True Story of Breast Cancer: दुनियाभर में महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी से जूझ रही हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि महिलाएं इसके शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देती हैं, और जब बीमारी हद से ज्यादा बढ़ जाती है, तो डॉक्टर के पास जाती हैं। इस स्थिति में कैंसर एडवांस स्टेज पर पहुंच जाता है और इलाज करना काफी मुश्किल हो जाता है। इसलिए डॉक्टर हमेशा कहते हैं कि शुरुआती स्टेज के लक्षणों को पहचानें और जल्द से जल्द डॉक्टर की सलाह लें। (breast cancer symptoms) ब्रेस्ट के आसपास गांठ बनना, निप्पल का अंदर की तरफ मुड़ जाना, निप्पल में खुजली होना, घाव होना या पपड़ी बनना जैसे कुछ ऐसे लक्षण हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर होने का संकेत देते हैं। अगर ब्रेस्ट में ऐसे लक्षण दिखें, तो डॉक्टर से तुरंत सलाह लें। कुछ ऐसा ही बिलासपुर की रहने वाली 43 साल की प्रियंका राजेश शुक्ला के साथ हुआ था। आइये जानते हैं उनकी ब्रेस्ट कैंसर की जर्नी विस्तार से कि कैसे उन्होंने अपने लक्षणों को पहचाना और फिर इलाज कराया।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों की पहचान
ब्रेस्ट कैंसर को मात दे चुकी प्रियंका शुक्ला उन दिनों को याद करते हुए कहती हैं, “ कुछ समय से पीरियड्स के दौरान मुझे ब्रेस्ट में गांठ महसूस होती थी, लेकिन पीरियड्स खत्म होने पर गांठ भी चली जाती थी। मैंने इस बारे में कई बार अपने पति को बताया, तो उन्होंने मुझे डॉक्टर से सलाह लेने को कहा। लेकिन मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया, फिर साल 2016 में दिवाली के पास भाई दूज के दिन मेरे निप्पल से डिस्चार्ज हुआ। इस बारे में मैंने अपने परिवार से बात की और उन्होंने 5 नवंबर को मुझे डॉक्टर को दिखाया। टेस्ट और बायोप्सी के बाद 9 नवंबर को डॉक्टर ने बताया कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर है, जो शुरुआती स्टेज पर है।“
ब्रेस्ट कैंसर पता चलने पर मानसिक परेशानियों का सामना
प्रियंका कहती हैं, “जब डॉक्टर ने बताया कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर है, तो लगा कि मेरी दुनिया ही खत्म हो गई है। मेरे परिवार में किसी को भी कैंसर नहीं हुआ था और न ही मैंने कभी ऐसा सुना था। मैं अपने परिवार में पहली थी, जिसे कैंसर हुआ था और कैंसर का नाम सुनते ही लगा कि मृत्यु साक्षात मेरे सामने खड़ी है। मेरा रो-रोकर बुरा हाल था। मुझे लग रहा था कि मेरी सात साल की बेटी का ख्याल कौन रखेगा। मेरे दिमाग में न जाने कितने ही नेगेटिव ख्याल आ रहे थे। मैंने उस समय सोच लिया था कि अब मैं बचने वाली नहीं हूं।”
डॉक्टर ने मानसिक तौर पर मजबूत किया
जब प्रियंका ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही थीं, उन दिनों को याद करते हुए कहती हैं, “उन दिनों मैं सिर्फ रोती ही रहती थी। जब मेरी ननद और उनके पति ने अपोलो के ऑनकोलॉजिस्ट डॉ. अमित वर्मा से मिलवाया, तो मेरी हालत बहुत खराब थी। बीमारी से ज्यादा मैं मानसिक रूप से परेशान थी। डॉ. अमित ने मेरी बड़े अच्छे से काउंसिलिंग की। उन्होंने कहा कि अगर तुम्हें डायबिटीज या बीपी जैसी बीमारी होती तो पूरी जिंदगी दवाई खानी पड़ती लेकिन कैंसर का तो इलाज है। ब्रेस्ट कैंसर से तो आप जल्द ही ठीक हो जाओगी। उनकी बातों से मुझे काफी हौसला मिला।”
सर्जरी और रेडिएशन से हुआ कैंसर का इलाज
प्रियंका इलाज के बारे में बताते हुए कहती हैं, “डॉ. अमित वर्मा ने कैंसर के इलाज की पूरी प्रक्रिया समझाई। उन्होंने बताया कि मुझे कीमोथेरेपी की जरूरत नहीं पड़ेगी, बस सर्जरी और रेडिएशन से इलाज हो जाएगा। पहले मेरी सर्जरी हुई और फिर मेरी 35 रेडिएशन थेरेपी हुई। थेरेपी के दौरान मुझे तकलीफ हुई। इस दौरान मेरे बाल झड़ने लग गए थे और मेरी त्वचा का रंग काला हो गया था। लेकिन पति ने मुझे इस मोड़ पर बहुत सहारा दिया। हालांकि शुरू से ही वह मेरे साथ थे, लेकिन तकलीफ के इस दौर में उन्होंने मेरा हाथ और अधिक मजबूती से पकड़ कर रखा।”
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प्रियंका ने लाइफस्टाइल में किए बदलाव
प्रियंका कहती हैं, “इलाज पूरा होने के बाद डॉक्टर ने जीवनशैली में कुछ बदलाव करने को कहा। इसमें खान-पान से लेकर कसरत करने की हिदायत दी। डॉक्टर ने बताया था कि मुझे पीरियड्स भी रेगुलर नहीं रहेंगे। इस वजह से मेरा वजन काफी ज्यादा बढ़ने लगा था। लगातार दवाइयां लेने का असर वजन पर भी पड़ा था। जब मेरा वेट बढ़ा तो मैंने सुबह कसरत करने के साथ टहलना शुरू किया। पति के कहने पर प्राणायाम और योग किया। बाहर का खाना बंद कर दिया। इससे अब मेरा वजन काफी हद तक कंट्रोल हो गया है।”
प्रियंका ने दिया महिलाओं को संदेश
महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूक करते हुए प्रियंका ने कहा कि महिलाओं को कैंसर से नहीं डरना चाहिए। बस इसके लक्षणों को नजरअंदाज न करें। अक्सर महिलाओं की आदत होती है कि लक्षण नजर आने के बाद भी वे टालती रहती हैं। इससे बीमारी काफी ज्यादा बढ़ सकती है। मैं सभी को कहना चाहूंगी कि परिवार को अपनी समस्या बताएं और उसका इलाज समय रहते जरूर कराएं। वह कहती हैं, “मैं अपने परिवार के स्नेह और पति के साथ के कारण ही इस बीमारी से फ्री होकर आज एकदम स्वस्थ हूं। परिवार और बच्चों के हौसले ने मुझे मानसिक रूप से संबल बनाया है।”
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