गर्भवती महिलाओं के लिए तीसरी तिमाही का समय काफी महत्वपूर्ण समय होता है। इस समय उनका वजन काफी बढ़ जाता है, जिससे उन्हें उठने-बैठने और सोने में दिक्कत महसूस होने लगती है। साथ ही, प्रेग्नेंट महिलाओं के शरीर के सभी पैरामीटर्स पर लगातार नजर रखी जाती है। प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही 29वें हफ्ते से शुरू होकर बच्चे के जन्म तक रहती है। इस दौरान महिलाएं खुद को डिलीवरी के लिए भी तैयार करती हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो तीसरी तिमाही में प्रेग्नेंट महिलाएं शारीरिक और मानसिक उतार-चढ़ावों से गुजर रही होती है। ऐसे में उनके खान-पान और कैलोरी की मात्रा पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। तीसरी तिमाही में गर्भवती महिलाओं की कैलोरी और डाइट प्लान क्या होना चाहिए, इस बारे में हमने दिल्ली के क्लाउडनाइन अस्तपताल की सीनियर कंस्लटेंट स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. साधना सिंघल विश्नोई और रीनर्चर की फाउंडर और क्लिनिकल डाइटिशियन रीना पोपतानी से बात की।
तीसरी तिमाही में कैलोरी कितनी होनी चाहिए?
कैलोरी पर बात करते हुए डॉ. साधना सिंघल विश्नोई कहती हैं कि प्रेग्नेंट महिलाओं में भ्रूण का विकास तेजी से होता है, और इसलिए आमतौर पर रोजाना उन्हें 450 से 500 अतिरिक्त कैलोरी लेने की सलाह दी जाती है। इसका मतलब ये है कि गर्भवती महिलाओं को रोजाना करीब 2500 से 2700 कैलोरी लेनी चाहिए। लेकिन इस बात का खास ध्यान रखें कि कैलोरीज हेल्दी और संतुलित आहार से मिलना चाहिए। आप डाइट में लीन प्रोटीन, साबुत अनाज, हेल्दी फैट्स, फल और सब्जियां जरूर शामिल करें।
इस दौरान देखा गया है कि महिलाओं को भूख ज्यादा लगती है। कई बार महिलाएं खाना ज्यादा खा लेती है, लेकिन ये तरीका बिल्कुल गलत है। इससे कई बार प्रेग्नेंट महिलाओं को पाचन संबंधी समस्याएं जैसे हार्टबर्न या ब्लोटिंग हो सकती हैं। इसलिए हमेशा उन्हें कहा जाता है कि तीसरी तिमाही में कम मात्रा में कई बार मील लिया जा सकता है। ये तरीका उनके लिए काफी मददगार भी साबित होता है।
डॉ. साधना सिंघल का कहना है, ”इस दौरान अक्सर परिवार के लोग गर्भवती महिलाओं को ज्यादा खाने की सलाह देते हैं, लेकिन मैं हमेशा सलाह देती हूं कि फाइनल ट्राइमेस्टर में कैलोरी की जरूरत ज्यादा होती है, इसलिए जो भी खाएं, वह पोषक तत्वों से भरपूर हो। इस महत्वपूर्ण समय पर सिर्फ ज्यादा खाना खा लेना बच्चे के विकास के लिए काफी नहीं है।”
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तीसरी तिमाही में पोषक तत्व
डाइटीशियन रीना पोपतानी का कहना है, “तीसरी तिमाही में मैग्नीशियम, कैल्शियम और विटामिन डी बहुत महत्वपूर्ण हैं। कैल्शियम के अवशोषण में विटामिन डी बहुत जरूरी होता है। दूसरी और तीसरी तिमाही में कैल्शियम सेहतमंद ब्लड प्रेशर बनाने में मदद करता है। मैग्नीशियम से मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं और क्रैम्प्स को कम करने में मददगार है। इस दौरान कैल्शियम का रोजाना का आहार (Recommended Dietary Allowance) 1000 एमजी, और विटामिन डी 15 एमसीजी होना चाहिए।”
