प्रेग्नेंसी के कौन-से सप्ताह में मिसकैरेज का खतरा सबसे ज्यादा होता है? डॉक्टर से जानें

प्रेग्नेंसी में सावधानी न बरतनें पर महिलाओं को मिसकैरेज का जोखिम बढ़ सकता है। इस लेख में जानते हैं कि महिलाओं को किस सप्ताह में मिसकैरेज का जोखिम अधिक होता है?
  • SHARE
  • FOLLOW
प्रेग्नेंसी के कौन-से सप्ताह में मिसकैरेज का खतरा सबसे ज्यादा होता है? डॉक्टर से जानें


प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को खुद के साथ ही गर्भ में पल रहे बच्चे का भी पूरा ध्यान देना होता है। प्रेग्नेंसी के शुरुआती दौर में महिलाओं को कई तरह के बदलावों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में महिलाओं के स्वास्थ्य की स्थिति में हुए थोड़े से बदलाव से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। गर्भपात तब होता है जब साधारणतः प्रेग्नेंसी के 20 सप्ताह से पहले भ्रूण के विकास की प्रक्रिया में कोई बाधा आती है या यह प्रक्रिया रुक जाती है। इस तरह की समस्याओं का सामना कई महिलाओं को करना पड़ता है। इस लेख में साईं पॉलीक्लीनिक की सीनियर गाइनक्लॉजिस्ट डॉ. विभा बंसल से जानते हैं कि प्रेग्नेंसी के किस सप्ताह में मिसकैरेज का खतरा सबसे अधिक (which week is more prone to miscarriage) होता है? 

गर्भपात(Miscarriage) क्यों होता है? - Causes Of Miscarriage in Hindi 

गर्भपात (Miscarriage) तब होता है जब गर्भधारण के 20 सप्ताह से पहले भ्रूण का विकास रुक जाता है और वह गर्भाशय से बाहर आ जाता है। अधिकतर गर्भपात पहले तिमाही (पहले 12 सप्ताह) के दौरान होते हैं। कई बार, महिलाएं यह भी नहीं जानतीं कि वे गर्भवती थीं और उनका गर्भपात हो गया। गर्भपात के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे आनुवंशिक समस्याएं (Genetics Problems), शारीरिक विकार (physical disorder), हॉर्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance), या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं।

गर्भावस्था के किस सप्ताह में गर्भपात का सबसे अधिक खतरा होता है? - Which Week Of Pregnancy Is The Highest Risk Of Miscarriage In Hindi 

जैसा कि आपको पहले बताया है कि प्रेग्नेंसी के पहले 12 सप्ताह यानी पहली तिमाही (First Trimester) के दौरान गर्भपात का खतरा सबसे अधिक होता है। यह वह समय होता है जब भ्रूण का विकास शुरू होता है और उसके महत्वपूर्ण अंग बनने लगते हैं। अगर इस समय भ्रूण के विकास में कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो गर्भपात यानी मिसकैरेज की संभावना बढ़ जाती है। आइए इसे आगे विस्तार से समझते हैं। 

पहले 6 से 8 सप्ताह: सबसे अधिक खतरे का समय  

गर्भावस्था के पहले 6 से 8 सप्ताह को सबसे संवेदनशील समय माना जाता है। इस अवधि के दौरान भ्रूण का तेजी से विकास हो रहा होता है, और कई बार गर्भपात के मामलों में देखा गया है कि इस दौरान भ्रूण में कोई गंभीर आनुवंशिक दोष (genetic abnormalities) होता है। यदि भ्रूण में कोई विकृति या असामान्यता होती है, तो शरीर स्वाभाविक रूप से उसे अस्वीकार कर देता है और गर्भपात हो जाता है।

miscarriage risk in pregnancy

प्रेग्नेंसी का 9 से 12 सप्ताह: जोखिम मध्यम होता है। 

9 से 12 सप्ताह के बीच, गर्भपात का खतरा थोड़ा कम हो जाता है, लेकिन यह पूरी तरह समाप्त नहीं होता। इस समय भ्रूण के अंगों का विकास हो रहा होता है, और अगर इस प्रक्रिया में कोई रुकावट आती है, तो गर्भपात हो सकता है। इसके अलावा, हॉर्मोनल असंतुलन, थायरॉइड की समस्या, या मां के स्वास्थ्य में कोई कमी भी इस दौरान गर्भपात का कारण बन सकती है।

दूसरी तिमाही (13 से 20 सप्ताह): गर्भपात का जोखिम कम होना 

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में, भ्रूण का विकास स्थिर हो जाता है और गर्भपात का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में इस समय भी गर्भपात हो सकता है, खासकर अगर मां को गर्भाशय संबंधी समस्याएं, संक्रमण, या अन्य समस्याएं होती हैं। दूसरी तिमाही के दौरान होने वाले गर्भपात को "देर से गर्भपात" कहा जाता है, और इसके कारणों में गर्भाशय की बनावट, गर्भाशय की कमजोरी (cervical insufficiency), या माहिला की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

इसे भी पढ़ें: प्रेगनेंसी प्लान कर रही हैं तो गर्भपात का खतरा कम करने के लिए अपनाएं डॉक्‍टर की ये 5 सलाह

Which Week Of Pregnancy Is The Highest Risk Of Miscarriage In Hindi: गर्भपात होने पर महिला को पेट दर्द, अत्यधिक ब्लीडिंग होना, तरल का रिसाव होना, मॉर्निंग सिकनेस कम होना महसूस होता है। इस दौरान महिला को पौष्टिक चीजों का सेवन करना चाहिए। साथ ही, तनाव (Stress), शराब (Alcohol) और सिगरेट से दूरी बनानी चाहिए। गर्भावस्था के पहले 12 सप्ताह यानी पहली तिमाही में गर्भपात का खतरा सबसे अधिक होता है। इस दौरान भ्रूण का विकास तेजी से होता है, और कोई भी समस्या गर्भपात का कारण बन सकता है। किसी भी तरह के लक्षण दिखाई देने पर आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 

Read Next

क्या आम प्रेग्नेंसी की तरह Cryptic Pregnancy में बंद नहीं होते पीरियड्स? डॉक्टर से जानें सच्चाई

Disclaimer