
बच्चों में हाइपरविस्कोसिटी सिंड्रोम (Hyperviscosity Syndrome) एक गंभीर स्थिति है, जो रक्त के ज्यादा गाढ़ा होने की वजह से होती है। यह स्थिति शरीर के कई अंगों तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाने में बाधा डालती है। यह समस्या नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है। लेकिन आपको बता दें कि हायपरविस्कोसिटी बच्चों और व्यस्कों दोनों में हो सकती है। यह समस्या समय पर इलाज न मिलने पर बच्चे के दिमाग, हृदय और अन्य खास अंगों को भी प्रभावित कर सकती है। इस लेख में हम हाइपरविस्कोसिटी सिंड्रोम के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के डफरिन हॉस्पिटल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सलमान खान से बात की।
बच्चों में हाइपरविस्कोसिटी सिंड्रोम के लक्षण- Hyperviscosity Syndrome Symptoms in Children

हाइपरविस्कोसिटी सिंड्रोम के लक्षण बच्चों में तुरंत पहचानना जरूरी है, ताकि समय रहते इसका इलाज किया जा सके। अगर नवजात शिशु असामान्य रूप से सोता है और सामान्य रूप से फीड नहीं करना चाहता, तो यह बच्चों में हायपरविस्कोसिटी सिंड्रोम का संकेत हो सकता है। इसके अन्य लक्षण इस प्रकार हैं-
- त्वचा का पीला या नीला पड़ना, ब्लड सर्कुलेशन में बाधा के कारण त्वचा का रंग बदल सकता है।
- रक्त गाढ़ा होने से ऑक्सीजन की कमी होती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
- बच्चा ज्यादा समय तक सोता है या हमेशा थका हुआ महसूस करता है।
- शरीर में एनर्जी की कमी के कारण बच्चा कमजोरी महसूस कर सकता है।
- गंभीर मामलों में सिरदर्द, चक्कर आना या दौरे पड़ सकते हैं।
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हायपरविस्कोसिटी सिंड्रोम का रिस्क किन बच्चों को ज्यादा होता है?- Hyperviscosity Syndrome Risk in Children
- बच्चों में हायपरविस्कोसिटी सिंड्रोम ज्यादातर नवजात शिशुओं पर असर डालता है, लेकिन यह बड़े बच्चों में भी डेवलप हो सकता है।
- इस कंडिशन का रिस्क शिशुओं में उनके जन्म के 24 घंटे के बाद ज्यादा देखने को मिलता है।
- बच्चों में हायपरविस्कोसिटी सिंड्रोम होने का रिस्क उनमें ज्यादा होता है जिनकी फैमिली में किसी को यह बीमारी हो।
- फैमिली हिस्ट्री में बोन मैरो से जुड़ी किसी प्रकार की गंभीर बीमारी रही हो।
- ब्लड ट्रांसफ्यूजन (Blood Transfusion) होने पर।
बच्चों में हाइपरविस्कोसिटी सिंड्रोम के कारण- Hyperviscosity Syndrome Causes in Children
इस स्थिति के पीछे कई कारण हो सकते हैं। नवजात शिशुओं में यह समस्या अक्सर जन्म के समय, खून में हेमाटोक्रिट (Hemotocrit) के लेवल के बढ़ने से होती है। इसके अन्य कारण भी हैं-
- खून में रेड ब्लड सेल्स की मात्रा ज्यादा बढ़ जाने के कारण यह समस्या होती है।
- शरीर में तरल पदार्थों की कमी से रक्त गाढ़ा हो सकता है।
- कुछ बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन भी रक्त के गाढ़ा होने का कारण बन सकते हैं।
- हार्ट और ब्लड वैसल्स से संबंधित जन्मजात समस्याएं।
- हाइपोथायरायडिज्म या अन्य मेटाबॉलिक विकार।
बच्चों में हायपरविस्कोसिटी सिंड्रोम का पता कैसे लगाते हैं?- Hyperviscosity Syndrome Diagnosis in Children
बच्चों में हायपरविस्कोसिटी सिंड्रोम तब डायग्नोस होता है जब कुछ रेड ब्लड सेल्स का लेवल 65 प्रतिशत से ऊपर हो जाता है।
बच्चों में हायपरविस्कोसिटी सिंड्रोम का पता लगाने के लिए कोई एक टेस्ट नहीं होता है। जो बच्चे इस सिंड्रोम के प्रति एसिम्टोमैटिक होते हैं उनके ये टेस्ट किए जा सकते हैं-
- लिवर फंक्शन टेस्ट
- यूरिन एनालिसिस
- बिलिरुबिन टेस्ट
- क्रिएटिनिन टेस्ट
- ब्लड कैमेस्ट्री टेस्ट
- ब्लड शुगर टेस्ट
बच्चों में हाइपरविस्कोसिटी सिंड्रोम का इलाज- Hyperviscosity Syndrome Treatment in Children
हाइपरविस्कोसिटी सिंड्रोम का इलाज इसके लक्षणों की गंभीरता और कारणों पर निर्भर करता है। सही समय पर इलाज मिल जाने से बच्चे को स्वस्थ किया जा सकता है-
- बच्चे के शरीर में खून को पतला करने के लिए तरल पदार्थ या दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।
- अगर यह समस्या जन्म के समय पीलिया (Jaundice) के कारण हो रही है, तो फोटोथैरेपी की मदद ली जाती है।
- बच्चे को हाइड्रेट रखने के लिए पर्याप्त तरल पदार्थ दिए जाते हैं।
- अगर समस्या किसी इंफेक्शन के कारण हुई है, तो एंटीबायोटिक्स या एंटीवायरल दवाएं दी जाती हैं।
हाइपरविस्कोसिटी सिंड्रोम बच्चों में गंभीर स्थिति हो सकती है, लेकिन सही समय पर इलाज से इसका इलाज जा सकता है। बच्चों में इसके लक्षणों को पहचानना और समय रहते डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी है।
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