Prediabetes Symptoms In Feet In Hindi: प्री-डायबिटीज होने का मतलब है कि व्यक्ति का ब्लड ग्लूकोज का स्तर सामान्य से ज्यादा होना। लेकिन, इतना ज्यादा भी नहीं है कि उसे डायबिटीज के कैटेगरी में रखा जाए। आमतौर प्री-डायबिटीज और डायबिटीज के लक्षणों में फर्क करना मुश्किल होता है, क्योंकि दोनों में कई समानताएं होती हैं। अगर व्यक्ति को प्री-डायबिटीज है, तो भी उन संभावित बीमारियों के होने का रिस्क रहता है, जो डायबिटीज के मरीजों में होता है। इसलिए, आपको डायबिटीज हो या प्री-डायबिटीज, दोनों ही स्थिति में इसके लक्षणों पर गौर करना चाहिए। किसी भी स्थिति में इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए और समय-समय पर अपना डायबिटीज टेस्ट करवाते रहना चाहिए। ऐसा करके आप समय रहते अपनी समस्या के बारे में जान सकेंगे और जीवनशैली-खानपान से जुड़े बदलाव भी कर सकेंगे। बहरहाल, प्री-डायबिटीज होने पर पैरों में भी कुछ विशेष किस्म के लक्षण (Prediabetes Ke Lakshan) नजर आते हैं। आज इस लेख में हम इसी बारे में जानेंगे। इन लक्षणों के बारे में जानकर आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर अपना शुगर लेवल चेक करवा सकते हैं।
प्री-डायबिटीज होने पर पैरों में नजर आने वाले लक्षण- Prediabetes Symptoms In Feet In Hindi
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नाखूनों में फंगल इंफेक्शन
यूं, तो फंगल इंफेक्शन किसी को भी हो सकता है। लेकिन, प्री-डायबिटीज और डायबिटीज के मरीजों के नाखूनों में फंगल इंफेक्शन का रिस्क बहुत ज्याद होता है। नाखूनों में फंगल इंफेक्शन होने पर इनका रंग पीला पड़ जाता है और नाखूनों में दरार पड़ जाती है। सामान्यतौर पर गंदे जूते या जुराब पहनने के कारण, पैरों की सही तरह देखभाल न करने के कारण नाखूनों में फंगल इंफेक्शन का रिस्क रहता है। इसके अलावा, अगर कभी नाखूनों में चोट लगी हो, तब भी नेल फंगल इंफेक्शन हो सकता है। अगर आपके नाखूनों में कोई भी समस्या दिखाई दे, तो इसे नजरअंदाज न करें।
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डायबिटिक अल्सर
डायबिटिक अल्सर पैरों में होता है। अल्सर यानी चोट या घाव होता है। आमतौर पर डायबिटीज के मरीजों में अल्सर की रिकवरी बहुत धीमी होती है। इसलिए, एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि डायबिटीज के मरीजों को अल्सर, चोट या घाव की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। क्योंकि, अगर अल्सर की सही तरह देखभाल न की जाए, तो यह संक्रमित हो सकता है। प्री-डायबिटीज में भी इस तरह की समस्या हो सकती है। इस संबंध में खुद को सजग रखें और जरूरत पड़े, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
झनझनाहट और सुन्नपन
अगर किसी व्यक्ति को लंबे समय से प्री-डायबिटीज है, तो उसके नर्व डैमेज हो सकते हैं। इस तरह की समस्या डायबिटीज के मरीजों के साथ भी होती है। आपको बता दें कि यह कंडीशन सही नहीं है। डायबिटीज न्यूरोपैथी के कारण पैरों, पंजों और हाथों में सुन्नपन, झनझनाहट, जलन और शरीर के कई हिस्सों में दर्द होने की समस्या बढ़ जाती है। ऐसा खासकर उन लोगों के साथ होता है, जिनका ब्लड शुगर का स्तर ज्याद होता है। इससे ब्लड वेसल्स को काफी नुकसान पहुंचता है।
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पैरों की स्किन का ड्राई होना
प्री-डायबिटीज के कारण स्किन ड्राई हो जाती है। जहां तक पैरों की त्वचा की बात है, प्री-डायबिटीज का इस पर भी बुरा असर पड़ता है। प्री-डायबिटीज होने के कारण पैरों की त्वचा फट सकती है, क्रैक्स पड़ सकते हैं या इसी तरह की स्किन से जुड़ी दूसरी परेशानियां हो सकती हैं। अगर आपको भी इस तरह की परेशानियां हो रही हैं, तो बेहतर है कि आप पैरों की केयर करें। रेगुलर मॉइस्चराइजर लगाएं, माइल्ड साबुन का इस्तेमाल करें। अगर पैरों की स्किन में सुधार न हो, तो बेहतर है कि आप डॉक्टर से मिलकर अपना इलाज करवाएं।
एथलीट फुट
एथलीट फुट एक तरह का फंगस है। इसकी वजह से पैरों में खुजली, रेडनसे और रैशेज हो सकते हैं। अगर एथलीट फुट के कारण जर्म्स स्किन के अंदर घुस जाएं, तो ऐसे में स्किन इंफेक्शन हो सकता है। इस तरह की समस्या होने पर आपको घरेलू नुस्खों के बजाय, डॉक्टर से संपर्क कर अपना इलाज करवाना चाहिए। आपको दवाई और क्रीम दिया जाएगा, जिसे नियमित अनुसार और खाना पड़ता है और घाव में लगाना पड़ता है। इस तरह, एथलीट फुट से रिकवरी में मदद मिल सकती है।
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