आज के डिजिटल युग में बच्चों में आंखों की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, मोबाइल, टैबलेट, टीवी और कंप्यूटर स्क्रीन पर लंबे समय तक नजरें गड़ाए रखना अब बच्चों के डेली रूटीन का हिस्सा बन गया है। इसका सबसे बड़ा असर उनकी आंखों की रोशनी पर पड़ रहा है, जिससे मायोपिया जैसी समस्या कम उम्र में ही घर कर रही है। मायोपिया में बच्चा पास की चीजें तो साफ देख पाता है, लेकिन दूर की वस्तुएं धुंधली नजर आती हैं। पहले मायोपिया का असर ज्यादातर बड़े लोगों में देखने को मिलता था, लेकिन अब यह समस्या स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों में भी तेजी से फैल रही है। इसकी मुख्य वजह है बढ़ता स्क्रीन टाइम, आउटडोर एक्टिविटी में कमी, किताबें पास से पढ़ना और नेचुरल रोशनी में कम समय बिताना। कई बार माता-पिता को शुरुआती लक्षणों का पता नहीं चल पाता और बच्चा लंबे समय तक बिना इलाज के इस समस्या से जूझता रहता है, जिससे चश्मे का नंबर तेजी से बढ़ सकता है। इस लेख में दिल्ली के शाहदरा में स्थित एस.डी.एन. अस्पताल के पीडीअट्रिशन डॉ. ललित हरि प्रसाद सिंह से जानिए, बच्चों में मायोपिया के शुरुआती लक्षण क्या होते हैं?
बच्चों में मायोपिया के शुरुआती लक्षण - Early Symptoms Of Myopia In Children
डॉ. ललित हरि प्रसाद सिंह बताते हैं कि मायोपिया एक आंखों की दृष्टि दोष स्थिति है, जिसमें आंख का फोकस रेटिना के आगे पड़ता है। इसका मतलब है कि चीजें धुंधली दिखती हैं, जबकि पास की चीजें साफ नजर आती हैं। यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ती है और समय रहते चेक-अप न कराने पर बच्चे को मोटे नंबर का चश्मा लग सकता है। मायोपिया का शुरुआती इलाज आसान होता है। अगर समय रहते आंखों की जांच कराई जाए तो चश्मे के नंबर को धीरे-धीरे बढ़ने से रोका जा सकता है। देर होने पर मायोपिया का नंबर तेजी से बढ़ सकता है, जिससे भविष्य में गंभीर आंखों की समस्याएं हो सकती हैं।
1. चीजें धुंधली दिखना
अगर बच्चा ब्लैकबोर्ड या टीवी पर लिखी या दिखाई जा रही चीजें साफ नहीं देख पा रहा, तो यह मायोपिया का संकेत हो सकता है। माता-पिता को बच्चों पर नजर रखनी चाहिए और अगर बच्चे में कोई लक्षण नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
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2. आंखें मिचमिचाना
पास और दूर की चीजें देखने के लिए बार-बार आंखें मिचकाना इस समस्या का आम लक्षण है। बच्चा ऐसा इसलिए करता है ताकि उसका फोकस बेहतर हो सके।
3. सिरदर्द और आंखों में दर्द
मायोपिया के शुरुआती दौर में आंखों पर ज्यादा जोर डालने से सिरदर्द और आंखों में थकान हो सकती है। अगर आपका बच्चा बार-बार सिर दर्द की शिकायत करता है तो आंखों के डॉक्टर से भी सलाह लें।
4. किताब या मोबाइल को पास से देखना
अगर बच्चा किताब, मोबाइल या टीवी स्क्रीन को बहुत पास से देखता है, तो यह भी मायोपिया का संकेत हो सकता है। छोटे बच्चों को मोबाइल कम से कम देना चाहिए और टीवी भी सीमित ही देखने दें।
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5. बार-बार आंख मलना
पास या दूर की चीजें साफ न दिखने और आंखों पर जोर पड़ने की वजह से बच्चे बार-बार आंख मलते हैं। इस तरह के लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से जांच करवाएं।
निष्कर्ष
मायोपिया बच्चों में तेजी से बढ़ने वाली आंखों की समस्या है, लेकिन समय पर पहचान और सही देखभाल से इसे गंभीर होने से रोका जा सकता है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों की आंखों की हेल्थ पर नजर रखें और स्क्रीन टाइम कम करें, आउटडोर एक्टिविटी और नियमित चेक-अप को उनके डेली रूटीन में शामिल करें।
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FAQ
बच्चों की आंखों की रोशनी कम क्यों होती है?
बच्चों की आंखों की रोशनी कम होने के कई कारण हो सकते हैं। सबसे आम वजह है लंबे समय तक मोबाइल, टीवी या कंप्यूटर स्क्रीन देखना, जिससे आंखों पर दबाव बढ़ता है। इसके अलावा, पोषण की कमी, खासकर विटामिन A, भी नजर कमजोर कर सकता है। जन्म से मौजूद आंखों की बीमारियां, आनुवंशिक कारण या समय से पहले जन्म (Premature birth) भी इसका कारण बन सकते हैं।बच्चों की आंखों की रोशनी बढ़ाने के क्या उपाय हैं?
बच्चों की आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए बैलेंस डाइट बेहद जरूरी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इनमें विटामिन A अच्छी मात्रा में होता है। बच्चों को रोजाना धूप में कुछ समय खेलने दें, जिससे आंखों को नेचुरल रोशनी मिले। नियमित अंतराल पर बच्चे की आंखों की जांच करवाएं ताकि किसी समस्या का समय पर इलाज हो सके।बच्चों का दिमाग कैसे तेज करें?
बच्चों का दिमाग तेज करने के लिए उन्हें बैलेंस डाइट देना जरूरी है, जिसमें बादाम, अखरोट, हरी सब्जियां, फल और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर चीजें शामिल हों। रोजाना 7-8 घंटे की गहरी नींद दिमाग का फंक्शन बढ़ाती है। पढ़ाई के साथ-साथ पजल, मेमोरी गेम और क्रिएटिव एक्टिविटीज कराएं, जिससे सोचने और याद रखने की क्षमता बेहतर हो।