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इरिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या से हैं परेशान, तो डाइट में शामिल करें ये 5 आटा, मिलेगा आराम

Which Flour Is Best For IBS in Hindi: इरिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या में पेट से जुड़ी समस्याओं से राहत पाने के लिए जरूरी है कि आप अपनी डाइट में ऐसे आटे को शामिल करें, जो इसके लक्षणों को कंट्रोल कर सके।  
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इरिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या से हैं परेशान, तो डाइट में शामिल करें ये 5 आटा, मिलेगा आराम


आईबीएस यानी इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome) एक पेट से जुड़ी एक आम समस्या बन चुकी है। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को पेट दर्द, दैस, दस्त औऱ कब्ज जैसी समस्याओं का सामना बार-बार करना पड़ता है। IBS की समस्या का कोई स्थायी इलाज नहीं है। लेकिन, सही खानपान और लाइफस्टाइल की मदद से इसके लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है। इसलिए, जब भी IBS से पीड़ित मरीजों के खानपान की बात आती है, तो ज्यादातर लोग इस बात को लेकर कंप्यूज रहते हैं कि आईबीएस के लिए किस प्रकार की रोटी सबसे अच्छी है? या आईबीएस रोगियों के लिए कौन सा आटा सबसे अच्छा है? ऐसे में IBS में कौन-सा आटा खाना सुरक्षित होता है, इस बारे में जानने के लिए हमने न्यूट्रिशनिस्ट उजमा बानो (Msc. Nutrition, DNHE) से बात की-

न्यूट्रिशनिस्ट उजमा बानो के अनुसार, "अक्सर लोग मान लेते हैं कि IBS का मलतब है कि आप -पूरी तरह ग्लूटेन छोड़ दें। लेकिन, यह पूरी तरह सच नहीं है। गेहूं में केवल ग्लूटेन ही नहीं होता, बल्कि इसमें फ्रुक्टान नाम का फोडमैप भी होता है, जो आंत में फर्मेंटेशन करके लक्षणों को बढ़ा सकता है। इसलिए, जरूरी यह नहीं कि आप सिर्फ ग्लूटेन खाना छोड़ा दें, बल्कि यह समझना भी जरूरी है कि आप IBS में किस तरह के आटे की रोटी को अपनी डाइट में शामिल है।"

IBS में किस आटे की रोटी खानी चाहिए? - Which Flour is Best For IBS in Hindi

न्यूट्रिशनिस्ट उजमा बानो का कहना है कि, IBS की समस्या में लो-फोडमैप और फाइबर से भरपूर आटे का सेवन करना फायदेमंद माना जाता है, जिसके लिए आप इन विकल्पों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं-

1. राई

राई का आटा फाइबर से भरपूर होता है और इसमें ग्लूटेन की मात्रा भी गेहूं के मुकाबले कम होती है। लेकिन ध्यान रहे, ट्रेडिशनल राई आटा हाई-फोडमैप हो सकता है, लेकिन लो-फोडमैप प्रोसेसिंग के जरिए तैयार राई के आते IBS की समस्या में फायदेमंद हो सकते हैं। लो-फोडमैप राई के आटे की रोटी में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जो आपके पेट को लंबे समय तक भरा रखता है और ये कब्ज की समस्या में भी फायदेमंद माना जाता है। लेकिन, ध्यान रखें कि आप इसे ज्यादा मात्रा में खाने से बचें और सिर्फ लो-फोडमैप राई का आटा ही चुनें।

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2. ट्रिटोरडियम

ट्रिटोरडियम गेहूं और जौ का हाइब्रिड अनाज होता है, जिसमें ग्लूटेन की मात्रा बहुत कम होती है और फोडमैप भी बहुत कम होता है। ट्रिटोरडियम आटा यूरोप में तेजी से मशहूर हो रहा है और इसे IBS से पीड़ित मरीजों के लिए काफी फायदेमंद माना जा रहा है। इस आटे की रोटी में फाइबर, प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होता है, जो न सिर्फ खाने में हल्का और आसानी से पचने वाला होता है, बल्कि ये सेहत के लिए भी बेहज फायदेमंद होता है।

3. बाजरा, ज्वार और रागी का आटा

भारत में कई समय से बाजरे, ज्वार और रागी को मिलाकर आटा तैयार किया जा रहा है, जिसकी रोटी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है। सही तरीके से इस्तेमाल करने पर ये मिलेट्स IBS के लिए काफी फायदेमंद हो सकते हैं, लेकिन इन्हें संयम के साथ लेना बहुत जरूरी है। इस आटें में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, ये ग्लूटेन फ्री होता है, जो पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद माना जाता है। लेकिन, ध्यान रहे कुछ लोगों को बाजरे से एसिजिटी की समस्या हो सकती है, इसलिए हमेशा इस आते को कम मात्रा में लेना शुरू करें।

