आजकल पेट की समस्याएं जैसे गैस, सूजन, कब्ज या दस्त बहुत आम हो गई हैं। इनमें से सबसे परेशान करने वाली स्थिति इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम यानी आईबीएस है। आईबीएस के मरीजों के लिए रोजमर्रा की जिंदगी कठिन हो सकती है। पेट दर्द, अनियमित दस्त, ब्लोटिंग और खाने के बाद भारीपन जैसी समस्याएं उनके कामकाज को भी प्रभावित कर सकती हैं। कई बार लोग दवाइयों पर निर्भर हो जाते हैं, लेकिन प्रोबायोटिक दही आईबीएस के लक्षणों को कुछ हद तक कंट्रोल करने में मदद कर सकता है। प्रोबायोटिक दही में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं, जो आंत के बैक्टीरियल बैलेंस को सुधारते हैं। आईबीएस के मरीजों में अक्सर अच्छे और बुरे बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाता है। यही असंतुलन पेट में सूजन, गैस और दर्द पैदा करता है। इस लेख में जयपुर स्थित Angelcare-A Nutrition and Wellness Center की निदेशक, डाइटिशियन एवं न्यूट्रिशनिस्ट अर्चना जैन (Archana Jain, Dietitian and Nutritionist, Director, Angelcare-A Nutrition and Wellness Center, Jaipur) से जानिए, IBS मरीजों के लिए प्रोबायोटिक दही के फायदे क्या हैं?
IBS मरीजों के लिए प्रोबायोटिक दही के फायदे - Probiotic Yogurt Benefits For IBS Patients
डाइटिशियन एवं न्यूट्रिशनिस्ट अर्चना जैन बताती हैं कि इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के मरीजों में अक्सर आंत में गट माइक्रोबायोटा यानी अच्छे और बुरे बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाता है। अच्छे बैक्टीरिया कम हो जाते हैं और हानिकारक बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं, जिससे पेट में सूजन, दर्द और गैस जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। प्रोबायोटिक दही में मौजूद जीवाणु आंत में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाते हैं और बैक्टीरियल बैलेंस को बेहतर करने में मदद करते हैं।
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- इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या में दही खाने से पाचन सुधरता है, जिससे खाना जल्दी और बेहतर तरीके से टूटता है और पोषण अवशोषित होता है।
- आईबीएस में दही खाने से गैस और ब्लोटिंग कम होती है और हानिकारक बैक्टीरिया की संख्या घटती है।
- दही खाने से इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है
- दही खाने से आईबीएस लक्षण कंट्रोल रहते हैं और दस्त और कब्ज की आवृत्ति कम होती है।
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प्रोबायोटिक दही का सही सेवन कैसे करें? - How to take probiotic yogurt
- रोजाना 1-2 कप खाने के साथ या बीच में दही का सेवन कर सकते हैं।
- नेचुरल या कम शुगर वाला दही ही खाएं, ज्यादा मीठा दही आंत में सूजन बढ़ा सकता है।
- ताजा दही का सेवन ही करें, स्टोर किए हुए प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स की तरह दही न लें।
आईबीएस का मैनेजमेंट सिर्फ दही खाने से नहीं होता। बैलेंस डाइट, पर्याप्त पानी, स्ट्रेस कंट्रोल और नियमित एक्सरसाइज भी जरूरी हैं। प्रोबायोटिक दही इन उपायों के साथ मिलकर आईबीएस के लक्षणों को काफी हद तक कम कर सकता है।
निष्कर्ष
आईबीएस के मरीजों के लिए प्रोबायोटिक दही एक नेचुरल, सुरक्षित और प्रभावी विकल्प है। यह आंत में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाता है, पाचन सुधरता है और पेट की सूजन व गैस को कम करता है। हालांकि, हर मरीज पर असर अलग हो सकता है और किसी भी गंभीर लक्षण या बदलाव पर डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। सही डाइट, लाइफस्टाइल और प्रोबायोटिक दही के नियमित सेवन से आईबीएस के लक्षणों में सुधार संभव है।
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FAQ
रोजाना कितनी प्रोबायोटिक दही खानी चाहिए?
रोजाना 1-2 कप ताजा प्रोबायोटिक दही खाना पर्याप्त है। यह आंत में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाने में मदद करता है।कौन सा दही सबसे अच्छा है?
ताजा और कम शुगर वाला दही सबसे फायदेमंद है। ज्यादा मीठा या प्रोसेस्ड दही पेट में सूजन और गैस बढ़ा सकता है।आईबीएस का परमानेंट इलाज क्या है?
IBS के लिए दवाओं के साथ-साथ हेल्दी लाइफस्टाइल जरूरी है। बैलेंस डाइट, पर्याप्त पानी, स्ट्रेस कम करना और नियमित हल्की फिजिकल एक्टिविटी से बेहतर रिजल्ट मिलता है।
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Sep 29, 2025 17:15 IST
Published By : Akanksha Tiwari