क्या इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) में रोज योगासन सच में फायदेमंद है? स्टडी में सामने आया सच

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) में पेट दर्द, गैस, कब्ज और दस्त जैसी समस्याएं आम हैं। एक स्टडी के अनुसार रोज योगासन और प्राणायाम करने से IBS के लक्षण, तनाव और क्वालिटी ऑफ लाइफ में सुधार देखा गया है।
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क्या इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) में रोज योगासन सच में फायदेमंद है? स्टडी में सामने आया सच

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम यानी IBS आज की लाइफस्टाइल से जुड़ी एक गंभीर समस्या है, जिसके मरीज पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़े हैं। इसके लक्षण तो बड़े सामान्य लगते हैं, जैसे- पेट दर्द, बार-बार गैस बनना, सूजन, कभी कब्ज तो कभी दस्त आदि, लेकिन ये बीमारी लंबे समय में सिर्फ पेट तक सीमित नहीं रहती, बल्कि व्यक्ति की दिनचर्या, काम करने की क्षमता और मानसिक स्थिति तक को प्रभावित करती है।


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IBS की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इसे सिर्फ दवाइयों की मदद से पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि कई तरह के शोध और डॉक्टर्स के निजी अनुभव से यह पता चलता है कि इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम यानी आईबीएस को ठीक करने के लिए लाइफस्टाइल, खासकर संतुलित डाइट और योगासनों की बड़ी भूमिका हो सकती है।

इसी संदर्भ में हाल में एक नई स्टडी प्रकाशित हुई है, जिसमें यह समझने की कोशिश की गई है कि नियमित योग अभ्यास IBS के मरीजों के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है। यह स्टडी पतंजलि विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने की है और इसे PubMed Central में प्रकाशित किया गया है। इस स्टडी में योग के प्रभाव को IBS के लक्षणों, तनाव और जीवन की गुणवत्ता के संदर्भ में देखा गया है।

स्टडी में क्या देखा गया?

इस रिसर्च में कई क्लिनिकल स्टडीज को शामिल किया गया, जिनमें IBS से पीड़ित मरीजों पर योगासन, प्राणायाम और ध्यान के प्रभाव को परखा गया। योग कार्यक्रमों की अवधि अलग-अलग थी, लेकिन अधिकतर स्टडीज में नियमित अभ्यास को फॉलो किया गया। परिणामों की तुलना उन लोगों से की गई, जिन्होंने सामान्य इलाज या अन्य थेरेपी अपनाई थी।

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IBS के लक्षणों पर योग का असर

स्टडी के नतीजे बताते हैं कि जिन लोगों ने योग का अभ्यास किया, उनमें IBS के लक्षणों में साफ सुधार देखा गया।

  • पेट दर्द और पेट में होने वाली असहजता में कमी आई
  • गैस और ब्लोटिंग की समस्या कम हुई
  • कब्ज और दस्त जैसे लक्षणों में सुधार देखा गया
  • IBS की कुल गंभीरता को मापने वाले स्कोर बेहतर हुए

यह इस बात की ओर इशारा करता है कि योग IBS के मुख्य शारीरिक लक्षणों को कंट्रोल करने में काफी असरदार साबित हो सकता है।

तनाव और चिंता पर भी दिखा असर

IBS को कई बार “गट-ब्रेन डिसऑर्डर” भी कहा जाता है, यानी इस बीमारी में दिमाग और आंतों के बीच तालमेल बिगड़ने से लक्षण बढ़ जाते हैं। स्टडी में यह भी सामने आया कि योग करने वाले मरीजों में:

  • चिंता और तनाव का स्तर कम हुआ
  • मानसिक बेचैनी में कमी आई
  • बीमारी को लेकर डर और असहजता घटती दिखी

क्योंकि तनाव IBS को और बिगाड़ सकता है, इसलिए अगर इसे कंट्रोल कर लिया जाए, तो मरीज के लिए बीमारी से लड़ना बहुत हद तक आसान हो जाता है।

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क्वालिटी ऑफ लाइफ में सुधार

IBS के कारण अक्सर मरीज की सोशल लाइफ, काम और रोजमर्रा की गतिविधियां प्रभावित होती हैं। इस स्टडी में योग करने वाले लोगों की Quality of Life Score भी योग न करने वाले लोगों से बेहतर पाया गया। यानी उन्हें न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्तर पर भी राहत महसूस हुई।

योग क्यों करता है IBS में मदद?

स्टडी और उससे जुड़ी वैज्ञानिक समझ के अनुसार, इसके पीछे कुछ अहम कारण हो सकते हैं, जिनमें से एक यह है कि योग शरीर और मन दोनों पर एक साथ काम करता है। दरअसल योग पैरासिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम को सक्रिय करता है, जिससे शरीर रिलैक्स मोड में आता है। प्राणायाम और ध्यान से दिमाग की ओवर-एक्टिविटी कम होती है, जो IBS में आम समस्या है। इसके अलावा हल्के योगासन पेट और आंतों की मूवमेंट को संतुलित करने में मदद कर सकते हैं। तो कुल मिलाकर नियमित योग करने से IBS में कई स्तर पर फायदे हो सकते हैं।

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अकेले योग कारगर नहीं

स्टडी यह भी साफ करती है कि योग को IBS का इकलौता इलाज नहीं माना जाना चाहिए। यह एक पूरक (Adjunct) थेरेपी है, जो मेडिकल ट्रीटमेंट, डाइट मैनेजमेंट और डॉक्टर की सलाह के साथ अपनाई जाए, तो बेहतर रिजल्ट दे सकती है। हालांकि अभी यह स्टडी बहुत छोटे स्टर पर की गई है और आगे इसे और बड़े स्तर पर करने की जरूरत है, लेकिन मौजूदा रिजल्ट यह संकेत जरूर देते हैं कि योग IBS मैनेजमेंट का एक सुरक्षित और उपयोगी हिस्सा बन सकता है।

अगर आप IBS से जूझ रहे हैं, तो डॉक्टर की सलाह के साथ योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है। पतंजलि योग पीठ लगभग हर बीमारी को ठीक करने या इसे कंट्रोल करने के लिए दवाओं के बजाय आयुर्वेद और योग के महत्व को बढ़ावा देता है, ताकि बीमारी को नेचुरल तरीके से खत्म किया जा सके। आप भी इनके बताए योगासनों का अभ्यास कर स्वस्थ और रोगमुक्त जीवन जी सकते हैं।

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  • Dec 24, 2025 18:50 IST

    Published By : Anurag Gupta

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