Miscarriage During First Month Of Pregnancy in Hindi: प्रेग्नेंसी महिला के जीवन एक मुख्य पड़ाव होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कई तरह की सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है। दरअसल, एक्सपर्ट्स बताते हैं कि महिलाओं को पहले तीन माह में मिसकैरेज होने का जोखिम अधिक होता है। ऐसे में भी उनको पहले चार सप्ताह यानी गर्भधारण के पहले माह में विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है। डॉक्टर्स कहते हैं कि कई बार प्रेग्नेंसी के पहले महीने में कई महिलाओं को गर्भधारण के बारे में पता नहीं होता है। ऐसे में वह अपनी लाइफस्टाइल पहले की तरह की रखती है और किसी तरह की सावधानी नहीं बरतती है। इसकी वजह से कई महिलाओं को मिसकैरेज का जोखिम बढ़ जाता है। इस लेख में पुणे खराडी के मदरहुड अस्पताल की ऑब्सटेट्रिशियन एंड गाइनाक्लॉजिस्ट कंसल्टेंट डॉक्टर कैशरीन खान (Dr. Kaishreen Khan, Consultant- Obstetrician and Gynaecologist, Motherhood Hospitals, Kharadi, Pune) से जानते हैं कि गर्भावस्था के पहले माह में गर्भपात के कारण, जोखिम कारक और बचाव के क्या उपाय हो (Causes, Risk Factor And Prevention Tips Of Miscarriage During First Month Of Pregnancy) सकते हैं?
गर्भावस्था के पहले महीने में गर्भपात के सामान्य कारण - Common Causes of Miscarriage in First Month In Hindi
गर्भावस्था में कई कारणों से मिसकैरेज हो सकता है। सामान्य रूप से जब प्रेग्नेंसी के करीब 20 सप्ताह से पहले भ्रूण की ग्रोथ रुक जाए और प्रेग्नेंसी अपने आप समाप्त हो जाए तो इसे मिसकैरेज कहा जाता है। हालांकि, प्रेग्नेंसी के शुरुआती 12 सप्ताह में गर्भपात या मिसकैरेज होने की संंभावना अधिक होती है। आगे जानते हैं कि प्रेग्नेंसी के पहले महीने में मिसकैरेज के क्या (pehle mahine me miscarriage ke karan) कारण हो सकते हैं।
क्रोमोसोमल असामान्यता (Chromosomal Abnormalities)
प्रेग्नेंसी के शुरुआती दौर में या पहले चार सप्ताह में मिसकैरेज के कारण में क्रोमोसोमल असामान्यता को शामिल किया जाता है। जब भ्रूण के कोशिकीय विभाजन में अगर कोई गड़बड़ी हो जाए और अनुवांशिक (Genetic) त्रुटि आ जाए, तो महिलाओं का शरीर खुद ही उस भ्रूण को समाप्त कर देता है।
हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance)
गर्भावस्था को बनाए रखने के लिए प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन्स की आवश्यक होती है। जिन महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम होता है तो कुछ मामलों में यह गर्भ को प्रभावित कर सकता है।
यूट्रेस की समस्याएं (Uterine Issues)
कुछ महिलाओं को गर्भाशय से जुड़ी समस्याएं जैसे फाइब्रॉइड, बच्चेदानी में रुकावट आदि होती है, यह समस्याएं प्रेग्नेंसी के पहले माह में मिसकैरेज की वजह बन सकती हैं।
इंफेक्शन (Infections)
प्रेग्नेंसी में कुछ तरह के बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन जैसे की रूबेला, साइटोमेगालो वायरल और टॉक्सोप्लाज्मा आदि होने पर गर्भ में पल रहें भ्रूण को नुकसान हो सकता है और यह मिसकैरेज का कारण बन सकता है।
खराब लाइफस्टाइल और अन्य बीमारियां
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में तनाव, स्ट्रेस, शराब पीना, स्मोकिंग आदि की वजह से हार्मोनल बदलाव हो सकता है, जो प्रेग्नेंसी के पहले चार सप्ताह में मिसकैरेज की वजह बन सकती है। इसके अलावा, जिन महिलाओं को अधिक उम्र होती है, पहले से डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और पीसीओएस जैसे स्थितियां भी गर्भपात का कारण मानी जाती हैं।
गर्भपात के जोखिम को बढ़ाने वाले कारक - Risk Factors Of Miscarriage During First Month Of Pregnancy In Hindi
- महिला को पहले भी मिसकैरेज या अबॉर्शन हुआ हो
- महिला की उम्र 35 से अधिक होना
- ज्यादा धूम्रपान या शराब का सेवन करना
- कैफीन की अत्यधिक मात्रा
- कमजोर शारीरिक स्वास्थ्य या पोषण की कमी
- गर्भाशय में किसी प्रकार की सर्जरी या चोट, आदि।
गर्भावस्था के पहले माह में मिसकैरेज का जोखिम सप्ताह दर सप्ताह कितना प्रतिशत रहता है?
