
Diabetes True Story in Hindi: आजकल डायबिटीज एक आम समस्या बन गई है। खराब लाइफस्टाइल और खान-पान की वजह से अधिकतर लोग डायबिटीज से जूझ रहे हैं। डायबिटीज की समय पर पहचान न हो पाने की वजह से यह बीमारी काफी गंभीर हो जाती है। हालांकि कई बार शरीर महीनों पहले ही बीमारी होने का संकेत देना शुरू कर देता है, लेकिन कई लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं, तो कुछ इन लक्षणों को गंभीरता से लेते हैं। कुछ ऐसा ही मामला कानपुर के अतुल श्रीवास्तव का रहा। उन्होंने अपनी बीमारी को इग्नोर करने की बजाय उसकी पूरी जांच कराई। इसका फायदा यह हुआ कि अतुल को डायबिटीज की बीमारी बहुत जल्द ही पता चल गई और आज वह पूरी मेहनत के साथ इस बीमारी से रिकवर होने की कोशिश कर रहे हैं। आइये, जानते हैं अतुल कुमार श्रीवास्तव की डायबिटीज होने से लेकर रिकवरी तक की जर्नी, जो समय पर टेस्ट कराने से लेकर खुद का ध्यान रखने की प्रेरणा देती है।
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यूरिन इंफेक्शन ने किया परेशान
कानपुर के रहने वाले 56 साल के अतुल कुमार श्रीवास्तव की डायबिटीज जर्नी एक इंफेक्शन से शुरू हुई। उन्होंने कहा, “दरअसल, इसी साल 18 अप्रैल को मुझे UTI की समस्या हुई। इस वजह से मुझे दर्द और जलन होने लगी और डॉक्टर ने टेस्ट करने के बाद मुझे एंटीबायोटिक्स दीं। मुझे भी यह समस्या आम लगी थी, लेकिन इस परेशानी को ठीक होने में करीब एक से डेढ़ महीना लगा, जो काफी अजीब था। शायद शरीर में कुछ और भी चल रहा था, जिसका संकेत यह इंफेक्शन दे रहा था। आखिरकार मुझे UTI की बीमारी ठीक हो गई। लाइफ वापस सामान्य चलने लगी और फिर जुलाई के आखिरी हफ्ते के आसपास मुझे किसी फंक्शन में कानपुर से बाहर जाना था। वहां से आकर मुझे टेस्टिकल्स में दर्द शुरू हो गया और यूरिन में भी जलन होने लगी। फिर एक बार डॉक्टर का रुख किया, तो उन्होंने फिर दवाइयां दी, लेकिन इस बार इंफेक्शन ठीक ही नहीं हो रहा था। यूरिन इंफेक्शन से काफी परेशानी होने लगी थी।”

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डायबिटीज का कैसे पता चला?
परेशानी भरे दिनों को याद करते हुए अतुल श्रीवास्तव कहते हैं, “UTI की परेशानी दवाइयों से ठीक न होने पर डॉक्टर ने मुझे ब्लड शुगर के साथ कई और भी टेस्ट कराए। मुझे काफी महसूस ही नहीं हुआ कि मैं डायबिटीज का मरीज भी हो सकता हूं क्योंकि मेरी रिपोर्ट में डायबिटीज 7.4 था, जिसका मतलब था कि डायबिटीज भी काफी ज्यादा था। डॉक्टर के साथ-साथ मुझे भी लगा था कि मैं प्री-डायबिटीज का मरीज हो सकता हूं, लेकिन मैंने सोचा नहीं था कि मेरा डायबिटीज इतना गंभीर हो सकता है। इसी कारण मेरी UTI की समस्या बार-बार हो रही थी। हालांकि डॉक्टर ने मुझे डायबिटीज की कोई दवाई नहीं दी, लेकिन परहेज करने की सलाह दी और एक महीने बाद फॉलो-अप के लिए कहा।
दवाइयों के साथ डायबिटीज कंट्रोल करने की कोशिश
अतुल ने कहा, “शुरुआत में डॉक्टर ने मुझे दवाई नहीं दी, लेकिन एक महीने बाद जब दोबारा ब्लड शुगर के टेस्ट कराए, तो फिर से ब्लड शुगर हाई निकला। अब डॉक्टर ने मुझे डायबिटीज मैनेज करने की दवाइयां दी। पहले मुझे थकान और बैचेनी महसूस होती थी, जो दवाई लेने के बाद ठीक लगने लगा। इसका मतलब था कि दवाइयों की वजह से शुगर कंट्रोल होने लगी थी और लक्षण भी कम होने लगे थे। मैंने करीब एक से डेढ़ महीने तक दवाइयां ली और इसके बाद मुझे महसूस हुआ कि दवाइयां छोड़ने के लिए मुझे अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करने ही होगे।”

