कांजी के फायदे: गर्मियां आने के साथ लोगों की पेट से जुड़ी समस्याएं शुरू हो गई हैं। सबसे ज्यादा लोग एसिडिटी, गैस, बदहजमी और फिर ब्लोटिंग की शिकायत करते हैं। बात ब्लोटिंग की करें तो ब्लोटिंग, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (irritable bowel syndrome) का लक्षण है। आईबीएस की समस्या तब होती है जब भोजन आपकी आंत से बहुत तेजी से या बहुत धीरे से गुजरती है। इसके अलावा जब आपके पेट में गुड बैक्टीरिया कम हो जाते हैं तब भी ब्लोटिंग की समस्या देखी जाती है। ऐसे में पेट में सूजन के साथ दर्द, दस्त, कब्ज और मल के रंग-रूप में बदलाव महसूस होता है। इस स्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और बार-बार दवा लेना भी सही नहीं है। ऐसे में अगर आप डाइट में कुछ बदलाव कर लें तो इसमें कमी आ सकती है। जैसे कि कांजी (Kanji benefits in hindi), आइए आयुर्वेदिक एक्सपर्ट Dr. Rini Vohra Shrivastava, Scientific Advisor, Maharishi Ayurveda से जानते हैं आईबीएस रोगियों के लिए कांजी के फायदे।
क्या कांजी आईबीएस रोगियों के लिए अच्छा है-Is Kanji good for Irritable bowel syndrome in hindi
Dr. Rini Vohra Shrivastava, बताती हैं कि कांजी, एक पारंपरिक आयुर्वेदिक प्रोबायोटिक ड्रिंक है जिसे पाचन के लिए अच्छा माना जाता है। यह शरीर की अग्नि (पाचन अग्नि) को उत्तेजित करके पाचन में सहायता करने के लिए शक्तिशाली गुणों से भरपूर है। दरअसल, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (irritable bowel syndrome) में आंतों की सेहत ज्यादा प्रभावित होती है, ऐसे में आंत के स्वास्थ्य को बढ़ाने की अपनी क्षमता के साथ, कांजी चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (IBS) से पीड़ित व्यक्तियों के लिए एक प्रभावी आहार पूरक हो सकता है। आयुर्वेद में, चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (IBS) ग्रहणी रोग (Grahani Roga) से जुड़ा हुआ है, एक ऐसी स्थिति, जो मुख्य रूप से अग्निमांद्य यानी कम पाचन अग्नि के कारण होती है। हालांकि, इसका मुख्य कारण है खराब आहार और जीवनशैली की आदतें जो कि पाचन अग्नि को प्रभावित करते हैं। यह स्थिति पाचन तंत्र को कमजोर करती है, जिससे भोजन को पचाना मुश्किल हो जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार ग्रहणी चार प्रकार की होती है: वातज यानी वात दोष का बढ़ना, पित्तज यानी पित्त दोष का बढ़ना, कफज यानी कफ दोष का बढ़ना और सन्निपातिका यानी तीनों दोषों का बढ़ना। इसे नियंत्रित करने के लिए पाचन अग्नि को बहाल करना जरूरी है। कांजी पाचन में सहायता करके और अग्नि को बहाल करके IBS प्रबंधन के लिए एक शक्तिशाली सुपरफूड हो सकता है। क्योंकि कांजी, एक फर्मेंटेड ड्रिंक है, जो अपने प्रोबायोटिक गुणों के कारण सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। फर्मेंटेशन प्रोसेस में लैक्टोबैसिली शामिल होता है, जो पाचन में सहायता कर सकता है और चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (IBS) के लक्षणों को कम कर सकता है। तो आप इस ड्रिंक को ब्लोटिंग में या आईबीएस की दिक्कत में पी सकते हैं।
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IBS रोगियों के लिए कांजी ड्रिंक के प्रकार
- -चावल का कांजी जूस (Rice Kanji): चावल को उबालकर इसके पानी से बना कांजी पीना आईबीएस रोगियों के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। इरिटेबल बाउल सिंड्रोम में आप इसे पी सकते हैं।
- -काली गाजर कांजीम (Black Carrot Kanji): काली गाजर से बना कांजी सबसे फायदेमंद माना जाता है। ये एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है और इसमें सूजन-रोधी गुण हैं जो कि ब्लोटिंग की समस्या में कमी ला सकता है और आपके पाचन तंत्र को हेल्दी रख सकता है।
- - मसालेदार कांजी (Spiced Kanji): जीरा, धनिया और हल्दी जैसे मसाले मिलाने से पाचन बेहतर हो सकता है और सूजन कम हो सकती है। तो आप इसे कांजी को पी सकते हैं।
- - अदरक कांजी (Ginger Kanji): अदरक को शामिल करने से IBS से जुड़ी मतली और पाचन संबंधी परेशानी को कम करने में मदद मिल सकती है। तो आप अदरक कांजी बनाकर पी सकते हैं।
- - हर्बल कांजी (Herbal Kanji): पुदीना, कैमोमाइल या सौंफ जैसी जड़ी-बूटियों को मिलाने से अतिरिक्त पाचन लाभ और आराम मिल सकता है। तो आप इन चीजों से बनी कांजी भी पी सकते हैं।
ध्यान रखें कि कांजी तैयार करते समय, ऐसी सामग्री का उपयोग करना जरूरी है जो पेट के लिए कोमल हो और IBS रोगियों के लिए उपयुक्त हो। डेयरी या हाई FODMAP सामग्री जैसे ट्रिगर से बचना चाहिए। हालांकि कांजी का सेवन काफी हद तक सुरक्षित माना जा सकता है, लेकिन यह सभी के लिए उपयुक्त नहीं है। बेहोशी, चक्कर आना, अत्यधिक कमजोरी, त्वचा में खुजली, रक्तस्राव संबंधी विकार या अन्य त्वचा संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोगों को कांजी का सेवन नहीं करना चाहिए।
इसके गुणों से कुछ असंतुलन हो सकते हैं, जिससे यह ऐसे व्यक्तियों के लिए अनुपयुक्त हो जाता है। लेकिन, व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियों को ध्यान में रखते हुए इसका सेवन सावधानी से किया जाना चाहिए। व्यक्तिगत सलाह के लिए हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।