मौसम में बदलाव व तेज ठंड में लोगों को सर्दी-जुकाम और बुखार की समस्या देखने को मिलती है। कई बार हम इन्हें सामान्य लक्षण समझकर नजर अंदाज कर जाते हैं। लेकिन, यदि आपको बुखार के साथ खांसी और बलगम की समस्या है, तो यह निमोनिया का संकेत हो सकता है। यह एक संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे तक आसानी से फैल सकती है। यही वजह है कि निमोनिया का ज्यादातर खतरा बच्चों और बुजुर्गों को होता है। हालांकि, निमोनिया के कुछ प्रकार लगभग सभी आयु वर्ग के लोगों को अपनी चपेट में ले सकते हैं। देश भर में हर साल लाखों लोग निमोनिया का शिकार होते हैं। यदि समय पर इस बीमारी का इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसे में जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर होती है उनको खासतौर पर सुरक्षा बतरने की सलाह दी जाती है। इस लेख में धर्मशिला नारायणा अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन डॉ. गौरव जैन से जानते हैं कि निमोनिया होने पर क्या लक्षण महसूस होते हैं?
निमोनिया क्या होता है?
निमोनिया, फेफड़ों से जुड़ा एक संक्रमण है, जो वायरस, बैक्टीरिया और फंगस के कारण हो सकता है। जब वायरस, बैक्टीरिया और फंगस फेफ ड़ों को संक्रमित करती है, तो ऐसे में किसी एक फेफड़े या दोनों संक्रमण फैल सकता है। संक्रमण फैलने पर फेफड़ों में मौजूद वायु की छोटी-छोटी थैलियों (Air-sacs-एल्वियोली) में सूजन और बलगम (Mucus) जमा होने लगता है। दरअसल, यह वायु की छोटी थैलियां सांस के जरिए ली गई ऑक्सीजन को ब्लड में भेजने और कार्बनडाई ऑक्साइड को बाहर निकालने का काम करती है। निमोनिया होने पर जब इन थैलियों में पस या बलगम जमा हो जाता है, तो ऐसे में व्यक्ति के अंगों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। ऐसे में व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी हो सकती है। निमोनिया के कई प्रकार होते हैं।
निमोनिया के क्या लक्षण होते हैं?
सांस फूलना
टहलने पर या कुछ देर चलने पर ही व्यक्ति की सांस फूलना निमोनिया का लक्षण होता है। दरअसल, जब फेफड़ों की हवा वाली छोटी थैलियों में तरल या बलगम जमा हो जाता है, तो ऐसे में ब्लड में ऑक्सीजन का लेवल कम होने लगता है। ऐसे में व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है और हल्के काम करने पर भी सांस फूलने लगती है।
कफ के साथ खांसी आना
व्यक्ति को लगातार खांसी होना और खांसी के साथ बलगम आना निमोनिया का एक मुख्य लक्षण माना जाता है। फेफड़ों के संक्रमण के आधार पर व्यक्ति के बलगम का रंग हल्का सफेद से पीला हो सकता है। कुछ मामलों में मरीज को खांसी के साथ सांस लेने में ज्यादा परेशानी हो सकती है।
ठंड लगकर बुखार आना
ठंड और कंपकंपी के साथ तेज बुखार निमोनिया का एक सामान्य लक्षण होता है। दरअसल, जब शरीर इंफेक्शन से लड़ने के लिए तैयार होता है, तो शरीर अपना तापमान बढ़ाता है, जिसके चलते मरीज को बार-बार बुखार आ सकता है। शरीर के बुखार से तालमेल बिठाने की कोशिश करने पर आपको ठंड लग सकती है।
सीने में दर्द होना
