Is It Possible For A 16 Year Old To Get Diabetes In Hindi: डायबिटीज एक ऐसी मेडिकल कंडीशन है, जिसमें शरीर का ब्लड शुगर का स्तर संतुलित नहीं रहता है। यह बढ़ भी सकता है और घट भी सकता है। डायबिटीज को लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारी माना जाता है। क्योंकि जब आप अनहेल्दी चीजें खाते हैं और खराब लाइफस्टाइल अपनाते हैं, तब ऐसी दिक्कतें होती हैं। ध्यान रखें कि डायबिटीज को आप जीवनशैली में अच्छी आदतों को अपनाकर मैनेज कर सकते हैं। लेकिन, अगर इसे सही तरह से मैनेज न किया जाए, तो कई घातक बीमारी होने का रिस्क रहता है। इसमें हार्ट संबंधी डिजीज शामिल हैं। बहरहाल, डायबिटीज होने से पहले की अवस्था को हम प्री-डायबिटीज कहते हैं। प्री-डायबिटीज का मतलब है कि शुगर का स्तर सामान्य रेंज से बढ़ना। लेकिन, यह रेंज इतनी बड़ी नहीं होती है कि इसे हाई ब्लड शुगर कहा जा सके। आमतौर पर डायबिटीज या प्री-डायबिटीज को वयस्कों की ही मेडिकल कंडीशन समझी जाती है। ऐसे में यह सवाल जरूर मन में उठता है कि क्या प्री-डायबिटीज बच्चों को भी हो सकता है? या यह महज एक मिथक है? आइए, मुंबई के परेल स्थित Gleneagles Hospital में Physician and diabetologist डॉ. आरती उल्लाल से जानते हैं इसकी सच्चाई।
क्या बच्चों को प्री-डायबिटीज हो सकता है?
सीडीसी में प्रकाशित एक लेख की मानें, तो प्री-डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसमें बच्चे भी शामिल हैं। खासकर, 12 से 17 साल की उम्र के बच्चों में यह मामले अधिक देखने को मिल रहे हैं। वहीं, येलमेडिसिन के अनुसार, "सभी बच्चों को अपने किशोरावस्था के दौरान इंसुलिन सेंसिटिविटी की कमी से गुजरना पड़ता है। ऐसा उनके हार्मोनल इंबैलेंस के कारण होता है। ऐसे में अगर बच्चा मोटापे का शिकार है, तो उनमें प्री-डायबिटीज का रिस्क बढ़ जाता है। यही नहीं, मोटापे के शिकार बच्चों में टाइप 2 मधुमेह, किडनी और हार्ट से जुड़ी समस्याओं का रिस्क भी बढ़ जाता है।"
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किन बच्चों को प्री-डायबिटीज का अधिक रिस्क होता है?
मोटापाः जैसा कि हमने पहले ही जिक्र किया है कि मोटापा कई गंभीर बीमारियों का कारण होता है। इसकी वजह से प्री-डायबिटीज का रिस्क भी बढ़ जता है। ऐसे में पैरेंट्स को कोशिश करनी चाहिए कि बच्चों को वजन अधिक न बढ़े।
फैमिली हिस्ट्रीः अगर परिवार में किसी को पहले से ही डायबिटीज या प्री-डायबिटीज है, तो बच्चे की हेल्थ पर कड़ी नजर रखें। क्योंकि ऐसे परिवारों के बच्चों में प्री-डायबिटीज होने का जोखिम बना रहता है।
हेल्थ कंडीशनः अगर बच्चों को पहले से ही हाई बीपी, कोलेस्ट्रॉल जैसी कोई समस्या है, तो ऐसे में बच्चे को प्री-डायबिटीज भी हो सकता है।
शारीरिक गतिविधियों में कमीः वैसे तो बच्चे हमेशा एक्टिव रहते हैं और उन्हें प्री-डायबिटीज का रिस्क कम होता है। लेकिन, आज की तारीख में देखा जाता है कि बच्चे आउटडोर एक्टिविटी के बजाय घर में बैठकर मोबाइल देखना अधिक पसंद करते हैं। ऐसे में उन्हें प्री-डायबिटीज होने की आशंका बनी रहती है।
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निष्कर्ष
बच्चों को भी वयस्कों की तरह प्री-डायबिटीज का रिस्क होता है। अगर किसी की फैमिली में पहले से ही प्री-डायबिटीज या डायबिटीज है, तो बच्चे की नियमित रूप से ब्लड टेस्ट करवाएं। साथ ही, उन्हें रेगुलर एक्सरसाइज और हेल्दी डाइट फॉलो करने के लिए कहें। इससे प्री-डायबिटीज के रिस्क को कम किया जा सकता है।
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FAQ
प्री डायबिटीज को कैसे खत्म करें?
प्री-डायबिटीज को मैनेज किया जा सकता है। इसके लिए आपको अपनी लाइफस्टाइल में सुधार करना चाहिए, हेल्दी डाइट लेनी चाहिए और रेगुलर एक्सरसाइज करना चाहिए। यही नहीं, प्री-डायबिटीज की कंडीशन को मैनेज करने के लिए स्ट्रेस के स्तर को भी कम करने की कोशिश करनी चाहिए।मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरे बच्चे को प्री-डायबिटीज है?
प्री-डायबिटीज एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें आपको कोई खास लक्षण नजर नहीं आते हैं। लेकिन, अगर आपने इसे इग्नोर कर दिया, तो बच्चे में डायबिटीज विकसित हो सकता है। ऐसे में बेहतर होगा कि आप उसकी नियमित रूप से जांच करवाएं।बच्चों में प्रीडायबिटीज रिवर्स कैसे करें?
बच्चों में प्री-डायबिटीज को रिवर्स करना है, तो उनका वजन संतुलित रखें, फिजिकली एक्टिव रहने की सलाह दें और हेल्दी डाइट फॉलो करने को कहें। उन्हें स्ट्रीट फूड और जंक फूड खाने के लिए मना करें। इस तरह प्री-डायबिटीज को रिवर्स करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, इस बात का ध्यान रखें कि प्री-डायबिटीज में बच्चे द्वारा की गई जरा सी लापरवाही उन्हें टाइप 2 डायबिटीज की ओर धकेल सकती है।