आज की तेज रफ्तार जिंदगी में अनियमित दिनचर्या, तनाव और असंतुलित खानपान ने कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दिया है। इन्हीं में से एक है आईबीएस (Irritable Bowel Syndrome), जो एक आम लेकिन गंभीर पेट की बीमारी है। IBS में व्यक्ति को पेट दर्द, गैस, सूजन, कब्ज या दस्त जैसी समस्याएं लगातार परेशान करती हैं। इस स्थिति में डाइट की भूमिका सबसे अहम होती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि गलत खानपान से लक्षण और अधिक बिगड़ सकते हैं। IBS से जूझ रहे लोगों को कई तरह की चीजों से परहेज करने की सलाह दी जाती है, जिनमें दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स भी शामिल हैं। दरअसल, दूध में मौजूद लैक्टोज नामक तत्व कई बार पचने में मुश्किल पैदा करता है, जिससे पेट में गैस, मरोड़ और असहजता हो सकती है। यही वजह है कि कई लोग ये जानना चाहते हैं कि IBS के मरीजों के लिए कौन सा दूध पीना सुरक्षित है? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने दिल्ली के एसेंट्रिक डाइट्स क्लीनिक की डाइटिशियन शिवाली गुप्ता (Shivali Gupta, Dietcian, Eccentric Diets Clinic) से बात की-
IBS में कौन सा दूध पीना चाहिए? - Which Milk Is Best For IBS Patients
दूध में लैक्टोज होता है, जिसे पचाने के लिए शरीर में लैक्टेज (lactase) एंजाइम की जरूरत होती है। कई IBS रोगियों में लैक्टेज का लेवल कम होता है, जिससे लैक्टोज का पाचन ठीक से नहीं हो पाता और गैस, सूजन और दस्त जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
टॉप स्टोरीज़
1. लैक्टोज-रहित दूध - Lactose-Free Milk
लैक्टोज-रहित दूध में लैक्टोज को हटा दिया जाता है, जिससे यह IBS वाले व्यक्तियों के लिए एक सुरक्षित विकल्प बनता है। यह सामान्य गाय के दूध के समान होता है, लेकिन पाचन में आसान होता है।
इसे भी पढ़ें: IBS में पेट दर्द, गैस और सूजन से राहत देगा यह खास डाइट चार्ट, एक्सपर्ट से जानें क्या खाएं और क्या नहीं
2. बादाम का दूध - Almond Milk
बादाम का दूध कम कैलोरी और कम फैट वाला होता है, जिससे यह IBS रोगियों के लिए उपयुक्त है। हालांकि, इसे सीमित मात्रा में सेवन करना चाहिए।
3. नारियल का दूध - Coconut Milk
नारियल का दूध एक क्रीमी विकल्प है, लेकिन इसे सीमित मात्रा में सेवन करना चाहिए अधिक सेवन IBS लक्षणों को बढ़ा सकता है।
इसे भी पढ़ें: आयुर्वेद के अनुसार IBS में इन चीजों से करें परहेज, वरना बढ़ सकती है परेशानी
4. चावल का दूध - Rice Milk
चावल का दूध स्वाभाविक रूप से मीठा और पचाने में आसान होता है, जिससे यह IBS रोगियों के लिए एक अच्छा विकल्प है। हालांकि, इसे सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए।
5. क्विनोआ का दूध - Quinoa Milk
क्विनोआ का दूध प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होता है, जिससे यह IBS रोगियों के लिए उपयुक्त है।
IBS रोगियों के लिए दूध चुनना व्यक्तिगत संवेदनशीलता पर निर्भर करता है। कुछ लोग लैक्टोज-रहित दूध को सहन कर सकते हैं, जबकि कुछ को बादाम या चावल के दूध से भी समस्या हो सकती है। इसलिए, किसी भी नए दूध विकल्प को डाइट में शामिल करने से पहले कम मात्रा में लें और लक्षणों को देखते रहें।
निष्कर्ष
IBS रोगियों के लिए दूध को चुनना व्यक्तिगत संवेदनशीलता पर निर्भर करता है। लैक्टोज-रहित दूध, बादाम का दूध, चावल का दूध और क्विनोआ का दूध जैसे विकल्प IBS लक्षणों को कंट्रोल करने में सहायक हो सकते हैं। हालांकि, किसी भी नए दूध विकल्प को डाइट में शामिल करने से पहले डॉक्टर या एक्सपर्ट से परामर्श लेना जरूरी है।
All Images Credit- Freepik
FAQ
IBS का मुख्य कारण क्या है?
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) एक सामान्य पाचन तंत्र विकार है, यह माना जाता है कि यह समस्या आंतों में समस्या, तंत्रिका तंत्र की गड़बड़ी, तनाव, हार्मोनल परिवर्तन और कुछ फूड्स के प्रति संवेदनशीलता के कारण हो सकती है। आंतों में सूजन या इंफेक्शन भी इसका कारण बन सकते हैं। मानसिक तनाव और डिप्रेशन IBS को और अधिक बढ़ा सकते हैं। यह एक क्रॉनिक स्थिति है लेकिन लाइफस्टाइल में बदलाव और उचित खानपान से इसके लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है।IBS में क्या परहेज है?
IBS (इरिटेबल बाउल सिंड्रोम) के मरीजों को कुछ खास फूड्स और आदतों से परहेज करना चाहिए ताकि लक्षण न बढ़ें। फाइबर रहित भोजन, अधिक तेल-मसाले वाले और तले-भुने फूड्स से बचें। दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स, कैफीन, अल्कोहल, सोडा और प्रोसेस्ड फूड से दूरी रखें। ज्यादा मीठे, चॉकलेट भी लक्षण बिगाड़ सकते हैं। गैस बनाने वाली चीजें जैसे चना, राजमा, फूलगोभी, पत्ता गोभी आदि से बचें। तनाव और चिंता से बचना भी जरूरी है, क्योंकि मानसिक स्थिति IBS पर गहरा प्रभाव डालती है।IBS कितने दिन में ठीक होता है?
IBS (इरिटेबल बाउल सिंड्रोम) एक क्रॉनिक स्थिति है, जो पूरी तरह से ठीक नहीं होती, लेकिन इसके लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है। इसके इलाज में समय व्यक्ति की लाइफस्टाइल, खानपान और मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है। कुछ लोगों को कुछ ही हफ्तों में आराम मिल सकता है, जबकि दूसरों को महीनों तक मैनेज करने की जरूरत होती है। डॉक्टर की सलाह, सही डाइट, नियमित एक्सरसाइज और तनाव मैनेज से लक्षणों में सुधार आता है। हालांकि, यह बार-बार उभर सकता है, इसलिए सावधानी जरूरी होती है।