
True Story of Oral Cancer: कैंसर का नाम सुनकर लोग वैसे ही डर जाते हैं और जब ओरल कैंसर की बात हो और वह भी एक महिला के लिए तो यह किसी डरावने सपने से कम नहीं होता, लेकिन गाजियाबाद की रहने वाली रजनी ने इसका डटकर सामना किया। हालांकि रजनी की ओरल कैंसर की यह जर्नी दर्द और डर से शुरू हुई थी लेकिन इलाज के बाद वह सिर्फ कैंसर सर्वाइवर बनकर नहीं, बल्कि कैंसर की योद्धा बनकर उभरी और अब लोगों के बीच कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ा रही है। ओरल कैंसर के इस सफर को आसान बनाने में उनका समय पर इलाज होना और परिवार का सपोर्ट सबसे ज्यादा कारगर साबित हुआ। आइये इस लेख में जानते हैं कि कैसे रजनी को कैंसर की पहचान हुई और इलाज के बाद कैसे उन्हें इवेंट्स में हिस्सा लेने का आत्मविश्वास आया।
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ओरल कैंसर की कैसे पहचान हुई?
कैंसर के सफर की बात करते हुए रजनी ने कहा, “मैं करीब 49 साल की थी और उस दौरान मेरे मुंह में छाले हुए। कुछ दिन दवाइयां लेने के बाद मेरे मुंह के छाले ठीक हो गए। इसके बाद कुछ दिनों बाद फिर से मेरे मुंह में कुछ छाले हुए लेकिन इस बार वे ठीक नहीं हो रहे थे। तब मैंने डॉक्टर को दिखाया, तो उन्होंने मुझे कुछ टेस्ट कराने को कहा। इसके बाद बॉयोप्सी हुई, तो पता चला कि मुझे स्टेज 3 ओरल कैंसर है। जब मुझे कैंसर का पता चला तो यह समय मेरे लिए दर्दभरा था, लेकिन मेरे पति और बेटे के लिए परेशानी और डर का समय था। इसके बाद मेरे पति मुझे चार अलग-अलग अस्पतालों में लेकर गए। हर डॉक्टर ने एक ही बात कहा कि आप ठीक तो हो जाएंगी, लेकिन चेहरा बदल सकता है। यह सुनकर मुझे बुरा नहीं लगा क्योंकि मैं चेहरे की बजाय अपनी जिंदगी चुनना चाहती थी और मेरे लिए चेहरे से ज्यादा कैरेक्टर मायने रखता है।”

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कैंसर के इलाज में डॉक्टर्स ने की बहुत मदद
रजनी कहती हैं, “हालांकि हमने चार अस्पतालों में डॉक्टर्स से चेकअप कराया और डॉक्टर्स ने हमें सभी ने पूरी जानकारी दी। जब मेरी सर्जरी होनी थी, तो भी मेरे डॉक्टर ने पहले ही बता दिया था कि मेरे गाल का काफी हिस्सा निकाला जा सकता है। उन्होंने मुझे काफी हद तक मेंटली तैयार किया और सही सलाह देने के साथ सही इलाज किया। डॉक्टर्स की वजह से कैंसर का इलाज कराना काफी हद तक आसान हो गया। इलाज के बाद भी फॉलो अप में मेरी डॉक्टर ने काफी मदद की।”
ओरल कैंसर के इलाज की कहानी
रजनी ओरल कैंसर के इलाज के बारे में बताते हुए भावुक हो गई और उन्होंने कहा, “जब मेरी सर्जरी होनी थी, तो मेरे में न जाने कहां से हिम्मत आ गई थी। हालांकि सर्जरी 12 घंटे की चली लेकिन मेरी सर्जरी सफलतापूर्वक हो गई। यह समय मेरे और परिवार के लिए काफी मुश्किलभरा था। जब मैंने सर्जरी के बाद पहली बार अपना चेहरा देखा, तो मुझे कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, हालांकि मेरा परिवार इस बात से डर रहा था कि चेहरा देखने के बाद मेरा क्या रिएक्शन होगा। मुझे अपने चेहरे के खराब होने का कोई मलाल नहीं था, बस मुझे खुशी इस बात की थी कि मैं बच गई हूं और यह मेरी नई जिंदगी है। डॉक्टर ने हमें रेडिएशन थेरेपी की सलाह दी थी, जो मैंने पूरी कराई।”

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ओरल कैंसर सर्जरी के बाद जिंदगी
रजनी कहती हैं, “सर्जरी के बाद जीवन में कई बदलाव आए। सबसे पहले तो खानपान बदला, अब मैं सिर्फ सोफ्ट फूड ही खा पाती हूं। बाहर का खाना नहीं खाती और मसाले व तेज नमक-मिर्च खाना छूट गया। इसके अलावा, अब मेरी सोच में भी काफी बदलाव आया है। अब मैं खुद के लिए जीने लगी हूं और यह बदलाव लाने में मेरे पति और बेटा का बहुत बड़ा हाथ है। उन्होंने इस इलाज के दौरान मेरा पूरा साथ दिया और आज भी मेरे खाने पीने का पूरा ख्याल रखा जाता है। परिवार के सपोर्ट के कारण ही मैं इस बीमारी से निकलकर बाहर आ पाई हूं। ओरल कैंसर की लंबी लड़ाई ने मुझे जीने पॉजिटिव सोच और एक्टिव लाइफ जीने की प्रेरणा दी है।”

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कैंसर के बाद नई शुरुआत हुई
रजनी खुश होते हुए कहा, “कैंसर के इलाज के बाद जब मैं डॉक्टर के पास चेकअप के लिए गई, तो मैंने उन्हें एनजीओ जॉइन करने की इच्छा बताई। उस दौरान अस्पताल में एक इवेंट होना था, डॉक्टर ने मुझे उसमें रैंप वॉक करने का निमंत्रण दिया। इस तरह मेरी इस नए जीवन की शुरुआत हुई। इसके बाद मुझे दोबारा इस साल फिर से मौका मिला। इस बार मैंने पेजेंट में भी हिस्सा लिया और वहां मुझे Incredible का टाइटल भी मिला। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं स्टेज पर चलूंगी, लेकिन आज मैं लोगों के बीच जाती हूं और दूसरों को उम्मीद देती हूं। जब आप ऐसे इवेंट्स में जाकर पॉजिटिव लोगों से मिलते हो, तो बहुत अच्छा लगता है। यही मेरी नई जिंदगी शुरुआत हुई और अब मैं पहले से ज्यादा खुश रहती हूं।”
रजनी का मैसेज
रजनी कहती हैं, “कैंसर को लेकर लोगों के मन में कई तरह के मिथक होते हैं और इसी वजह से लोग कैंसर रोगियों को दया भाव से देखते हैं। मैं कहना चाहती हूं कि उन्हें दया की बजाय प्यार, सम्मान और सपोर्ट दिखाएं। अगर बॉडी में कुछ भी अजीब लगे, तो इसे इग्नोर नहीं करना चाहिए और डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। समय पर इलाज कराने से बीमारी को बिल्कुल ठीक किया जा सकता है। कैंसर रोगियों को कहना चाहूंगी कि कैंसर जीवन का अंत नहीं है, बल्कि नई शुरुआत है। कैंसर से लड़ना मुश्किल हो सकता है लेकिन नामुमकिन नहीं है। सही इलाज और परिवार के सपोर्ट के साथ कैंसर की लड़ाई को लड़ा जा सकता है।
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Nov 18, 2025 19:20 IST
Modified By : Aneesh RawatNov 18, 2025 19:20 IST
Published By : Aneesh Rawat