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ये 4 आदतें बच्चों को मायोपिया होने से बचा सकती हैं, पैरेंट्स डॉक्टर से जानें इनके बारे में

Habits That Can Protect Children From Myopia In Hindi: मायोपिया जैसी गंभीर समस्या से बचने के लिए जरूरी है कि पैरेंट्स बच्चें की गलत आदतों में  सुधार करें। इस लेख में आगे जानिए, उन आदतों के बारे में-
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ये 4 आदतें बच्चों को मायोपिया होने से बचा सकती हैं, पैरेंट्स डॉक्टर से जानें इनके बारे में


Habits That Can Protect Children From Myopia In Hindi: हाल के सालों में यह देखा गया है कि अधिकतर बच्चे चश्मे पहने नजर आते हैं। जबकि, पहले बच्चों की आंखें इतनी खराब नहीं होती थीं। इसके पीछे कई तरह के कारण जिम्मेदार हैं, जैसे स्क्रीन टाइम बढ़ाना, आउटडोर एक्टिविटी कम होना और पढ़ाई का समय बढ़ना आदि। इस तरह की चीजों के कारण बच्चों की न सिर्फ आंखें कमजोर हो रही हैं, बल्कि आंखों से जुड़ी कई अन्य समस्याएं भी हो रही हैं। इन्हीं में से एक है कि मायोपिया। अगर बच्चों को पहले से ही अलर्ट न किया जाए, तो मायोपिया के होने का जोखिम बढ़ जाता है। यहां तक कि कुछ ऐसी आदतें भी हैं, जो इसके लिए जिम्मेदार होती हैं। आइए, शार्प साइट आई हॉस्पिटल के फाउंडर एंड डायरेक्टर डॉ. समीर सूद से जानते हैं उन आदतों के बारे में।

आदतें जो बच्चों को मायोपिया होने से बचा सकती हैं- Habits That Can Protect Children From Myopia In Hindi

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स्क्रीन टाइम कम करें

इन दिनों सबसे जरूरी है कि पैरेंट्स अपने बच्चों के स्क्रीन टाइम को कम करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि आजकल बच्चे अपना ज्यादातर समय स्क्रीन पर बिताते हैं। कभी हाइब्रिड मोड में पढ़ाई के कारण तो कभी अपना टाइम पास करने के लिए वीडियो स्क्रॉलिंग करते हुए। बच्चों में मायोपिया के जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक है कि बच्चे का स्क्रीन टाइम कम करना चाहिए।

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आउटडोटर एक्टिविटी बढ़ाएं

आजकल बच्चे पहले की तरह खेलने-कूदने नहीं जाते हैं। ज्यादातर समय वे अपने फोन पर समय बिताते हैं। इससे उनकी फिजिकल एक्टिविटी पर नेगेटिव असर पड़ता है। ऐसा आपके बच्चे के साथ न हो, इसके लिए जरूरी है कि वे आउटडोर एक्टिविटी में हिस्सा लें। इससे न सिर्फ ओवर ऑल बॉडी पर अच्छा असर पड़ता है, बल्कि मायोपिया जैसी बीमारी का जोखिम भी कम होता है।

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सही पोस्चर पर ध्यान दें

कई बच्चे पढ़ने-लिखने के दौरान ज्यादा झुक कर बैठते हैं। वहीं, कुछ बच्चे फोन देखते समय स्क्रीन को अपनी आंखों के बहुत ज्यादा नजदकी रख देते हैं। फोन की ब्राइटेनस सीधे आंखों को हिट करती है। इससे भी मायोपिया के होने का रिस्क बढ़ जाता है। इसे कम करने के लिए आप बच्चे को सही पोस्चर में बैठने की सलाह दें। जब भी वह गलत पोस्चर में बैठे, तो आप उसे टोक दें। इससे उसकी रीढ़ की हड्डी पर भी अच्छा असर पड़ेगा।

नियमि आंखों की चेकअप करवाएं

बच्चों की आंखें खराब न हो और आंखों से संबंधित समस्याओं वे दूर रहें, इसके लिए आवश्यक है कि नियमित रूप से उनका चेकअप करवाएं। पैरेंट्स को बच्चों की आई चेकअप को लेकर लापरवाही न करें। यह बिल्कुल सही नहीं है। साल में एक बार बच्चे का आई टेस्ट कवाना जरूरी है। इससे बच्चे की आंखों में हो रही समस्याओं का पहले से पता लगाया जा सकता है।

All Image Credit: Freepik

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