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डायबिटीज मैनेज करने के लिए लाइफस्टाइल में किए बदलाव
अतुल कुमार श्रीवास्तव कहते हैं, “मैं जीवनभर दवाइयों पर निर्भर नहीं रहना चाहता था, इसलिए मैंने अपने लाइफस्टाइल पर काम करने का सोचा। मैंने अपने जीवन में चार आदतों पर काम किया।”
रोजाना 3 से 4 किमी वॉक
अतुल कहते हैं, “सेहतमंद रहने के लिए मैंने वॉक करना शुरू किया। रोजाना कम से कम एक से डेढ़ घंटा मैं टेरेस पर टहलने लगा और करीब आधा घंटा मैं अपनी छत की सफाई करता हूं। इससे वॉक के साथ फिजिकल एक्टिविटी भी होने लगी। रोजाना वॉक और फिजिकल एक्टिविटी करने से मैं खुद को काफी अच्छा महसूस करने लगा था।”
डंबल्स और हल्की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग
अतुल ने कहा, “ हालांकि शुरुआत में यह मेरा प्लान नहीं था, क्योंकि मैंने कभी जीवन में कसरत नहीं की थी। मैंने अपने बेटे के डंबल्स देखे, तो छत पर लाकर रख दिए। फिर धीरे-धीरे डंबल्स उठाना और हल्की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग शुरू की। इस तरह कसरत करने से मुझे एनर्जी महसूस होने लगी और एक बार कसरत शुरू कर दो, तो फिर आपको खुद ही रोजाना एक्सरसाइज करने की आदत बन जाती है। मैं रोजाना वॉक और कसरत दोनों कर रहा हूं।”
डाइट में बदलाव
अतुल ने बताते हैं, “शुगर कंट्रोल करने के लिए डाइट पर काम करना बहुत जरूरी था। इसलिए मैंने सबसे पहले अपनी डाइट से चीनी, चावल, आलू, मैदा और जंक फूड को निकाल दिया। हालांकि चीनी मैंने धीरे-धीरे कम करनी शुरू की और आज मैं बिल्कुल भी चीनी नहीं लेता। डाइट को बेहतर बनाने में मेरी पत्नी ने भी मेरा पूरा साथ दिया। मेरी वाइफ ने पूरा डाइट प्लान बनाया है, इसमें सुबह फाइबर खाना, दोपहर में फल और किन चीजों का परहेज रखना है, सब कुछ पत्नी ने मेन्यू बनाकर रखा है। इससे मुझे बहुत फायदा मिला।”
शुगर चेक करने के लिए ग्लूकोमीटर का इस्तेमाल
अतुल कहते हैं, “रेगुलर शुगर चेक करने के लिए मैंने ग्लूकोमीटर लिया और अब हर तीसरे दिन अपना शुगर चेक करता हूं और उसे नोट करता हूं। इससे मुझे शुगर कितना ज्यादा कम हो रहा है, उसका पता चलता है। डाइट, एक्सरसाइज और वॉक के साथ यह ब्लड शुगर चेक करना भी बहुत महत्वपूर्ण है। अब मैं मेरा ब्लड शुगर कंट्रोल में है और मैं खुद भी एक्टिव महसूस करता हूं।”
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डायबिटीज मरीजों के लिए अतुल श्रीवास्तव का मैसेज
अतुल कुमार श्रीवास्तव कहते हैं, “मैंने अपनी जर्नी से यह सीखा है कि अगर किसी भी तरह के लक्षण बार-बार उभर रहे हो और दवाइयों के बावजूद ठीक न हो, तो गहराई से चेकअप कराएं। बीमारी का जल्दी पता चलने से लाइफस्टाइल में बदलाव करके कंट्रोल किया जा सकता है। इसके अलावा, डायबिटीज को मैनेज करने के लिए वॉक, कसरत, डाइट में बदलाव जरूर करें। अगर इन तीन चीजों को लाइफस्टाइल का हिस्सा बना लिया जाए, तो ब्लड शुगर कंट्रोल करना आसान है। हमेशा याद रखें कि बार-बार इंफेक्शन होने, दवाई का असर न होने पर एक छोटा से ब्लड शुगर टेस्ट आपकी जिंदगी बचा सकता है।”
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Nov 17, 2025 17:44 IST
Modified By : Aneesh RawatNov 17, 2025 17:41 IST
Published By : Aneesh Rawat