मायोपिया या नजदीक देखने की कमजोरी आजकल युवाओं और बच्चों में काफी आम हो गई है। अक्सर लोग इसके बारे में कई गलतफहमियों के शिकार हो जाते हैं। इंटरनेट, सोशल मीडिया और पुरानी परंपराओं के कारण कई ऐसे मिथक बन गए हैं जो मायोपिया के सही इलाज और रोकथाम में रुकावट डालते हैं। उदाहरण के लिए, यह माना जाता है कि सिर्फ चश्मा पहनने से आंखें कमजोर हो जाते हैं या कंप्यूटर का इस्तेमाल मायोपिया को बढ़ा देता है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इन मिथकों में कोई ठोस वैज्ञानिक आधार नहीं होता। सही जानकारी और नेत्र विशेषज्ञ की सलाह से मायोपिया को कंट्रोल किया जा सकता है और इसकी प्रगति को धीमा किया जा सकता है। आइए जानते हैं मायोपिया से जुड़े 7 आम मिथक और उनकी सच्चाई। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने Dr. Bhanu Prakash M is a Senior Consultant Cataract Cornea and Refractive Surgeon at Yashoda Hospitals से बात की।
1. Myth: मायोपिया एक बीमारी है- Myopia Is A Medical Disorder
Dr. Bhanu Prakash M ने बताया कि मायोपिया कोई बीमारी नहीं है, बल्कि आंखों की संरचना में बदलाव से होने वाली एक रिफ्रेक्टिव एरर है। इसमें रोशनी रेटिना के आगे फोकस होती है, क्योंकि आंख लंबी हो जाती है या कॉर्निया ज्यादा मुड़ी हुई होती है। हालांकि यह बीमारी नहीं है, लेकिन गंभीर मायोपिया में निगरानी और इलाज जरूरी है क्योंकि इससे रेटिना डिटैचमेंट जैसी आंखों की समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।
2. Myth: चश्मा पहनने से मायोपिया बढ़ जाता है- Myopia Get Worse When You Wear Glasses
चश्मा मायोपिया को बढ़ाता नहीं है, बल्कि रोशनी को सही तरीके से रेटिना पर फोकस करके नजर को ठीक करता है। असल में, डॉक्टर द्वारा बताई गई पावर का चश्मा न पहनने से आंखों पर जोर पड़ता है और नजर कमजोर रहती है। खासकर बच्चों में यह पढ़ाई और रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित कर सकता है।
इसे भी पढ़ें- आउटडोर गेम्स खेलने से बच्चों में कम होगा मायोपिया का जोखिम, जानें फिजिकल एक्टिविटी कैसे है मददगार?
3. Myth: कंप्यूटर और मोबाइल से मायोपिया बढ़ता है- Screen Time Increase Myopia
- कुछ लोगों को लगता है कि लगातार स्क्रीन देखने से बच्चों और युवाओं की आंखों को नुकसान हो सकता है।
- जबकि सच्चाई यह है कि लगातार देखने से स्क्रीन टाइम बढ़ सकता है और आंखों में तनाव महसूस हो सकता है। लेकिन इससे सीधा मायोपिया नहीं होता।
4. Myth: मायोपिया सिर्फ बच्चों में होता है- Only Children Are Affected By Myopia
मायोपिया आमतौर पर बचपन में शुरू होता है, लेकिन यह बड़ों में भी हो सकता है या बढ़ सकता है। वयस्कों को भी नियमित रूप से आंखों की जांच करानी चाहिए, क्योंकि आनुवंशिक कारण, लंबे समय तक नजदीक काम करना और डिजिटल स्क्रीन का ज्यादा इस्तेमाल इसका खतरा बढ़ाते हैं।
5. Myth: आंखों की एक्सरसाइज से मायोपिया ठीक हो सकता है- Myopia Can Be Cured With Eye Exercise
कुछ लोगों को लगता है कि आंखों की एक्सरसाइज से मायोपिया ठीक हो सकता है। लेकिन इस बात में सच्चाई नहीं है। आंखों की एक्सरसाइज से आंखों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, लेकिन इससे मायोपिया पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता।
6. Myth: उम्र बढ़ने के साथ मायोपिया बढ़ता है- Myopia Gets Worse With Age
बहुत लोग सोचते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ मायोपिया हमेशा बढ़ता है, लेकिन यह सच नहीं है। मायोपिया, वयस्कों में अक्सर धीमा या स्थिर हो जाता है। मायोपिया आमतौर पर बचपन में बढ़ता है।
7. Myth: लेजर सर्जरी ही मायोपिया का इलाज है- Laser Eye Surgery Is Permanent Treatment For Myopia
लेजर प्रक्रियाएं, कॉर्निया को शेप देकर नजर को ठीक करती हैं और चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस की जरूरत कम कर देती हैं। ये सुरक्षित और प्रभावी होती हैं, लेकिन अगर सर्जरी समय से पहले की जाए, तो यह मायोपिया बढ़ने से नहीं रोक सकती और आंख की लंबाई को भी ठीक नहीं कर सकती। सही परिणाम और कम जोखिम के लिए सर्जरी से पहले पूरी जांच जरूरी है।
निष्कर्ष:
मायोपिया से संबंधित मिथकों पर भरोसा न करें। स्क्रीन टाइम कम करें और समय-समय पर नेत्र रोग विशेषज्ञ से चेकअप कराएं। सही जानकारी के साथ मायोपिया के लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इस लेख को शेयर करना न भूलें।