निमोनिया के कारण सीने में तेज या चुभने वाला दर्द हो सकता है, जो गहरी सांस लेने, खांसने या हंसने से बढ़ जाता है। यह दर्द फेफड़ों के टिश्यू और प्लूरा (फेफड़ों के आसपास की झिल्ली) की सूजन के कारण होता है।
थकान और कमजोरी महसूस होना
निमोनिया होने पर शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के कारण व्यक्ति को काफी थकान और कमजोरी हो सकती है। इंफेक्शन को दूर करते समय शरीर की एनर्जी अधिक लगती है, ऐसे में ऑक्सीजन की कमी व्यक्ति की थकान और कमजोरी की मुख्य वजह हो सकती है।
कुछ गंभीर मामलों में दिखाई देने वाले लक्षण
- खांसी में खून आना
- तेज बुखार की वजह से चीजों को समझने में दिक्कत होना
- भूख कम लगना
- उल्टी और चक्कर आना
- बुखार और कमजोरी की वजह से दिल की धड़कने तेज होना, आदि।
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निमोनिया की जांच कैसे की जाती है? - Important Tests For Pneumonia In Hindi
एक्स-रे (X-ray)
निमोनिया की पहचान के लिए डॉक्टर मरीज को सीने का एक्स-रे करने की सलाह दे सकते हैं। इससे फेफड़ों में सूजन या तरल पदार्थ की उपस्थिति, स्थान की पहचान हो सकती है। एक्स-रे निमोनिया को अन्य रेस्पिरेटरी स्थितियों, जैसे ब्रोंकाइटिस या टीबी से अलग करने में मदद करती हैं।
ब्लड टेस्ट (Blood Test)
ब्लड टेस्ट में कंप्लीट ब्लड काउंट (CBC) से इंफेक्शन की उपस्थिति और इसके प्रति शरीर की प्रतिक्रिया की पहचान करने में मदद कर मिलती है। ब्लड टेस्ट से व्हाइट ब्लड सेल्स काउंट का पता चलता है।
बलगम की जांच (Sputum Test)
थूक (फेफड़ों से निकलने वाला बलगम) के सैंपल से संक्रमण के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया, वायरस या कवक की पहचान करने में मदद मिल सकती है। यह टेस्ट इस बात की मदद करता है कि मरीज को किस तरह का इलाज (एंटीबायोटिक या एंटीवायरल उपचार) दिया जाए।
पल्स ऑक्सीमेट्री (Pulse Oximetry)
पल्स ऑक्सीमेट्री, रक्त में ऑक्सीजन के स्तर को मापने का काम करता है। इसमें रोगी की उंगली पर एक सेंसर लगाया जाता है, और यह ऑक्सीजन ब्लड में मौजूद ऑक्सीजन का लेवल बताता है। इससे निमोनिया की वजह से फेफड़ों में संक्रमण का अंदाजा लगाया जाता है।
निमोनिया का दूसरा नाम क्या है?
निमोनिया के अलग-अलग प्रकार को ही अलग-अलग नामों से जाना जाता है। निमोनिया के प्रकार में बैक्टीरियल निमोनिया (Bacterial Pneumonia), वायरल निमोनिया (Viral Pneumonia), माइकोप्लाज्मा निमोनिया (Microplasma Pneumonia), एस्पिरेशन निमोनिया (Aspiration Pneumonia) और फंगल निमोनिया (Fungal Pneumonia) को शामिल किया जाता है।
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डॉक्टरों के अनुसार समय पर निमोनिया की पहचान करना बेहद आवश्यक होता है। इसके लक्षणों को अनदेखा करना एक गंभीर समस्या का कारण बन सकता है। साथ ही, इलाज में देरी रिकवरी के समय को बढ़ा सकता है। निमोनिया से बचने के लिए व्यक्ति को डाइट में पौष्टिक चीजों को शामिल करना चाहिए। साथ ही, नियमित रूप से फेफड़ों से जुड़े योगासन और एक्सरसाइज करनी चाहिए। इसके अलावा, बारिशों में या मौसम बदलते समय मास्क का उपयोग करना चाहिए। इससे आप काफी हद तक निमोनिया के संक्रमण से बचाव कर सकते हैं।