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क्या स्क्रीन टाइम के कारण बढ़ रही है बच्चों में मायोपिया की समस्या? जानें क्या है इनके बीच कनेक्शन

Connection Between Screen Time And Myopia In Kids In Hindi: स्क्रीन टाइम के कारण बच्चों में मायोपिया जैसी समस्या विकसित हो सकती है। बच्चों को इस तरह की परेशानी से बचाने के लिए पैरेंट्स क्या कर सकते हैं?
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क्या स्क्रीन टाइम के कारण बढ़ रही है बच्चों में मायोपिया की समस्या? जानें क्या है इनके बीच कनेक्शन

Does Screen Time Cause Myopia In Children In Hindi: आजकल शायद ही ऐसा कोई घर होगा, जहां बच्चों का अधिकतर समय मोबाइल पर नहीं बीतता है। हर उम्र के बच्चों के पास मोबाइल फोन है, वे आउटडोर गेम खेलने के बजाय स्क्रीन टाइम बिताना ज्यादा पसंद करते हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि स्क्रीन टाइम बढ़ने की वजह से बच्चों को कई तरह की फिजिकल प्रॉब्लम होने लगी है। वे फिजिकली पहले के बच्चों की तरह एक्टिव नहीं रह गए हैं, एनर्जी की कमी बनी रहती है। बहरहाल, स्क्रीन टाइम बढ़ने के कारण बच्चों में आंखों से संबंधित कई समस्याएं होने लगी हैं। इसमें मायोपिया भी एक है। तो क्या वाकई बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ने की वजह से मायोपिया जैसी समस्या हो सकती है? इस बारे में हमने Ojas Maxivision Eye Hospitals (Bandra & Kandivali) में Senior Consulting Ophthalmologist Cataract and Refractive Surgeon डॉ. अंकिता मूलचंदानी (नेत्र रोग), एमबीबीएस, डीएनबी, एफपीआरएस, एफआईसीओ (यूके) से बातचीत की। (Kya Mobile Se Myopia Hota Hai)

क्या स्क्रीन टाइम के कारण बच्चों में बढ़ रहा है मायोपिया का जोखिम- How Does Screen Time Cause Myopia In Children In Hindi

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इससे पहले कि हम स्क्रीन टाइम और मायोपिया के बीच कनेक्शन को समझें, यह जान लेते हैं कि आखिर मायोपिया क्या होता है? मायोपिया को हिंदी में निकट दृष्टि दोष भी कहा जाता है। यह एक ऐसी समस्या है, जिसमें मरीजों को पास की चीजें स्पष्ट दिखाई देती हैं, लेकिन दूर की चीजें धुंधली नजर आती हैं। अब सवाल है कि मायोपिया और स्क्रीन टाइम का आपस में क्या कनेक्शन है? इस संबंध में डॉक्टर का कहना है, ‘जब बच्चा लंबे समय तक स्क्रीन पर समय बिताते हैं, वीडियो गेम्स खेलते हैं, टीवी देखते हैं। इस तरह की स्थिति में बच्चों की आंखों पर काफी दबाव पड़ता है।’ डॉक्टर आगे समझाते हैं, ‘जब बच्चे स्क्रीन में ज्यादा समय बिताने लगते हैं, तो इसकी वजह से आई ग्रोथ पर इफेक्ट पड़ता है। जिससे धीरे-धीरे बच्चों की आंखें खराब होने लगती हैं। एक समय बाद यह कंडीशन मायोपिया में बदल जाती है।’ आपको यह जानकर हैरानी होगी कि विश्व भर में बच्चों में मायोपिया के मामले बढ़ रहे हैं।

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बच्चों में मोयापिया से बचाव कैसे करें- Prevention Tips Of Myopia In Children In Hindi

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पैरेंट्स को चाहिए कि वे अपने बच्चों को पूरा ध्यान रखें। साथ ही, लाइफस्टाइल से जुड़े कुछ बदलावों पर गौर करने की कोशिश करें-

  1. बच्चों को रोजाना एक से दो घंटे के लिए आउटडोर गेम्स खेलने के लिए मोटिवेट करें। इससे मायोपिया की प्रोग्रेस धीमी हो जाती है और स्क्रीन टाइम कम होने पर बच्चों की आंखों के खराब होने का रिस्क भी कम हो जाता है।
  2. बच्चों को दिन के उजाले में ही स्कूल होमवर्क करने की सलाह दें। अगर मोबइल से स्कूल का काम करना है या कोई वीडियो देखनी है, तो स्क्रीन को आंखों से एक निश्चित दूरी पर रखें। इस तरह आंखों पर कम दबाव पड़ेगा।
  3. बच्चों को 20-20-20 रूल फॉलो करने को कहें। इस रूल का मतलब है कि हर 20 मिनट में 20 फीट की दूरी पर देखने की कोशिश करें और 20 सेकेंड तक एक ही अवस्था में देखें। यह उनकी आंखों के लिए काफी लाभकारी हो सकता है।
  4. बच्चों के आंखों की जांच नियमित रूप से करवाएं। इससे समय रहते आंखों से संबंधित समस्याओं का पता लग जाता है।
All Image Credit: Freepik

FAQ

  • क्या चश्मे से मायोपिया ठीक हो जाता है?

    चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस की मदद से मायोपिया को ठीक नहीं किया जा सकता है। हां, नियमित रूप से चश्मा पहनने से इसकी ग्रोथ को रोका जा सकता है।
  • क्या फोन इस्तेमाल करने से मायोपिया बढ़ता है?

    जब आप ज्यादातर समय मोबाइल फोन पर बिताते हैं, तो इसकी वजह से आंखों पर नेगेटिव असर पड़ सकता है। ऐसे मे मायोपिया के विकसित होने का जोखिम भी बढ़ता है।
  • मायोपिया के लिए 20 नियम क्या है?

    एक्सपर्ट्स की मानें, तो मायोपिया के जोखिम को कम करने के लिए हमें 20-20-20 रूल अपनाना चाहिए। इसका मतलब है कि 20 मिनट बाद 20 सेकेंड का ब्रेक लें और 20 फीट दूर देखने की कोशिश करें। इससे आई स्ट्रेन कम होता है।

 

 

 

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