तेज रफ्तार जिंदगी, खराब वर्किंग कल्चर और असंतुलित खानपान, ये सब मिलकर हमारे स्वास्थ्य को धीरे-धीरे अंदर से खोखला कर रहे हैं। आजकल अधिकांश लोग तनाव में रहते हैं, खाने-पीने का कोई तय समय नहीं होता और नींद भी पूरी नहीं हो पाती। इन सभी वजहों से पाचन तंत्र पर सीधा असर पड़ता है और यही कारण है कि आज के समय में IBS (Irritable Bowel Syndrome) जैसी आंतों की समस्या आम होती जा रही है। IBS कोई एक बीमारी नहीं है, बल्कि यह कई पाचन विकारों का एक समूह है, जिसमें व्यक्ति को कभी दस्त, कभी कब्ज, कभी पेट में ऐंठन और कभी गैस की समस्या हो सकती है। इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, आयुर्वेद के अनुसार, आईबीएस में क्या परहेज करना चाहिए?
आईबीएस में क्या परहेज करना चाहिए? - What Should IBS Sufferers Avoid
1. उपवास
आयुर्वेद के अनुसार उपवास शरीर को डिटॉक्स करने का एक तरीका हो सकता है, लेकिन IBS से पीड़ित लोगों को इससे परहेज करना चाहिए। लंबे समय तक भूखा रहने से अग्नि यानी पाचन शक्ति कमजोर हो सकती है, जिससे भोजन का सही पाचन नहीं होता और गैस, एसिडिटी और मरोड़ की शिकायत बढ़ सकती है। इसके अलावा भूखे रहने से वात दोष बढ़ सकता है, जो IBS के लक्षणों को और खराब करता है। यदि उपवास करना जरूरी हो तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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2. कम खाना
कुछ लोग वजन कम करने या डाइजेशन ठीक रखने के लिए बहुत कम खाना शुरू कर देते हैं। लेकिन आयुर्वेद कहता है कि शरीर को उसकी एनर्जी और कार्यक्षमता बनाए रखने के लिए संतुलित भोजन मिलना चाहिए। अगर आप लगातार कम मात्रा में खाना खाते हैं तो यह शरीर में कमजोरी, वात बढ़ना और पाचन तंत्र की गड़बड़ी का कारण बन सकता है। खासकर IBS मरीजों के लिए यह और भी हानिकारक हो सकता है, क्योंकि इससे शरीर को आवश्यक पोषण नहीं मिल पाता और आंतों की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है।
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3. अजीर्णाशन (बिना पाचन के बार-बार खाना)
आयुर्वेद में कहा गया है कि जब तक पहले खाया गया भोजन पूरी तरह पच न जाए, तब तक अगला भोजन नहीं करना चाहिए। लेकिन आजकल की लाइफस्टाइल में लोग अक्सर छोटे-छोटे ब्रेक में कुछ न कुछ खाते रहते हैं। इससे पाचन तंत्र पर दबाव पड़ता है और अग्नि मंद पड़ जाती है। IBS के रोगियों में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनके पाचन की प्रक्रिया पहले से ही कमजोर होती है। अजीर्णाशन से गैस, अपच, भारीपन और पेट फूलने की समस्या हो सकती है।
4. शराब
शराब का सेवन न केवल लिवर बल्कि पूरे पाचन तंत्र के लिए हानिकारक होता है। आयुर्वेद में इसे तमोगुण बढ़ाने वाला तत्व माना गया है, जो शरीर की प्राकृतिक ऊर्जा को बाधित करता है। शराब आंतों की सूजन को बढ़ा सकती है और IBS के लक्षणों को तीव्र बना सकती है। इसके अलावा यह पाचन अग्नि को बाधित कर भोजन के अवशोषण में रुकावट पैदा करती है। इसलिए IBS से पीड़ित लोगों को शराब से पूरी तरह परहेज करना चाहिए।
निष्कर्ष
IBS एक गंभीर लेकिन कंट्रोल में रखी जा सकने वाली पाचन समस्या है। आयुर्वेद के अनुसार, यदि आप उपवास, बहुत कम खाना, अपच में बार-बार खाना और शराब जैसी चीजों से परहेज करते हैं तो इसके लक्षणों में काफी हद तक राहत मिल सकती है। सही लाइफस्टाइल, संतुलित डाइट और मानसिक शांति इसके उपचार में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
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