True Story of Pregnancy in Hindi: प्रेग्नेंसी के दौरान हर महिला खुद में शारीरिक और मानसिक बदलाव महसूस करती है। इसकी वजह हार्मोन्स में चेंज आना है। इस दौरान आमतौर पर मतली, उल्टी या थकान (symptoms of pregnancy) जैसी समस्याएं देखने को मिलती है। प्रेग्नेंसी की स्थिति में अगर महिला अपने परिवार के किसी अपने को खो दे, तो यह समय बहुत ज्यादा तकलीफ वाला हो जाता है। कुछ ऐसा ही उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में रहने वाली शालिनी श्रीवास्तव के साथ हुआ। उनकी पहली प्रेग्नेंसी तो काफी ज्यादा अच्छे तरीके से गुजरी थी, लेकिन दूसरी प्रेग्नेंसी में उन्हें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की परेशानियां का सामना करना पड़ा। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शालिनी ने सभी समस्याओं को समझा, उनका समाधान निकाला और प्रेग्नेंसी में मजबूत बनी रही। उनकी जर्नी को समझकर कहा जा सकता है कि जब महिला मां बनती है, तो वह स्ट्रांग बन जाती है और #MaaStrong कैंपेन में हम लाएं हैं, ऐसी महिलाओं की कहानियां जो अपनी प्रेग्नेंसी की चुनौतियों से बाहर निकलकर दूसरों के लिए मिसाल बनी हैं।
प्रेग्नेंसी की शुरुआत में मां को खोया
शालिनी भावुक होते हुए कहती हैं, “दरअसल, मेरी मां ने ही मुझे दूसरी प्रेग्नेंसी के लिए कहा था और उनकी दिली तमन्ना थी कि मेरे दो बच्चे हों। मुझे बहुत अफसोस होता है कि जब मुझे अपनी प्रेग्नेंसी का पता चला, उससे 4 दिन पहले ही मां के निधन की खबर आ गई थी। मुझे इस बात का जीवनभर अफसोस रहेगा कि जाने से पहले उन्हें कम से कम मैं अपनी प्रेग्नेंसी के बारे में बता पाती। वह इस खबर को जानकर बहुत खुश होतीं। मां का इस दुनिया से चले जाना मेरे लिए जीवन की बहुत बड़ी क्षति थी। प्रेग्नेंसी में इस न्यूज ने मुझे अंदर तक हिला दिया था और मैं कई महीनों तक परेशान रही। प्रेग्नेंसी की शुरुआत में जिस मेंटल टेंशन से मैं गुजर रही थी, उसे शब्दों में बयान करना मेरे लिए बहुत मुश्किल है और आज भी जब मैं उस समय को याद करती हूं तो आंसूओं को रोकना मुश्किल हो जाता है।”
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प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में हुई परेशानी
शालिनी ने बताया, “एक तरफ मां को खोने का दुख मुझे मानसिक रूप से परेशान कर रहा था, तो दूसरी तरफ इस दौरान मतली और उल्टियों के कारण मैं शारीरिक रुप से दुखी थी। कुछ भी खाने पर उल्टी हो जाती थी इसलिए बिल्कुल खाने का मन नहीं करता था। पहली प्रेग्नेंसी में मैंने अनार का जूस बहुत पिया था, लेकिन इस प्रेग्नेंसी में तो जैसे अनार से मुझे एलर्जी हो गई थी। जैसे ही अनार का जूस पीती थी, वैसे ही उल्टी आ जाती थी। सारा दिन थकान महसूस होती थी। पहली तिमाही काफी मुश्किल रही थी, लेकिन मैंने खुद को हिम्मत दी। धीरे-धीरे मैंने खुद को संभाला और पहली तिमाही पूरी हो गई।”
दूसरी तिमाही में स्किन रैशेज की समस्या हुई
शालिनी बताती हैं, “दूसरी तिमाही आते-आते मैंने काफी हद तक खुद को संभाल लिया था। मैं खुद पर ध्यान देने लगी थी। डाइट पर ध्यान दिया और साथ ही मेंटल स्ट्रेस कम करने के लिए खुद को काम पर लगाया। जब मैं पांचवे महीने में पहुंची, तो शरीर में रैशेज होने लगे। हाथ और पैरों पर रैशेज सबसे ज्यादा थे। मुझे परिवार के लोगों ने कहा कि इन रैशेज पर खुजली मत करना, नहीं तो धब्बे पड़ जाएंगे। मैं बहुत कोशिश करती थी कि खुजली न करूं, लेकिन फिर बर्दाश्त से बाहर हो गया। डॉक्टर से भी सलाह ली और उन्होंने कई तरह के टेस्ट कराए।”
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स्किन रैशेज पर घरेलू नुस्खे काम आए
शालिनी कहती हैं, “डॉक्टर ने जो भी टेस्ट कराए थे, वे सभी नेगेटिव थे। उन्होंने मुझे दवाइयां दी थीं लेकिन उनसे कोई आराम नहीं आ रहा था। मैंने कई जगह पढ़ा भी था कि अगर ज्यादा समस्या रहे, तो इससे मिसकैरेज भी हो सकता है। मैं काफी डर गई थी और फिर मैंने घरेलू उपाय अपनाने का सोचा। इससे पहले मैं यह भी कहना चाहूंगी कि सभी की प्रेग्नेंसी अलग होती है और यह घरेलू उपाय हर किसी पर वैसे ही काम करें जैसे मुझ पर किए हैं, यह जरूरी नहीं है। मैंने एलोवेरा जेल (Aloe Vera Gel) रैशेज पर लगाना शुरू किया। इसके साथ बेसन और दही को ठंडा करके इसका लेप पूरे शरीर पर लगाया। इससे मुझे काफी आराम मिला।”
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डिलीवरी के बाद स्किन रैशेज की समस्या हुई खत्म
शालिनी ने बताया, “मुझे डिलीवरी के बाद स्किन रैशेज की समस्या बिल्कुल खत्म हो गई। शरीर पर कुछ जगह धब्बे महसूस हो रहे थे, वहां मैंने नारियल का तेल इस्तेमाल किया। प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली परेशानियों से घबराएं नहीं, बल्कि उसका समाधान सोचें। मैं भी शुरुआत में डर गई थी, लेकिन डरने से समस्या सुलझ नहीं सकती थी। जब दवाइयों ने काम नहीं किया, तो मैंने घरेलू उपाय अपनाएं। प्रेग्नेंसी में हार्मोन बदलावों के चलते महिलाओं को कुछ न कुछ समस्या आती ही रहती है। ऐसे समय में महिलाओं को डॉक्टर से मदद लेनी चाहिए।”