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ये 5 स्वास्थ्य समस्याएं करती हैं आपकी पाचन क्षमता को प्रभावित, बरतें जरूरी सावधानियां

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम, गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज और पेप्टिक अल्सर जैसी कुछ बीमारियों के कारण पाचन क्षमत पर निगेटिव असर पड़ता है।
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ये 5 स्वास्थ्य समस्याएं करती हैं आपकी पाचन क्षमता को प्रभावित, बरतें जरूरी सावधानियां

Medical Conditions That Can Affect The Digestive System In Hindi: पाचन क्षमता का सही होना बहुत जरूरी होता है। जब आपकी पाचन क्षमता सही होती है, तो इससे इम्यूनिटी बूस्ट होती है। इम्यूनिटी बेहतर होने पर बीमार होने का रिस्क कम हो जाता है। विशेषज्ञ यह सलाह देते भी देखे जाते हैं कि अगर आपको स्वस्थ रहना है, तो अपनी पाचन क्षमता में सुधार करें। इससे न सिर्फ बीमारी का जोखिम कम होता है, बल्कि लाइफ एक्सपेक्टेंसी भी बेहतर होती होती है। यह तमाम बातें जानने के बावजूद किसी न किसी कारणवश पाचन क्षमता पर निगेटिव असर पड़ता है, जो आपको बीमार कर सकती है। पाचन क्षमता के खराब होने के पीछे न सिर्फ हमारी खराब जीवनशैली जिम्मेदार है, बल्कि खानपान की बुरी आदतों का भी इसमें योगदान होता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि कुछ बीमारियां भी आपकी पाचन क्षमता को प्रभावित कर सकती है? जी, हां! यह सच है। आइए, जानते हैं कि वो कौन-सी बीमारियां हैं, जो आपकी पाचन क्षमता पर निगेटिव असर डालती हैं। इस बारे में हमने शारदा हॉस्पिटल में जनरल मेडिसिन के  प्रोफेसर डॉ. अनुराग प्रसाद में बात की है।

पाचन क्षमता को प्रभावित करने वाली बीमारियां

Medical Conditions That Can Affect The Digestive System In Hindi

गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज

गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज, एक तरह की डाइजेस्टिव डिसऑर्डर होता है। इसकी वजह पेट का एसिड एसोफैगस में लौट आता है, जिससे पेट में जलन होने लगती है। इस तरह की समस्या के सीने में जलन, सूजन और असहजता होने लगती है। अगर किसी को लंबे समय से गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज का रिस्क हो जाता है।

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इंफ्लेमेटरी बाउल सिंड्रोम

यह बीमारी भी पाचन क्षमता को प्रभावित करती है। दरअसल, इंफ्लेमेटरी बाउल सिंड्रोम की वजह से डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में सूजन हो जाती है। आपको बता दें कि इंफ्लेमेटरी बाउल सिंड्रोम दो तरह की होती हैं। एक, क्रॉन्स डिजीज और दूसरी अल्सरेटिव सोलाइटिस। ये दोनों समस्याएं एक-दूसरे से भिन्न हैं और इनके लक्षण भी अलग-अलग हैं। सामान्य इंफ्लेमेटरी बाउल सिंड्रोम होने पर मरीज के पेट में दर्द, डायरिया, रेक्टल ब्लीडिंग, थकान, वेट लॉस और पाचन क्षमता का प्रभावित होना शामिल है।

पेप्टिक अल्सर

Medical Conditions That Can Affect The Digestive System In Hindi

पेप्टिक अल्सर भी एक खतरनाक बीमारी है। इस शारीरिक समस्या के तहत पेट और छोटी आंत की लाइनिंग में दर्द भरे अल्सर हो जाते हैं। ये स्थिति काफी भयावह होती है। इस वजह से व्यक्ति को असहजता, उल्टी, पेट में दर्द और पाचन क्षमता का प्रभावित होना। यह बीमारी उन लोगों को अधिक होती है, जो नियमित रूप से स्मोकिंग करते हैं, शराब का सेवन करते हैं या लंबे समय तक स्ट्रेस में रहते हैं।

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गॉल स्टोन (पित्ताशय की पथरी)

जब गॉलब्लैडर में स्टोन का बनना ही गॉलस्टोन कहलाता है। आमतौर पर गॉलब्लैडर में कोलेस्ट्रॉल का सख्त होकर छोटे-छोटे पत्थर के आकार में जमना ही स्टोन होता है। यह अलग-अलग साइज के हो सकते हैं। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो स्थिति गंभर हो सकती है। गॉलस्टोन होने के कारण पाचन क्षमता पर निगेटिव असर पड़ता है। इसके अलावा, गॉलस्टोन होने पर पेट में असहनीय दर्द हो सकता है। ऐसा आमतौर पर मोटापे से गुजर रहे लोगों को और 40 साल की उम्र के बाद अधिक होता है।

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम भी डाइजेस्टिव डिसऑर्डर है, जो कि बड़ी आंत को प्रभावित करता है। इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम होने पर व्यक्ति को ब्लोटिंग, क्रैंपिंग, डायरिया और कब्ज होने की शिकायत हो सकती है। हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि किसी को इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम क्यों होता है? लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसके पीछे कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं, जैसे एन्वायरमेंटल फैक्टर और जेनेटिक्स। इसके अलावा, कुछ डेयरी प्रोडक्ट्स भी इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लिए जिम्मेदार होती हैं।

All Image Credit: Freepik

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