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प्रीडायबिटीज के लक्षणों की कैसे करें पहचान? डॉक्टर ने बताया घर पर डायबिटीज चेक करने का सही तरीका

Diabetes in Hindi: जिस तरह से डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए इसके लक्षणों की पहचान करना और समय पर इलाज कराना बहुत महत्वपूर्ण है। इस लेख में डॉक्टर्स ने प्रीडायबिटीज से लेकर डायबिटीज के लक्षणों, चेकअप और मैनेज करने के तरीकों पर विस्तार से बात की है।

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प्रीडायबिटीज के लक्षणों की कैसे करें पहचान? डॉक्टर ने बताया घर पर डायबिटीज चेक करने का सही तरीका

Diabetes in Hindi: आजकल की भागदौड़ और स्ट्रेस भरी लाइफ में जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड का चलन जिस तरह से बढ़ रहा है, उसी रफ्तार से लोगों को लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां भी बढ़ रही हैं। इन बीमारियों में डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इसी वजह से भारत को डायबिटीज का कैपिटल तक कहा जाता है। भारत में तेजी से बढ़ती संख्या का कारण लोगों को डायबिटीज के बारे में जानकारी न होना। इसी वजह से ब्लड शुगर बॉर्डर लाइन पर होने के बाद भी न तो इलाज कराया जाता है और न ही जीवनशैली में बदलाव किया जाता है। डायबिटीज से पहले की स्थिति को प्रीडायबिटीज कहा जाता है। अगर इस दौरान मरीज अपने इलाज के प्रति सजग हो जाए, तो इसे मैनेज करना काफी आसान हो जाता है। वर्ल्ड डायबिटीज डे (World Diabetes Day) के मौके पर हमने कई डॉक्टर्स से बात की और उनसे डायबिटीज को बेहतर तरीके से जानने की कोशिश की।

प्रीडायबिटीज की पहचान कैसे करें?

इस बारे में दिल्ली के पीएसआरआई अस्पताल के एंडोक्रिनोलॉजी और डायबिटीज विभाग की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. हिमिका चावला (Dr Himika Chawla, Senior Consultant- Endocrinology and Diabetology, PSRI Hospital, Delhi) कहती हैं, “दरअसर प्रीडायबिटीज में ब्लड शुगर का लेवल सामान्य से ज्यादा लेकिन इतना भी ज्यादा नहीं होता कि उसे डायबिटीज माना जाए। यह अक्सर बिना किसी साफ लक्षण के धीरे-धीरे बढ़ती है, इसलिए बहुत से लोगों को पता भी नहीं चलता कि उन्हें प्रीडायबिटीज है। अगर किसी को भी ये लक्षण दिखते हैं, तो एक बार डायबिटीज का टेस्ट जरूर कराएं। 35 साल की उम्र के बाद ब्लड शुगर रेगुलर टेस्ट कराना चाहिए। सबसे अच्छी बात यह है कि वेट कंट्रोल करके, रेगुलर एक्सरसाइज, डाइट और स्ट्रेस कम करके टाइप 2 डायबिटीज को रोका जा सकता है। इन लक्षणों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। ”

  • थकान रहना
  • ज्यादा प्यास लगना
  • बार-बार पेशाब आना
  • आंखों से धुंधला दिखना
  • छोटे घाव का देर से भरनाtop 3 diabetes countries in hindi

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डायबिटीज से जुड़े आंकड़े

अगर हम डायबिटीज के आंकड़ों को देखें, तो दुनियाभर में इसके मामलों में इजाफा हो रहा है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, 1990 में दुनियाभर में लगभग 20 करोड़ लोग डायबिटीज से ग्रस्त थे, जिनकी संख्या साल 2022 में बढ़कर 83 करोड़ हो गई है। खास बात यह है कि विकसित देशों के मुकाबले कम और मिडिल इनकम देशों में यब बीमारी तेजी से बढ़ रही है। इसमें सबसे हैरानी की बात यह है कि साल 2022 में आधे से ज्यादा डायबिटीज रोगी दवाई तक नहीं ले रहे। ये आंकड़े साफ तौर पर दिखाते हैं कि डायबिटीज की बीमारी क्यों तेजी से पैर पसार रही है।

अगर हम भारत की बात करें, तो NCBI में प्रकाशित साल 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, देश डायबिटीज रोगियों की संख्या में दुनिया में दूसरे स्थान पर है। हालांकि जुलाई 2023 में ICMR INDIAB में प्रकाशित स्टडी के अनुसार, दो भारत में करीब 10.1 करोड़ डायबिटीज रोगी है। अगर राज्यों के स्तर पर देखें, तो गोवा में 26.4% डायबिटीज के मामले सबसे ज्यादा पाए गए हैं और उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा महज 4.8% है।

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घर में डायबिटीज कैसे चेक करें?

