How Outdoor Activities Reduce The Risk Of Myopia In Kids In Hindi: आज का समय बच्चों के लिए काफी चुनौतिपूर्ण हो गया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि बच्चे घर से बाहर कम खेलने जाते हैं और घर के अंदर रहते हुए मोबाइल फोन की स्क्रीन पर अपना ज्यादा से ज्यादा समय बिताते हैं। इसी वजह से बच्चों को आंखों से जुड़ी समस्या हाल के सालों में जितनी बढ़ी है, उतनी पहले कभी नहीं हुई। इधर बच्चों में मायोपिया के मामलों में भी तेजी आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पैरेंट्स अपने बच्चों को स्क्रीन से दूर रखें और बाहर आउटडोर गेम्स खेलने के लिए उन्हें मोटिवेट करें, तो मायोपिया के रिस्क को कम किया जा सकता है। सवाल है, मायोपिया और आउडोर गेम्स का क्या कनेक्शन है? आइए, हैदराबाद स्थित मैक्सीविजन सुपर स्पेशियलिटी आई हॉस्पिटल की शिशु रोग विशेषज्ञ, squint और नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. तिश्या वेपकोमा से जानते हैं।
मायोपिया और आउडोर गेम्स के बीच कनेक्शन- How Outdoor Activities Reduce The Risk Of Myopia In Kids In Hindi
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बच्चों के हाथ से मोबाइल, टैब या आईपैड जैसी चीजें ले जी जाएं, तो उनके आंखों से जुड़ी ज्यादातर समस्याएं अपने आप कम हो जाएंगी। मौजूदा समय में यह भी खूब देखने को मिलता है कि पैरेंट्स भी बच्चों को खुद मोबाइल फोन दे देते हैं, ताकि वे कुछ देर के लिए फ्री फील कर सकें। लेकिन, पैरेंट्स की यह आदत बच्चों की सेहत पर भारी पड़ रही है। खासरक, आंखों से जुड़ी परेशानियां, जैसे मायोपिया बच्चों को हो रही हैं। कुछ अध्ययनों का दावा है कि मायोपिया और आउटडोर गेम्स का आपस में बहुत गहरा कनेक्शन है। अगर बच्चे नियमित रूप से बाहर एक्टिविटी करने जाते हैं, तो वे सूजर के संपर्क में आते हैं। ध्यान रखें कि सूरज की रोशनी आंखों की रेटिना में डोपामाइन के स्राव को मोटिवेट करती है। इससे आंखों की रोशनी नियंत्रित रहती है और आंखों से जुड़ी प्रॉब्लम को सीमित करने में भी मदद करती है। इसके अलावा, जब बच्चे आउटडोर एक्टिविटी करते हैं, तो ऐसे में बच्चों अपने आंखों पर फोन स्क्रीन देखने का अतिरिक्त दबाव नहीं बना रहे होते हैं। ऐसे में आंखों के खराब होने का जोखिम भी कम हो जाता है।
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बच्चों को मायोपिया के जोखिम से कैसे बचाएं- How Outdoor Activities Reduce The Risk Of Myopia In Kids In Hindi
पैरेंट्स के लिए जरूरी है कि वे अपने बच्चों को मायोपिया से बचाने के लिए कुछ तरीके अपनाएं, जैसे-
खेलने के लिए भेजें
आजकल बच्चे घर से स्कूल और घर से स्कूल तक का ही सफर करते हैं। स्कूल से घर लौटने के बाद वे अपना पूरा समय स्क्रीन को देते हैं। पैरेंट्स को चाहिए कि वे अपने बच्चों को घर से बाहर खेलने के लिए भेजें। इससे आंखों पर स्क्रीन देखने का दबाव कम होता है, जो कि आंखों के खराब करने के रिस्क को कम करती है। बच्चों को रोज कम से कम एक घंटे के लिए पार्क में जरूर खेलने के लिए भेजें।
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स्क्रीन टाइम लिमिट करें
अगर पैरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे की आंखें हमेशा सही रहें, तो इसके लिए आवश्यक है कि वे अपने बच्चों की स्क्रीन टाइम को लिमिट करें। ज्यादातर पैरेंट्स अपने बच्चे के लिए स्क्रीन टाइम फिक्स तो करते हैं। लेकिन, बच्चे के जिद करने पर वे फिर से उसे मोबाइल दे देते हैं। आप ऐसा बिल्कुल न करें। बच्चे के लिए रोज अधिकतम आधा घंटा स्क्रीन टाइम के लिए फिक्स कर सकते हैं। इससे ज्यादा मोबाइल देखना आंखों के लिए सही नहीं है। यह स्थिति मायोपिया का कारण बन सकती है।
हॉबीज के लिए मोटिवेट करें
बच्चों के स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए उन्हें हॉबीज के लिए मोटिवेट करें। उन्हें कुछ ऐसा करने के लिए कहें, जो उन्हें पसंद हो। इसमें सिंगिंग, डांसिंग, पियानो सीखना, गिटार सीखना, स्विमिंग आदि कुछ भी हो सकता है। बच्चे को जो भी पसंद हो, उसे वही कराएं। इससे बच्चे की रुचि किसी अच्छी चीज में बढ़ेगी और स्क्रीन टाइम कम होने लगेगा, जिससे मायोपिया का रिस्क कम हो सकेगा।
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