- पहला सप्ताह करीब 50% का जोखिम
- दूसरा सप्ताह करीब 30% का जोखिम
- तीसरा सप्ताह करीब 20% का जोखिम
- चौथा सप्ताह लगभग 10% का जोखिम।
अपने और बच्चे की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानने के लिए नियमित जांच और फॉलो-अप करवाना जरूरी है। डॉक्टर की सलाह के अनुसार जीवनशैली में बदलाव करें। इसलिए, जब बात अपने और बच्चे की सेहत की हो तो सावधान रहें।
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में गर्भपात के संकेत - Warning Signs Of Miscarriage In First Month In Hindi
- पेट के निचले हिस्से में बार-बार मरोड़ या दर्द
- योनि से रक्तस्राव या स्पॉटिंग होना
- पीठ में लगातार दर्द
- गर्भावस्था के लक्षणों जैसे मतली, स्तनों में भारीपन का अचानक खत्म हो जाना
अगर इन लक्षणों में से कोई भी दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क (miscarriage symptoms in first month in hindi) करें।
पहले महीने में मिसकैरेज से बचाव के उपाय - Prevention Tips Of Miscarriage During First Month Of Pregnancy In Hindi
डॉक्टर्स का कहना है कि प्रेग्नेंसी के पहले महीने में मिसकैरेज के सभी कारण को रोक पाना थोड़ा मुश्किल होता है। लेकिन, कुछ सावधानियां बरतने से काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- गर्भधारण की योजना (प्रेग्नेंसी प्लान) बनाने से पहले से ही संतुलित आहार लेना शुरु करें, इस दौरान पर्याप्त नींद लें और हल्का व्यायाम करें।
- गर्भधारण से पहले और गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में फोलिक एसिड का सेवन करन से Neural Tube Defects और मिसकैरेज का खतरा कम होता है।
- प्रेग्नेंसी में योग और मेडिटेशन से मानसिक शांति मिलती है, जिससे तनाव कम होता है और हार्मोनल संतुलन बना रहता है।
- थायरॉइड, शुगर और ब्लड प्रेशर की नियमित जांच कराएं।
- गर्भधारण का प्रयास करते समय बिना डॉक्टरी सलाह के किसी भी तरह की दवा का सेवन न करें।
- प्रेग्नेंसी प्लान करते समय से ही शराब और धूम्रपान का सेवन न करें।
- गर्भधारण से करीब तीन माह पहले से ही पौष्टिक आहार लेना चाहिए।
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Miscarriage During First Month Of Pregnancy in Hindi: गर्भावस्था के पहले महीने में मिसकैरेज एक भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण अनुभव हो सकता है। लेकिन, यह जरूरी नहीं कि हर महिला को इसका सामना करना पड़े। मिसकैरेज से बचने के लिए महिलाओं को इसकी संबंधित समस्याओं की जांच के लिए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। साथ ही, गर्भधारण के दौरान किसी भी तरह के लक्षण को अनदेखा नहीं करना चाहिए।
FAQ
गर्भावस्था में गर्भपात के क्या लक्षण हैं?
गर्भावस्था में गर्भपात के लक्षण में सबसे आम लक्षण वजाइनल ब्लीडिंग और पेट में दर्द या ऐंठन शामिल हैं। यह रक्तस्राव (ब्लीडिंग) हल्के स्पॉट्स से लेकर हैवी ब्लीडिंग तक हो सकता है।प्रेगनेंसी में मिसकैरेज का खतरा कितने महीने तक रहता है?
गर्भधारण के पहले 12 सप्ताह के भीतर मिसकैरेज की संभावना सबसे अधिक होती है। कई एक्सपर्ट्स बताते हैं कि 6 से 8 सप्ताह के बीच गर्भपात की संभावना अधिक होती है। इस समय भ्रूण का विकास प्रारंभिक अवस्था में होता है और किसी भी अनुवांशिक या जैविक समस्या की संभावना अधिक रहती है।क्या सीढ़ियां चढ़ने से गर्भपात हो सकता है?
प्रेग्नेंसी को लेकर एक आम धारणा है कि इस दौरान सीढ़िया उतरना या चढ़ना नहीं चाहिए क्योंकि इससे गर्भपात या मिसकैरेज हो सकता है लेकिन ये पूर्णतया गलत धारणा है क्योंकि प्रेग्नेंसी में सीढ़ियां उतरने या चढ़ने से गर्भ में पलने वाले बच्चे पर कोई असर नहीं होता है। लेकिन, इसके बाद भी महिला को सावधानी बरतनी चाहिए।