Diet Plan in First Trimester: महिलाओं के जीवन में प्रेग्नेंसी एक ऐसा समय होता है, जब उन्हें शारीरिक और मानसिक तौर पर सबसे ज्यादा न्यूट्रिशन की जरूरत होती है। प्रेग्नेंसी के दौर में सबसे पहला कदम सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, यानी कि प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीने। पहले हफ्ते से लेकर 12वें हफ्ते तक महिलाओं की डाइट में ऐसे आहार दिए जाते हैं, जिसमें मां और भ्रूण दोनों के पोषण की सभी जरूरतें पूरी हो सकें। इसके साथ-साथ गर्भवती महिला और भ्रूण का वजन भी बेहतर हो। इस दौरान महिलाओं के लिए रोजाना प्रोटीन 0.5 ग्राम होना चाहिए और फैट 30 ग्राम प्रतिदिन होना चाहिए। इस समय डाइट प्लान क्या होना चाहिए, कैलोरी कितनी लेनी चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इन सभी पहलुओं पर हमने दिल्ली के क्लाउडनाइन अस्तपताल की सीनियर कंस्लटेंट स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. साधना सिंघल विश्नोई और रीनर्चर की फाउंडर और क्लिनिकल डाइटिशियन रीना पोपतानी से बात की।
पहली तिमाही में कैलोरी
गर्भवती महिलाओं को पहली तिमाही में अपने न्यूट्रिशन पर ध्यान देना चाहिए। इस बारे डॉ. साधना सिंघल विश्नोई के अनुसार, पहली तिमाही में अक्सर महिलाओं को ज्यादा एनर्जी की जरुरत नहीं होती। इस समय भ्रूण काफी छोटा होता है, तो कैलोरी की जरूरत कम पड़ती है। आमतौर पर स्त्रीरोग विशेषज्ञ महिलाओं को नॉर्मल कैलोरी लेने की ही सलाह देती हैं। वैसे प्रेग्नेंसी से पहले महिला का वजन और एक्टिविटी लेवल के अनुसार कैलोरी की मात्रा तय की जाती है। आमतौर पर इस समय महिलाओं को रोजाना 1800 से 2000 कैलोरी की जरुरत होती है। इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि इस दौरान भ्रूण चाहे छोटा होता है, लेकिन उसका विकास तेजी से होता है। इसलिए कैलोरी की बजाय पोषण से युक्त आहार पर ध्यान देना बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। फॉलिक एसिड, कैल्शियम और अन्य जरूरी पोषक तत्वों पर फोकस करके भ्रूण के विकास को बेहतर बनाया जा सकता है।
डॉ. साधना गर्भवती महिलाओं को सलाह देते हुए कहती हैं, “पहली तिमाही में ज्यादा कैलोरी पर ध्यान न देकर आहार की क्वालिटी और पोषण पर फोकस करने की सबसे ज्यादा जरूरत है। इस समय महिलाओं को थकान और उल्टी जैसी समस्याएं बहुत देखने को मिलती हैं। इसलिए, भ्रूण के विकास के लिए पोषण सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।”
पहली तिमाही में पोषक तत्व
पोषक तत्वों के बारे में बात करते हुए डाइटिशियन रीना पोपतानी ने बताया कि इस दौरान फॉलिक एसिड, कोलीन, ओमेगा-3 डीएचए (Omega-3 DHA), और आयोडीन पर ध्यान देना सबसे ज्यादा जरूरी है। इस समय भ्रूण के दिमाग और रीढ की हड्डी विकसित होती है, ऐसे में फोलेट और कोलीन और ओमेगा - 3 डीएचए दिमाग के विकास को स्पोर्ट करते हैं। फॉलिक एसिड पूरी प्रेग्नेंसी दिया जाता है, ताकि बच्चे में किसी भी तरह की जन्मजात विकृतियों के रिस्क को कम किया जा सके।
- कोलीन - अंडे, कॉड मछली, सोयाबीन, और ऑर्गन मीट जैसे लिवर आदि में पाया जाता है।
