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पहले 8 सप्ताह में रहता है मिसकैरेज का सबसे ज्यादा खतरा, जानें क्या हैं जोखिम कारक

Risk Factors For Miscarriage First Trimester: प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में ही मिसकैरेज का रिस्क सबसे ज्यादा होता है। विशेषकर, 8 सप्ताह पहले इसका जोखिम अधिक होता है। इस लेख में जानें मिसकैरेज से जुड़े कुछ जोखिम कारकों के बारे में।
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पहले 8 सप्ताह में रहता है मिसकैरेज का सबसे ज्यादा खतरा, जानें क्या हैं जोखिम कारक


First 8 Weeks Miscarriage Causes: कंसीव करने के बाद से ही हर महिला अपनी सेहत का पहले की तुलना में अधिक ख्याल रखती हैं। अच्छी डाइट और हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करती हैं। किसी भी तरह की बुरी आदतों से दूर रहती हैं, ताकि उनके शिशु का शारीरिक-मानसिक विकास बेहतर हो। अपनी इतनी केयर करने के बावजूद, यह देखने में आता है कि कुछ गंभीर मामलों में महिला का मिसकैरेज हो जाता है। ऐसा खराब स्वास्थ्य या एक्सीडेंट की वजह से हो सकता है। ऐसा किसी भी महिला के साथ न हो, इसके लिए जरूरी है कि आपके इनके जोखिम कारकों के बारे में जानें और समझें। हालांकि, आपको बता दें कि मिसकैरेज का सबसे ज्यादा रिस्क गर्भावस्था के पहले 8 सप्ताह में ही होता है। ऐसे में हर गर्भवती महिला को मिसकैरेज के रिस्क फैक्टर्स के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। इस बारे में जानने के लिए हमने Mumma's Blessing IVF और वृंदावन स्थित Birthing Paradise की Medical Director and IVF Specialist डॉ. शोभा गुप्ता से बात की।

गर्भावस्था के पहले 8 सप्ताह में मिसकैरेज से जुड़े जोखिम कारक- Causes Of Miscarriage In Early Pregnancy

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हार्मोनल इंबैलेंस

गर्भावस्था के पहले 8 सप्ताह में मिसकैरेज का एक बड़ा कारण हार्मोनल इंबैलेंस होता है। खासकर, प्रोजेस्टेरोन हार्मोन में आए उतार-चढ़ाव के कारण एंब्रेया इंप्लांट करने या इसे डेवेलप होने में दिक्कत आ सकती है। इस तरह की स्थिति ज्यादातर उन महिलाओं में होती है, जिन्हें पीसीओएस, डायबिटीज और थायराइड संबंधी समस्या है।

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इंफेक्शन

डॉ. शोभा गुप्ता के अनुसार, "इंफेक्शन भी 8वे सप्ताह से पहले हुए मिसकैरेज का कारण बन सकता है। हालांकि, ऐसा कम मामलों में ही देखा जाता है। इसके बावजदू, इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है। बैक्टीरियल, वायरल और पैरासाइटिक इंफेक्शन मिसकैरेज का कारण बनते हैं। दरअसल, इस तरह के इंफेक्शन के कारण एंब्रेया डैमेज हो सकता है या उसके डेवेलपमेंट में बाधा आ सकती है। इन इंफेक्शन सेक्सुअल ट्रांसमिटड इंफेक्शन आदि शामिल हैं।"

क्रॉनिक डिजीज

जब कोई महिला गर्भावस्था के शुरुआती चरण में काफी ज्यादा परेशान रहती हैं या किसी बात को लेकर दुखी रहती हैं, तो अक्सर इस अवस्था में उन्हें तनाव होने लगता है। ऐसा अक्सर उन महिलाओं के साथ होता है, जिन्हें किसी तरह की क्रॉनिक डिजीज होती है। क्रॉनिक डिजीज, जैसे डायबिटीज या मोटापा, तो गर्भावस्था के पहले 8 सप्ताह में मिसकैरेज का रिस्क बढ़ जाता है।

गर्भाशय की समस्या

अगर महिला को फाइब्रॉएड और यूटराइन सेप्टम जैसी कोई समस्या है, तो उन्हें कंसीव करने और कंसीव करने के बाद भ्रूण के विकास में दिक्कतें आती हैं। कभी-कभी इस तरह की परेशानियां गर्भाशय को काफी ज्यादा प्रभावित करती हैं, जिससे गर्भावस्था के शुरुआती चरण से ही मिसकैरेज का जोखिम बना रहता है। असल में, इस तरह की परेशानियां गर्भाशय के शेप और साइज को इफेक्ट करते हैं, जिससे एंब्रेयो डेवेलप नहीं हो पाता है। अंततः प्रेग्नेंसी लॉस हो सकती है।

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लाइफस्टाइल कारक

कभी-कभी महिलाओं के द्वारा अपनाई गई बुरी लाइफस्टाइल से जुड़ी बुरी आदतें भी मिसकैरेज का कारण बन सकती हैं। इसमें बहुत ज्यादा स्मोकिंग, ड्रग्स लेना, शराब या कैफीन का सेवन अधिक मात्रा में करना जैसी बुरी लतें शामिल हैं। इस तरह के नशीले पदार्थों का सेवन करने से न सिर्फ गर्भावस्था के 8 सप्ताह पहले मिसकैरेज का रिस्क बढ़ जाता है। अगर भ्रूण गर्भ में विकसित हो रहा है, तो भी उनमें जन्मजात बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है।

निष्कर्ष

कंसीव करने के बाद से ही हर महिला को अपनी सेहत का बहुत ध्यान रखना चाहिए। उन्हें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिससे मिसकैरेज का रिस्क बढ़ता है। इसके अलावा, ऊपर बताए गए कारकों के बारे में पूरी जानकारी रखें। शुरुआती प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी तरह की समस्या होने पर इसकी अनदेखी न करें। तुरंत डॉक्टर से मिलकर अपना ट्रीटमेंट करवाएं।

All Image Credit: Freepik

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  • Current Version

  • Sep 26, 2025 15:09 IST

    Published By : Meera Tagore

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