
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में सबसे ज्यादा असर अगर किसी चीज पर पड़ा है, तो वह है हमारा पाचन तंत्र। गलत खानपान, समय पर भोजन न करना, ज्यादा तला-भुना और प्रोसेस्ड फूड खाने की आदत ने पेट से जुड़ी समस्याओं को आम बना दिया है। गैस, एसिडिटी, कब्ज, भारीपन और अपच जैसी दिक्कतें अब सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि युवा और बच्चे भी इससे परेशान हैं। ऐसे में लोग अक्सर यह सोचने लगते हैं कि आखिर रोज खाए जाने वाले आटे में ही कहीं समस्या तो नहीं छिपी है। इस लेख में सिरसा के रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, पेट के लिए सबसे हल्का आटा कौन-सा होता है?
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पेट के लिए सबसे हल्का आटा कौन-सा होता है? - Which flour is light on the stomach
आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार जौ का आटा पेट के लिए सबसे हल्का माना जाता है। यह न सिर्फ पाचन में सहायक है, बल्कि कई गंभीर बीमारियों में भी लाभकारी साबित होता है। आयुर्वेद में जौ को एक विशेष अनाज माना गया है। इसे शीत वीर्य वाला बताया गया है, यानी इसका प्रभाव शरीर को ठंडक देने वाला होता है। इसके अलावा जौ को रसायन श्रेणी में रखा गया है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर के ऊतकों को पोषण देता है और स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। जौ का नियमित सेवन शरीर को हल्का रखता है और पाचन तंत्र पर अतिरिक्त दबाव नहीं डालता।
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- डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि जौ का आटा आसानी से पच जाता है और आंतों में चिपचिपाहट पैदा नहीं करता।
- इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो आंतों की सफाई में मदद करती है। जौ का आटा खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है, लेकिन भारीपन या सुस्ती महसूस नहीं होती।
- यही कारण है कि जिन लोगों को अक्सर गैस, एसिडिटी या कब्ज की समस्या रहती है, उनके लिए जौ का आटा एक बेहतर विकल्प माना जाता है।
1. डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद
आयुर्वेद के अनुसार जौ का आटा मधुमेह यानी डायबिटीज में सबसे ज्यादा फायदेमंद अनाजों में से एक है। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे यह ब्लड शुगर को तेजी से नहीं बढ़ाता। जौ शरीर में इंसुलिन की संवेदनशीलता को बेहतर करने में मदद करता है। यही वजह है कि आयुर्वेदिक चिकित्सक डायबिटीज के मरीजों को गेहूं की जगह या उसके साथ जौ के आटे को शामिल करने की सलाह देते हैं।
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2. वजन और मेटाबॉलिज्म पर असर
जौ का आटा उन लोगों के लिए भी लाभकारी है जो वजन बढ़ने से परेशान हैं। यह मेटाबॉलिज्म को बेहतर करता है और शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी को कम करने में मदद करता है। चूंकि यह पेट को हल्का रखता है, इसलिए बार-बार भूख लगने की समस्या भी कम होती है। आयुर्वेद के अनुसार जौ कफ और पित्त को संतुलित करता है, जिससे शरीर का वजन कंट्रोल रहता है।
सावधानियां
हालांकि जौ का आटा सेहत के लिए फायदेमंद है, लेकिन आयुर्वेद में हर व्यक्ति की प्रकृति को ध्यान में रखना जरूरी माना गया है। डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार जो लोग बहुत ज्यादा वातिक प्रकृति के होते हैं, यानी जो दुबले-पतले हैं, जिनमें ड्राइनेस, कमजोरी या जोड़ों में दर्द की समस्या रहती है, उन्हें जौ का आटा अकेले नहीं खाना चाहिए। ऐसे लोगों में जौ वात को बढ़ा सकता है, जिससे कमजोरी या गैस की समस्या बढ़ सकती है। वातिक प्रकृति वाले लोगों को सलाह दी जाती है कि वे जौ के आटे को गेहूं, बाजरा या चावल के आटे के साथ मिलाकर सेवन करें। इससे जौ के गुण तो मिलते हैं, लेकिन वात बढ़ने का खतरा कम हो जाता है।
निष्कर्ष
आयुर्वेद के अनुसार पेट के लिए सबसे हल्का आटा जौ का आटा होता है। यह शीत वीर्य वाला, रसायन गुणों से भरपूर और डायबिटीज में विशेष रूप से लाभकारी है। हालांकि, बहुत ज्यादा वातिक और दुबले-पतले लोगों को इसे अन्य अनाजों के साथ मिलाकर ही खाना चाहिए। अगर सही तरीके और सही मात्रा में जौ का आटा अपने आहार में शामिल किया जाए, तो यह पाचन से लेकर ब्लड शुगर और वजन कंट्रोल तक में अहम भूमिका निभा सकता है।
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FAQ
पेट में अपच होने पर क्या खाएं?
गैस और अपच में हल्का, फाइबर युक्त आहार लेना लाभकारी होता है। जौ, मूंग दाल, हरी सब्जियां और घी का सेवन पेट को शांत रखते हैं।पेट की सूजन को तुरंत कैसे रोकें?
भारीपन या सूजन में हल्का, पचने में आसान भोजन लें। मसाले कम करें और जौ की रोटियों को घी के साथ खाना मददगार होता है।क्या शुगर में जौ का आटा खा सकते हैं?
हां, जौ का आटा कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला होता है, जिससे ब्लड शुगर जल्दी बढ़ता नहीं। इसलिए डायबिटीज के मरीज इसे अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
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Dec 30, 2025 15:34 IST
Published By : Akanksha Tiwari
