आज के समय में खराब लाइफस्टाइल, खानपान की गलत आदतें और शारीरिक गतिविधियों की कमी जैसे कारणों से लोगों में पेट से जुड़ी बीमारियां काफी ज्यादा बढ़ गई हैं। खासकर इरिटेबल बाउल सिंड्रोम और कब्ज जैसी समस्याओं से हर दूसरा व्यक्ति परेशान रहना है। ये दो ऐसी समस्याएं हैं, जो आपको कभी भी किसी भी व्यक्ति के मुंह से सुनने को मिल सकती हैं। लेकिन, कई बार लोग इन दोनों समस्याओं में अंतर समझने में चुक कर देते हैं। भले ही ये दोनों परेशानियां पेट से जुड़ी हैं,लेकिन, इनके होने के कारण, लक्षण और इलाज बिल्कुल अलग-अलग होते हैं। ऐसे में आइए एनआईटी फरीदाबाद में स्थित संत भगत सिंह महाराज चैरिटेबल हॉस्पिटल के जनरल फिजिशियन डॉ. सुधीर कुमार भारद्वाज से जानते हैं कि इरिटेबल बाउल सिंड्रोम और कब्ज में क्या अंतर है। लेकिन उससे पहले जानते हैं कि IBS और कब्ज क्या है?
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम क्या है? - What is Irritable Bowel Syndrome in Hindi
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम यानी IBS एक क्रॉनिक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर है, जो बड़ी आंत (large intestine) को प्रभावित करता है। यह एक फंक्शनल डिसऑर्डर होता है, यानी यह आंतों की कार्यप्रणाली में गड़बड़ी की समस्या होती है। IBS होने पर पेट में बार-बार दर्द या ऐंठन, गैस बनना और ब्लोटिंग, बार-बार शौच जाना या कभी बहुत कम जाना, दस्त या बहुत टाइट मल होना, शौच के बाद भी पेट साफ न लगना, और कुछ खाने के बाद तुरंत पेट खराब होने जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। IBS आमतौर पर 3 प्रकार के होते हैं, जिसमें कब्ज की समस्या ज्यादा होना, दस्त ज्यादा आना या कभी दस्त तो कभी कब्ज दोनों एक-एक करके होने की समस्या हो सकती है।
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कब्ज क्या है? - What Is Constipation in Hindi?
कब्ज (Constipation) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को नियमित रूप से मल त्याग करने में मुश्किल होती है या मल बहुत कठोर और सूखा हो जाता है। यह एक सामान्य पाचन से जुड़ी समस्या है और अक्सर लाइफस्टाइल या खानपान में गड़बड़ी होने के कारण होती है। कब्ज की समस्या होने पर हफ्ते में 2-3 बार से कम शौच जाना, मल बहुत सख्त या सूखा होना, शौच के दौरान बहुत जोर लगाना, पेट में भारीपन महसूस होना और शौच के बाद अधूरा महसूस होने जैसे लक्षण नजर आते हैं।
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम और कब्ज में अंतर - Difference Between Irritable Bowel Syndrome And Constipation in Hindi
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) और कब्ज दोनों ही आम, लेकिन पाचन से जुड़ी समस्याएं हैं। हालांकि इनके होने के कारण, लक्षण एक दूसरे से बिल्कुल अलग-अलग होते हैं। IBS एक फंक्शनल गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर है, जिसमें पाचन तंत्र की से जुड़ी समस्या हो सकती है। इस समस्या के कारण पीड़ित को कभी दस्त, कभी कब्ज, पेट में मरोड़, गैस और सूजन जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। इसके होने का कारण मानसिक तनाव, डिप्रेशन और एंग्जाइटी भी बड़ा कारण है। दूसरी ओर, कब्ज एक सामान्य समस्या है, जिसमें व्यक्ति को मल त्यागने में मुश्किल होती है या मल कठोर और सूखा हो जाता है, इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को कई दिन तक मल त्याग नहीं होता है, जिससे पेट में दर्द आदि समस्या हो सकती है। यह आमतौर पर पानी की कमी, फाइबर की कमी और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण होता है।
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बता दें कि दोनों समस्याओं में बहुत ज्यादा अंतर होने के साथ-साथ इनके इलाज भी अलग-अलग होते हैं। IBS के इलाज में डाइट मैनेजमेंट, तनाव कम लेना और डॉक्टर की सलाह पर कुछ दवाइयों का सेवन शामिल है। जबकि कब्जी की समस्या से राहत पाने के लिे फाइबर से भरपूर फूड्स का सेवन, पर्याप्त मात्रा में पानी और नियमित रूप से एक्सरसाइज करना शामिल है।
निष्कर्ष
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम और कब्ज दोनों ही आम लेकिन अलग-अलग पेट से जुड़ी समस्याएं हैं। जहां कब्ज लाइफस्टाइल से जुड़ी एक समस्या है, वहीं इरिटेबल बाउल सिंड्रोम पाचन तंत्र की कार्यप्रणाली को प्रभावित करती है। इसलिए, समस्या की सही समय पर पहचान करके आप सही इलाज की मदद से परेशानी को समय पर ठीक कर सकते हैं।
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FAQ
आईबीएस के 3 लक्षण क्या हैं?
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम यानी IBS की समस्या होने पर आपके शरीर में ये 3 खास लक्षण नजर आ सकते हैं, जिसमें पेट में दर्द या ऐंठन, दस्त या कब्ज और ब्लोटिंग की समस्या शामिल है।कब्ज होने पर क्या दिक्कत होती है?
कब्ज की समस्या होने पर पेट में दर्द होना, ब्लोटिंग, मल त्याग करने में मुश्किल, मल का सूखा होना और बहुत सख्त होने के स्था सही तरह से साफ न करने जैसे परेशानियां शामिल हैं।कब्ज किसकी कमी से होता है?
कब्ज की समस्या आमतौर पर शरीर में फाइबर की कमी, पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण होता है।