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि व्यक्ति को सूर्योदय से एक घंटा पहले उठना चाहिए। इससे शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक संतुलित रहती है और पाचन अग्नि मजबूत होती है।
2. सूर्यास्त से पहले रात का भोजन करें
डॉ. श्रेय शर्मा कहते हैं, ''जब व्यक्ति सूर्यास्त से पहले रात का भोजन करता है तो शरीर को भोजन पचाने का पर्याप्त समय मिलता है।'' यह नियम डायबिटीज रोगियों के लिए बहुत उपयोगी है क्योंकि इससे शरीर को नेचुरल इंटरमिटेंट फास्टिंग का लाभ मिलता है।
3. नियमित एक्सरसाइज करें
आयुर्वेद में कहा गया है कि मधुमेह रोगी को रोजाना हल्की एक्सरसाइज करनी चाहिए, जैसे प्राणायाम, तेज चाल में चलना, सूर्य नमस्कार या हल्के योगासन। इससे कफ और फैट का संतुलन बना रहता है और शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति संवेदनशील रहती हैं।
4. मानसिक शांति बनाए रखें
तनाव डायबिटीज को बढ़ाने वाला एक छिपा हुआ कारण है। इसलिए रोजाना ध्यान, गहरी सांसें लेना और सकारात्मक सोच का अभ्यास जरूरी है।
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औषध: डायबिटीज के लिए आयुर्वेदिक औषधि
आयुर्वेद में डायबिटीज के लिए कई उपयोगी जड़ी-बूटियां बताई गई हैं, लेकिन डॉ. श्रेय शर्मा सावधान करते हैं कि इनका सेवन लगातार और लंबे समय तक नहीं करना चाहिए।
1. कड़वी जड़ी-बूटियां
नीम, करेला, गुड़मार, मेथी दाना ये सभी जड़ी-बूटियां और बीज ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करते हैं, लेकिन इन्हें अधिक समय तक लगातार लेना नुकसानदायक (What not to eat when diabetic) हो सकता है। डॉ. श्रेय शर्मा कहते हैं, ''इन औषधियों को सप्ताहभर या अधिकतम 10 दिन तक लें, फिर कुछ दिन का अंतर रखें। क्योंकि लंबे समय तक सेवन करने से धातुक्षय यानी शरीर की शक्ति घटने लगती है।''
2. बल्य और रसायन औषधियां
डायबिटीज रोगी के शरीर में धीरे-धीरे कमजोरी आती है, इसलिए आयुर्वेद में बल्य (शक्ति देने वाली) औषधियों का प्रयोग जरूरी है।
त्रिफला: पाचन को सुधारता है और शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालता है।
शिलाजीत: एनर्जी और सहनशक्ति बढ़ाता है।
अश्वगंधा: तनाव घटाता है और इंसुलिन सेंसेटिविटी बढ़ाता है।
ब्राह्मी: मानसिक शांति और नर्वस सिस्टम को मजबूत करती है।
हल्दी: सूजन घटाने और ब्लड शुगर कंट्रोल करने में सहायक है।
डॉक्टर की सलाह
डॉ. श्रेय शर्मा सलाह देते हैं कि डायबिटीज के किसी भी इलाज को खुद से शुरू न करें। आयुर्वेदिक औषधि की मात्रा, सेवन विधि और समय व्यक्ति की प्रकृति, आयु और रोग की अवस्था के अनुसार बदलती है। इसलिए हमेशा किसी प्रमाणित आयुर्वेदाचार्य या डॉक्टर की सलाह से ही दवा लें।
निष्कर्ष
डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार, आयुर्वेद डायबिटीज को केवल ब्लड शुगर की समस्या नहीं मानता बल्कि इसे शरीर की समग्र असंतुलन की स्थिति कहता है। इसलिए इसका इलाज भी केवल औषध से नहीं, बल्कि आहार, विहार और मानसिक संतुलन से होता है। आयुर्वेद का उद्देश्य रोग को दबाना नहीं, बल्कि शरीर की प्राकृतिक शक्ति को दोबारा स्थापित करना है। सही भोजन, समय पर दिनचर्या और एक्सपर्ट की सलाह से अपनाया गया आयुर्वेदिक तरीका डायबिटीज को कंट्रोल में रख सकता है और लंबे समय तक स्वस्थ जीवन का आधार बन सकता है।
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Nov 06, 2025 16:05 IST
Modified By : Akanksha TiwariNov 06, 2025 16:05 IST
Modified By : Akanksha TiwariNov 06, 2025 16:05 IST
Published By : Akanksha Tiwari