रीना पोपतानी का कहना है कि वैसे तो प्रेग्नेंसी की शुरूआती स्टेज पर ही विटामिन डी सप्लीमेंट्स देना शुरू कर देना चाहिए, क्योंकि विटामिन खाने से नहीं मिल पाता। इसके अलावा, संतुलित मात्रा में प्रोटीन की जरूरत शरीर में हो रही किसी भी टूट-फूट और बच्चे की मांसपेशियों और समग्र विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। साथ ही, प्रेग्नेंट महिलाओं को फाइबर पर भी ध्यान देने की जरूरत है, खासतौर पर जिन्हें कब्ज की शिकायत रहती है। फाइबर की प्रचुर मात्रा शूगर को बढ़ने से भी रोकती है।
- विटामिन डी - सूरज की रोशनी इसका सबसे अच्छा स्त्रोत है, लेकिन इसका अवशोषण बहुत कम मात्रा में हो पाता है। इसलिए मशरूम और कोड लिवर तेल लेना अच्छा रहता है।
- प्रोटीन - चिकन, मछली, अंडे, दूध और दूध के बने उत्पाद।
- मैग्ननीशियम - हरी पत्तेदार सब्जियां, मेवे जैसे बादाम, सीड्स और बाजरा।
- फाइबर - साबुत अनाज, फल और सब्जियां।
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तीसरी तिमाही का डाइट प्लान
डाइटीशियन रीना पोपतानी ने एक डाइट प्लान शेयर किया है, जो प्रेग्नेंट महिलाओं के डाइटरी जरूरतों को पूरा करने में काफी मददगार साबित हो सकता है।
सुबह जल्दी उठकर (Early morning)
सूजन कम करने और हाइड्रेशन के लिए सौंफ और जीरा पानी काफी फायदेमंद है।
नाश्ता (Breakfast)
- कार्नफ्लेक्स के साथ बादाम, अखरोट और केला लिया जा सकता है।
- अगर आप चाहे, तो सब्जियों से भरपूर 2 बेसन के चीले खा सकती हैं।
- वैसे दही के साथ एक मूंग परांठा भी अच्छा विकल्प है।
- अगर आप अंडे खाती हैं, तो एक अंडे का परांठा भी ले सकती हैं।
नाश्ते और लंच के बीच का समय (Midmorning)
अगर लंच से पहले भूख लगे, तो पुदीने की छाछ भी पी सकती हैं।
दोपहर का खाना (Lunch)
- चावल के साथ छोले की सब्जी और दही लंच में लिया जा सकता है।
- अगर थोड़ा हल्का खाने का मन है, तो दाल के साथ मिस्सी रोटी और सलाद खा लें।
- अगर आप नॉन वेज खाती हैं, तो मछली की सब्जी के ज्वार की भाखरी ले सकती हैं।
- पनीर भुर्जी के साथ पुदीने की रोटी भी एक अच्छा विकल्प है।
शाम का स्नैक्स ( Evening Snack)
- शाम को आप मखाना भेल खा सकती हैं।
- इसे अलावा आप मसाला कार्न ले सकती हैं।
रात का खाना (Dinner)
- रात के समय सोयाबीन की टिक्की के साथ मल्टीग्रेन रोटी ले सकती हैं।
- प्रेग्नेंट महिलाओं को अगर साउथ इंडियन खाने की क्रेवी हो रही है, तो रागी डोसा और नारियल की चटनी बहुत अच्छा विकल्प है।
- अगर आप अंडा खाती हैं, तो अंडे की सब्जी के साथ मल्टीग्रेन रोटी खा सकती हैं।
- अगर कुछ हल्का खाना चाहती हैं, तो दाल का सूप और हल्के फ्राई की सब्जियां साथ ले सकती हैं।
बस, इस दौरान ये ध्यान रखें कि संतुलित आहार के साथ धीरे-धीरे वॉक जरूर करें। इससे खाना जल्दी पच जाता है और एसिडिटी की समस्या कम हो जाती है। अपनी डॉक्टर से सलाह लेकर कसरत भी जरूर करें ताकि आप डिलीवरी के समय बिल्कुल फिट रहें।