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Does Prediabetes Do Damage: डायबिटीज अपने आप में एक गंभीर मेडिकल कंडीशन है। इसका मतलब है कि ब्लड शुगर का स्तर सामान्य से अधिक या कम होना। जब शरीर में ब्लड शुगर का स्तर स्थिर नहीं रहता है, तो ब्लड फ्लो बाधित होने लगता है, जिसका बुरा प्रभाव ब्लड वेसल्स पर पड़ता है। यही नहीं, अगर लंबे समय तक डायबिटीज के मरीज अपना इलाज नहीं कराते हैं, तो इसकी वजह से हार्ट पर भी बुरा असर पड़ सकता है। बहरहाल, डायबिटीज होने से पहले की कंडीशन को प्री-डायबिटीज कहा जाता है। यह वह स्थिति होती है, जब ब्लड शुगर का स्तर हल्का सा बढ़ा हुआ होता है, लेकिन इतना नहीं कि उसे डायबिटीज की रेंज में डाला जाए। ऐसे में यह सवाल जरूर मन में उठता है कि क्या प्री-डायबिटीज होना खतरनाक है? इस बारे में जानने के लिए हमने नोएडा सेक्टर 71 स्थित कैलाश अस्पताल Consultant - Endocrinology डॉ. राहुल पाराशर से बात की। आप भी जानें विस्तार से।
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क्या प्री-डायबिटीज होना खतरनाक है?- Is Prediabetes Bad
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सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC) में प्रकाशित एक लेख की मानें, तो अमेरिका में हर तीन व्यक्ति में एक को प्री-डायबिटीज है। इसी लेख में यह भी बताया गया है कि प्री-डायबिटीज होना खतरनाक होता है। इसे किसी भी तरह से हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। जिन लोगों को प्री-डायबिटीज है, उन्हें टाइप 2 डायबिटीज होने का रिस्क बहुत ज्यादा होता है। यही नहीं, प्री-डायबिटीज की वजह से हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का रिस्क भी बढ़ जाता है।
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किन लोगों को होता है प्री-डायबिटीज का रिस्क
आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि कई बार कुछ लोगों सालों-साल प्री-डायबिटीज का शिकार होते हैं, लेकिन उन्हें इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं। इसलिए, वे इस संबंध में ज्यादा परेशान नहीं रहते हैं। जबकि, ऐसा किया जाना सही नहीं है। आइए, जानते हैं कि किन लोगों को प्री-डायबिटीज का रिस्क अधिक होता है-
ओवर वेटः ओबेसिटी और मोटापा कई गंभीर समस्याओं का कारण होता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में प्रकाशित एक लेख से पता चलता है कि मोटापे के कारण बॉडी में ग्लाइसेमिक कंट्रोल डैमेज होने लगता है। ऐसे में प्री-डायबिटीज का रिस्क बढ़ जाता है। अगर व्यक्ति समय पर अपनी लाइफस्टाइल को बैलेंस न करे, तो इसकी वजह से भविष्य में टाइप 2 डायबिटीज भी हो सकता है।
फिजिकल एक्टिव न होनाः अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन में प्रकाशित एक रिपोर्ट की मानें, तो सप्ताह में कम से कम तीन दिन हर फिजिकल वर्कआउट करना जरूरी होता है। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो इसकी वजह से प्री-डायबिटीज का रिस्क बढ़ जाता है। इसका मतलब है कि हर व्यक्ति को रोजाना कम से कम 30 मिनट की सामान्य वॉक जरूर करनी चाहिए। इससे डायबिटीज और प्री-डायबिटीज के जोखिम को कम किया जा सकता है।
स्मोकिंगः अगर कोई नियमित रूप से स्मोकिंग करता है, तो इसका बहुत बुरा असर ओर ऑल हेल्थ पर पड़ता है। विशेषज्ञों की मानें, तो स्मोकिंग करने की वजह से ब्लड वेसल्स कमजोर हो जाती हैं और ब्लड फ्लो भी बाधित होने लगता है। ऐसे में प्री-डायबिटीज का रिस्क भी बढ़ जाता है।
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प्री-डायबिटीज से जुड़े रिस्क- What Are The Risk Factors Of Pre Diabetes
प्री-डायबिटीज होने पर हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का रिस्क ज्यादा बढ़ जाता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में प्रकाशित एक अन्य रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि होती है कि प्री-डायबिटीज की वजह से ब्लड शुगर बढ़ जाता है, जिसकी वजह से इंफ्लेमेशन होने लगता है और इंसुलिन रेजिस्टेंस की वजह से ब्लड वेसल्स डैमेज हो जाती हैं। नतीजतन, हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का रिस्क बढ़ने गलता है। ऐसे में हार्ट फेलियर और साइलेंट हार्ट अटैक का जोखिम भी बढ़ जाता है।
निष्कर्ष
प्री-डायबिटीज को हल्के में लेना सही नहीं है। सवाल है, इसका पता कैसे चलेगा? इसका आसान तरीका है कि नियमित रूप से अपने ब्लड शगुर की जांच करें। ध्यान रखें कि कई बार शरीर किसी भी तरह का लक्षण नहीं दिखाता है, लेकिन फिर भी व्यक्ति प्री-डायबिटिक होता है। प्री-डायबिटीज को डायबिटीज में तब्दील होने से रोकने के लिए अपनी लाइफस्टाइल का पूरा ध्यान रखें।
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Nov 12, 2025 13:15 IST
Modified By : Meera TagoreNov 12, 2025 13:15 IST
Published By : Meera Tagore