डॉ. हिमिका कहती हैं, “आमतौर पर घर में डायबिटीज चेक करने का सबसे आसान तरीका ग्लूकोमीटर है। ब्लड शुगर की जांच सुबह खाली पेट (फास्टिंग) और खाने के दो घंटे बाद करनी चाहिए। फास्टिंग शुगर आमतौर पर 100 mg/dl से कम और खाने के दो घंटे बाद शुगर 140 mg/dl से कम होनी चाहिए। रेगुलर घर पर ब्लड शुगर चेक करने से मरीज अपनी स्थिति को बेहतर समझ पाता है और समय पर सही कदम उठा सकता है लेकिन टेस्ट करते समय कुछ बातें जरूर ध्यान रखें।”

  • हाथ साफ रखें
  • हर बार नई सुई (lancet) इस्तेमाल करें
  • अपनी रीडिंग रोजाना नोट करें।

CDC के अनुसार, डायबिटीज टेस्ट करते समय ब्लड शुगर की रेंज ये रहनी चाहिए।

टेस्ट का समय

नॉर्मल

प्रीडायबिटीज डायबिटीज

फास्टिंग (सुबह खाली पेट)

99 mg/dL से कम 100–125 mg/dL 126+ mg/dL
खाने के 2 घंटे बाद 140 mg/dL से कम 140–199 mg/dL

200+ mg/dL

टाइप 1 डायबिटीज की पहचान कैसे करें?

इस बारे में गाजियाबाद के निष्काम डायबिटीज केयर एंड रिसर्च के डायरेक्टर और हेड डॉ प्रह्लाद चावला (Dr Prahlad Chawla, Director & Head, Nishkaam Diabetes Care and Research) कहते हैं, “यह ध्यान रखना चाहिए कि टाइप 1 डायबिटीज शरीर में इंसुलिन न बनने के कारण होता है। अक्सर टाइप 1 डायबिटीज बच्चों और यंग लोगों में ज्यादा देखने को मिलता है। इसमें इंसुलिन न होने पर शरीर ग्लूकोज को एनर्जी में बदल नहीं पाता और शरीर का फैट एनर्जी बनाने लगता है। इसी वजह से टाइप 1 डायबिटीज में मरीज का वजन तेजी से गिरने लगता है। उसे लगातार कमजोरी और थकान महसूस होने लगती है। अगर किसी को बार-बार प्यास लगे और बार-बार पेशाब जाने की जरूरत महसूस हो, तो डायबिटीज का टेस्ट जरूर कराना चाहिए। टाइप 1 डायबिटीज को मैनेज करने के लिए इंसुलिन इंजेक्शन की सलाह दी जाती है। टाइप 1 डायबिटीज किसी भी अन्य तरीके से नियंत्रित नहीं हो सकती है, इसलिए किसी भी झूठे दावे में न फंसे क्योंकि यह आपके बच्चे के लिए जानलेवा हो सकता है।”

टाइप 2 डायबिटीज की पहचान कैसे करें?