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4. चावल का आटा

चावल का आटा पूरी तरह से ग्लूटेन-फ्री और लो-फोडमैप होता है, लेकिन यह ज्यादा पोषक तत्वों से भरपूर नहीं होते हैं। हालांकि, IBS से पीड़ित मरीजों के लिए ये एक सुरक्षित विकल्प है, जो पेट में गैस और ब्लोटिंग की समस्या को नहीं बढ़ाता है। लेकिन, इसमें फाइबर की कमी होती है, जिससे आपको जल्दी भूख लग सकती है, क्योंकि ये आपके पेट को लंबे समय तक एनर्जी नहीं दे पाता है। इसलिए, इसे खाते समय इस बात का ध्यान रखें कि चावल का आता IBS की समस्या में सेफ तो है लेकिन ज्यादा प्रभावी नहीं।

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5.. नारियल, क्विनोआ और अमरंथ का आटा

नारियल, क्विनोऔ और अमरंथ आटा ग्लूटेन-फ्री और लो-फोडमैप माने जाते हैं। नारियल के आटे में फाइबर ज्यादा मात्रा में होता है, जो आपके आंतों की सफाई करने में मदद कर सकता है। यह सभी आटे लो-फोडमैप, हेल्दी फैट्स और प्रोटीन से भरपूर होते हैं, जिन्हें खाने से एनर्जी होने की संभावना भी कम होती है।

आईबीएस के लिए आटा कैसे चुनें? - How To Choose The Right Flour in Hindi?

IBS की समस्या में पेट से जुड़ी समस्याओं को बढ़ने से रोकने और स्वस्थ रहने के लिए आटा चुनते समय आ इन बातों को ध्यान में रखें-

  • कम-फोडमैप वाले आटे को प्राथमिकता दें और सिर्फ ग्लूटेन-फ्री देख कर आटा न चुनें, बल्कि लो-फोडमैप अनाज चुनें।
  • किसी भी नए आटे को अचानक अपनी डाइट में ज्यादा मात्रा में शामिल न करें, बल्कि धीरे-धीरे इनकी मात्रा बढ़ाएं, ताकि आपके पेट को आदत हो सके।
  • अपने आटे में फाइबर संतुलन का ध्यान रखें। बहुत ज्यादा या बहुत कम फाइबर से भरपूर आटा भी न चुनें।
  • सादा और बहुत कम प्रोसेस्ड आटा चुनें, क्योंकि प्रीमिक्स, इंस्टेंट डोसा/इडली मिक्स में फोडमैप्स ज्यादा हो सकते हैं।

निष्कर्ष

IBS में किस आटे की रोटी खाएं? इस बात का चुनाव करना बहुत ही जरूरी और मुश्किल काम है। IBS में चावल का आटा आपके लिए एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है, लेकिन इसमें पोषक तत्वों की कमी होती है, जिस कारण आप अन्य विकल्पों को भी चुन सकते हैं, जिससे आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व भी मिलते रहे। ध्यान रहे, IBS के लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए सही डाइट लेना बहुत जरूरी है।

Image Credit: Freepik

FAQ

  • आईबीएस में क्या नहीं खाना चाहिए?

    इरिटेबल बाउल सिंड्रोम से पीड़ित लोगों को कुछ खास तरह के खाद्य पदार्थों से परहेज करने की सलाब दी जाती है, ताकि इसके लक्षणों को कम किया जा सके। इन फूड्स में आप हाई फोडमैप वाले फूड्स जैसे बीन्स, गोभी, ब्रोकली, फूलगोभी, प्याज और कुछ तरह के फलों को खाने से बचना चाहिए।
  • IBS के क्या लक्षण हैं?

    इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के मुख्य लक्षणों में पेट में दर्द या ऐंठन, सूजन, गैस और कब्ज की समस्या शामिल हैं। ये लक्षण समय-समय पर बढ़ते घटते रहते हैं और कई दिनों, हफ्तों या महीनों तक रह सकते हैं।
  • इरिटेबल बाउल सिंड्रोम क्यों होता है?

    इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) होने के सही कारणों के बारे में पूरी तरह से समझ पाना मुश्किल है, लेकिन, यह गट और ब्रेन के बीच होने वाले संपर्क में समस्या, आंतों की मांसपेशियों में समस्या और आंतों में सूजन जैसे कारणों से जुड़ा है।

 

 

 

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