- फोलेट - हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, मेथी, चने, एवोकाडो, दाल और मटर।
- ओमेगा-3 डीएचए - सालमोन, बादाम, अखरोट, फ्लैक्ससीड्स, चिया सीड्स, कोड लिवर तेल, और मछलियां जैसे रोहू, हिल्सा, टूना और मैक्रेल।
- आयोडीन - नमक, ओयस्टर, फिश कोड, सी वीड और अंडे।
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पहली तिमाही का डाइट प्लान
रीना पोपतानी के अनुसार, गर्भवती महिलाओं का डाइड प्लान कुछ ऐसा होना चाहिए, जिसमें वे छोटे-छोटे मील लें, जो पोषक तत्वों से भरपूर हों। डाइटिशियन रीना ने डाइट प्लान में कई विकल्प दिए हैं, जिससे महिलाओं को डाइट फॉलो करना आसान हो जाएगा।
सुबह
उबकाई या उल्टी से बचने के लिए नींबू अदरक की चाय
नाश्ता (Breakfast)
- नाश्ते में मेथी के थेपले के साथ दही ले सकते हैं।
- आप चाहें तो एवोकाडो टोस्ट के साथ 2 उबले अंडे खा सकती हैं।
- इसके अलावा, 2 सब्जियों से भरपूर ऑमलेट के साथ मल्टीग्रेन ब्रेड टोस्ट भी सुबह के नाश्ते में लिया जा सकता है।
- अगर आप चाहें तो रातभर भिगोए हुए ओट्स का दलिया और केला, चिया सीड्स, बादाम भी ले सकती हैं।
नाश्ते और लंच के बीच (Midmorning)
अगर नाश्ते और लंच के बीच आपको भूख लगती है, तो स्ट्राबेरी स्मूदी या पालक की स्मूदी ली जा सकती है।
दोपहर का खाना (Lunch)
- लंच में आप दाल पालक के साथ 2 मल्टीग्रेन रोटी और सलाद ले सकती हैं।
- इसके अलावा मेथी आलू की सब्जी, ज्वार की रोटी के साथ स्प्राउट्स का सलाद भी लिया जा सकता है।
- अगर आप नॉनवेज हैं, तो आप चिकन करी के साथ चावल और सलाद ले सकती हैं।
शाम का स्नेक्स (Evening Snacks)
- लंच के बाद शाम को आप चाहें तो मूंगफली के साथ मुरमुरे की भेल ले सकती हैं।
- या फिर आप पीनट बटर के साथ साबुत अनाज के टोस्ट की स्लाइस भी ले सकती हैं।
रात का खाना (Dinner)
- रात को मटर पनीर की सब्जी के साथ 2 रागी की रोटी ली जा सकती है।
- अगर आप नॉनवेज खाती हैं, तो ग्रिल्ड सैल्मन मछली के साथ नींबू, काली मिर्च और ब्रोकली ले सकती हैं।
- आप चाहें तो सब्जियों से भरपूर खिचड़ी में एक चम्मच देसी घी साथ चुकंदर का रायता ले सकती हैं।
- या फिर आप गाजर मटर की सब्जी और रोटी भी खा सकती हैं।
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मतली या उल्टी से बचने के टिप्स
पहली तिमाही के दौरान महिलाओं को मतली या उल्टी की शिकायत रहती है। ऐसे में उनका न्यूट्रिशन कम होने की संभावना हो सकती है। इसलिए रीना पोपतानी के इन टिप्स को फॉलो करें।
- कम खाएं लेकिन लगातार मील लेते रहें।
- सुबह उठकर बिस्कुट या सूखा टोस्ट खाएं।
- डाइट में अदरक और नींबू मददगार होते हैं।
- खूब सारा पानी पिएं।
- हर्बल चाय शरीर को रिलैक्स करती है।
- प्रोसेस्ड पैकेट में जूस या सोडा न पिएं।
- रात को भारी खाना न खाएं।
- खाना और पीना दोनों एकसाथ न करें, ये मतली को बढ़ा देता है।
- हाई फैट या तेल की चीजें न खाएं क्योंकि इन्हें पचने में समय लगता है।
डाइट में रोजाना 1200 एमजी कैल्शियम और 35 एमजी आयरन लेना न भूलें। डाइट में सूक्षम पोषक तत्व भ्रूण के विकास में मददगार होते हैं, और बच्चे का विकास सही तरीके से शुरू होता है।