डॉ प्रह्लाद चावला कहते हैं, “टाइप 1 डायबिटीज में बॉडी इंसुलिन नहीं बना पाती, वहीं टाइप 2 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन तो बनाता है, लेकिन बॉडी सेल्स इंसुलिन को पहचान नहीं पाते। कहने का मतलब है कि बॉडी इंसुलिन के प्रति रेजिस्टेंट हो जाती है और इससे ब्लड शुगर धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। अगर किसी का पेट के आसपास वजन बढ़ने लगे, गर्दन के पीछे या शरीर कहीं से भी काला होने लगे, बार-बार भूख लगे या जख्म देरी से ठीक हो तो टाइप 2 डायबिटीज होने का रिस्क हो सकता है। वैसे इसे डाइट, एक्सरसाइज और दवाइयों से मैनेज किया जा सकता है।”

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डायबिटीज में स्ट्रेस का असर

मुंबई के होली फैमिली अस्पताल की जरनल मेडिसन और क्रिटिकल केयर फिजिशयन डॉ. अनुपमा सरदाना (Dr. Anupama Sardana – General Medicine and Critical Care Physician at Holy Family Hospital, Mumbai) ने बताया, “आमतौर पर लोग यह शिकायत करते हैं कि स्ट्रेस की वजह से उनका ब्लड शुगर भी बढ़ जाता है। दरअसल, स्ट्रेस में शरीर में कॉर्टिसोल और एड्रेनालिन जैसे हार्मोन बढ़ जाते हैं। ये हार्मोन ब्लड शुगर को ऊपर ले जाते हैं।

लगातार स्ट्रेस रहने पर इंसुलिन का असर भी कम होने लगता है, जिससे शुगर कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए मैं मरीजों को हमेशा कहती हूं कि जितनी दवाइयां और डाइट जरूरी है, उतना ही योग, मेडिटेशन या रोज की हल्की एक्सरसाइज महत्वपूर्ण है।”

डायबिटीज को मैनेज करने के लिए डाइट

दिल्ली और वैशाली के मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में क्लिनिकल और बैरिएट्रिक डाइटिशियन और Samreedietrx की फाउंडर डॉ. समरीन फारूक (Dr. Samreen Farooq, Founder of Samreedietrx & Clinical and Bariatric Dietitian, Max Super Specialty Hospital, Patparganj & Vaishali) ने बताया, “डायबिटीज मैनेज करने के लिए किसी भी तरह के कड़ी डाइट की जरूरत नहीं होती। मैं हमेशा डायबिटीज मरीजों को रोजाना छोटी-छोटी आदतों में बदलाव करने की सलाह देती हूं, ताकि ब्लड शुगर को कंट्रोल किया जा सके।”

  1. मरीजों को फाइबर डाइट जैसे साबुत अनाज, सब्जियां और बीज ज्यादा खाने की सलाह
  2. खाना तय समय पर खाना
  3. सीमित मात्रा में डाइट लें
  4. अपने वजन के हिसाब से प्रोटीन लेना जरूरी
  5. डाइट में कम कार्बोहाइड्रेट लें
  6. चीनी व मीठी चीजों से बचें

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डायबिटीज को मैनेज करने के लिए लाइफस्टाइल

डॉ. अनुपमा सरदाना कहती हैं, “अगर रोजाना छोटी-छोटी आदतों को सुधार लिया जाए, तो डायबिटीज को मैनेज करना काफी आसान हो जाता है। इसलिए मैं डायबिटीज रोगियों को अपने लाइफस्टाइल में ये सुधार करने को खासतौर पर कहती हूं।”
डाइट में फाइबर ज्यादा, मैदा और मीठा बिल्कुल कम लें।

  • रोज कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज करें।
  • वजन कंट्रोल में रखें।
  • अच्छी नींद बहुत जरूरी है।
  • स्मोकिंग और ज्यादा शराब से बचें।
  • ब्लड शुगर को समय-समय पर चेक करते रहें।

निष्कर्ष

डॉक्टर्स का मानना है कि भारत में डायबिटीज की बीमारी के मामलों को डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव करके काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके अलावा, प्रीडायबिटीज के लक्षणों की पहचान जल्दी हो जाए, तो चेकअप और दवाइयों की मदद से डायबिटीज को मैनेज करना आसान है। डॉक्टर्स कहते हैं कि अगर डायबिटीज की बीमारी का समय रहते इलाज न किया जाए, तो यह शरीर के जरूरी अंगों जैसे आंख, किडनी और हार्ट को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए डायबिटीज की पहचान करके इलाज कराना बहुत जरूरी है।

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  • Nov 10, 2025 16:04 IST

    Modified By : Aneesh Rawat
  • Nov 10, 2025 16:01 IST

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  • Nov 10, 2025 16:01 IST

    Published By : Aneesh Rawat

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