True Story of Pregnancy in Hindi: जब कोई भी महिला प्रेग्नेंट होती है, तो वह अपने बच्चे को लेकर कई तरह के सपने बुनने लगती है। लेकिन जब तीसरी तिमाही शुरू होने से पहले ही मिसकैरिज हो जाए, तो महिला के मां बनने के सभी सपने चकनाचूर हो जाते हैं। पर कहते है न कि मां बहुत मजबूत होती है, वह दोबारा उस सपने को पाने की पूरी जद्दोजहद करती है और उसे पूरा भी करती है। ओनली माई हेल्थ का Maa Strong कैंपेन भी ऐसी माताओं को सलाम करता है। कुछ ऐसी ही कहानी है सृष्टि उज्जैनवाल की, जिसने प्रेग्नेंसी के समय न जाने कितनी ही मुश्किलों को झेला लेकिन हार नहीं मानी। अपनी इसी पॉजिटिव सोच के साथ अंत में जीत भी मां की हुई क्योंकि वह मजबूत (strong) थी। आइये, जानते हैं दिल्ली की रहने वाली सृष्टि के मजबूत जज्बे की कहानी।
मिसकैरिज से हुई परेशान
29 साल की सृष्टि ने इस बारे में बताते हुए कहा,“दरअसल, जब मैं पहली बार प्रेग्नेंट हुई थी, तो अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखती थी, लेकिन छठा महीना आते ही मेरा मिसकैरिज हो गया। इस वजह से मैं काफी ज्यादा परेशान हो गई थी। 6 महीने तक जब आपके पेट में नन्हीं सी जान पल रही होती है, तो उसका एहसास हर पल बना रहता है। लेकिन जब मेरा मिसकैरिज हुआ तो लगा कि कुछ अपना चला गया है। उस समय मैं काफी परेशान हुई थी, पर कुछ दिनों बाद खुद को मजबूत करके यह सब भूलने की कोशिशें शुरू कर दी, क्योंकि मुझे जीवन में आगे बढ़ना था।”
दोबारा प्रेग्नेंट होने पर कई मुश्किलों का किया सामना
सृष्टि कहती हैं, “करीब 6 महीने बाद दिसंबर 2019 को मैं फिर से प्रेग्नेंट हुई। प्रेग्नेंसी शुरू होते ही मुझे उल्टियां बहुत ज्यादा होने लगी। उल्टियां इतनी ज्यादा थी कि मुझे कमजोरी होने लगी। मेरे लिए ठीक से चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया। मुझे लगा था कि दो-तीन महीने बाद उल्टियों का ये सिलसिला शायद रुक जाए, लेकिन उल्टियां लगातार हो रही थी। इस वजह से मेरा खाने को भी ज्यादा मन नहीं करता था। डॉक्टर ने सलाह दी थी कि पानी पीते रहे और घर का बना पौष्टिक और संतुलित भोजन करें। मैंने डॉक्टर की सलाह मानी और पूरी कोशिश करती थी कि मैं संतुलित भोजन लूं।”
दूसरी तिमाही में कोविड की वजह से हुई परेशानी
उस समय को याद करते हुए सृष्टि ने कहा, “उल्टियों का दौर दूसरी तिमाही में भी लगातार जारी रहा और इस समय कोविड ने भी दस्तक दे दी। घरों में बंद रहने की वजह से सोशल लाइफ बिल्कुल खत्म हो गई। घर के अंदर ही वॉक करती थी। कोविड की वजह से मेरी एक सोनोग्राफी भी रह गई थी। कोविड का स्ट्रेस भी परेशानी का सबब बना हुआ था। इस वजह से मुझे मेंटल स्ट्रेस भी हुआ था।”
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तीसरी तिमाही में नाक के दर्द ने बेहाल किया
सृष्टि कहती हैं, “मुझे तो लग रहा था कि मेरी परेशानियों का सिलसिला कभी न खत्म होने वाला बन गया था। अभी उल्टियों की दिक्कत चल ही रही थी कि एक रात अचानक मेरे नाक में तेज दर्द उठा। नाक का दर्द इतना ज्यादा था कि मैं उस समय तड़प गई थी। मेरे पति मुझे ऐसी हालत में देखकर घबरा गए थे। उन्होंने तुरंत डॉक्टर से संपर्क किया। डॉक्टर ने शुरूआती चेकअप करके बताया कि शायद नाक में दर्द की वजह साइनस न हो। इसके बाद मेरे कई चेकअप हुए और साइनस की बीमारी नहीं थी। डॉक्टर ने कहा कि इसकी वजह हार्मोन बदलाव हो सकता है। डिलीवरी के बाद ये समस्या खत्म हो जाएगी। मैं तीन महीने तक लगातार नाक के दर्द से परेशान रही, बस इसी सोच के साथ कि डिलीवरी के बाद इस दर्द से मुझे निजात मिल जाएगी।”
डिलीवरी के बाद नाक का दर्द नहीं हुआ खत्म
सृष्टि बताती हैं, “बच्चे का वजन ज्यादा होने की वजह से मेरी सर्जरी की गई। मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था कि अब नाक का दर्द ठीक हो जाएगा। डिलीवरी के कुछ दिन तक दर्द झेलने के बाद मैंने डॉक्टर को बताया कि मेरा नाक का दर्द खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। डॉक्टर ने स्कैन कराए, पर किसी बीमारी का पता नहीं चला। एक डॉक्टर ने तो मुझे सर्जरी कराने की भी सलाह दे दी थी। कई डॉक्टरों के चक्कर लगाने के बाद मेरे दर्द को कोई आराम नहीं मिला।”
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आखिरकार नाक का दर्द हुआ खत्म
इस बारे में सृष्टि ने कहा, “जब नाक का दर्द रुकने का नाम नहीं ले रहा था, तो मैं दिल्ली के जीवन अनमोल अस्पताल की डॉ. पारुल माथुर से मिली और उन्होंने मेरी इस समस्या का समाधान कर दिया। उन्होंने मुझसे कई सवाल किए और इसके बाद उन्होंने कहा कि आप एंजाइटी कम करें। दरअसल, मुझे पता ही नहीं चल पाया था कि मैं एंजाइटी से जूझ रही थी, जिसे डॉ. पारुल ने समझा। उन्होंने मुझे नौकरी करने और खुद को व्यस्त रखने की सलाह दी। मैंने उनकी सलाह मानकर वापस नौकरी करना शुरू किया। इसका नतीजा ये निकला कि मेरे नाक का दर्द कब चला गया, मुझे पता ही नहीं चला।”
नई माताओं को सलाह
सृष्टि ने नई माताओं को सलाह देते हुए कहा, “हालांकि मेरी प्रेग्नेंसी काफी मुश्किलोंभरी थी, लेकिन हर पड़ाव पर मैंने अपनी सोच को पॉजिटिव रखा। डॉक्टर की सलाह मानी और घर का बना पौष्टिक व संतुलित भोजन किया। जो डॉक्टर ने दवाइयां दी थी, उन सभी को नियमित रुप से लिया। इसका नतीजा ये है कि आज मेरे पास हेल्दी बेबी है।”