Breast Cancer Survivor Journey in Hindi: कैंसर एक खतरनाक बीमारी है जो तब होती है, जब शरीर में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं। आज भी दुनियाभर में करोड़ों लोग कैंसर की बीमारी से जूझ रहे हैं। वैश्विक स्तर पर कैंसर मृत्यु के मुख्य कारणों में से एक है। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि अगर किसी को एक बार कैंसर हो गया है, तो वह ठीक नहीं हो सकता है। आपको बता दें कि कई ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने खुद पर विश्वास और संयम रखकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को मात भी दी हैं। एक ऐसी ही कहानी मंजू कत्याल की भी है, जिन्हें 55 वर्ष की उम्र में स्टेज 4 ब्रेस्ट कैंसर हुआ था। लेकिन आज मंजू कत्याल कैंसर को मात दे चुकी हैं और एक स्वस्थ जिंदगी जी रही हैं। आपको बता दें की अक्टूबर महीने को Breast Cancer Awareness Month के रूप में मनाया जाता है। आज इसी मौके पर मंजू कत्याल के कैंसर होने से लेकर इलाज तक की पूरी जर्नी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
कैंसर के शुरुआती लक्षण नहीं हुए महसूस
कैंसर को मात देने वाली मंजू कत्याल बताती हैं कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षणों का बिल्कुल अनुभव नहीं हुआ। मैं अपनी एक सामान्य जिंदगी जी रही थी। लेकिन फिर धीरे-धीरे जब दिक्कत महसूस हुई, तो तब डॉक्टर ने कैंसर की जांच करवाने की सलाह दी। फिर पता चला कि मुझे स्टेज-4 का ब्रेस्ट कैंसर है। जैसे ही कैंसर का पता चला मैं और मेरी फैमिली काफी डर गए थे। मैंने जीने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। लेकिन फिर परिवार का प्यार और साथ देखकर मैंने ठान लिया कि अब मुझे कैंसर का डटकर सामना करना है, ताकि मैं फिर से एक नई जिंदगी जी पाऊं।
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कैंसर का पता लगने के बाद मैं घबरा गई थी
जाहिर है कि कैंसर का पता लगने के बाद व्यक्ति डर जाता है, वह घबराने लगता है। लेकिन यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि उसे कैंसर को पॉजिटिव तरीके से लेना या फिर नेगेटिव तरीके से। जब मुझे कैंसर का पता चला तो, समझ ही नहीं आया कि मैं रोऊं या लोगों की सहानूभुति लूं। फिर मैंने खुद को संभालने की कोशिश की, मैंने कैंसर को पॉजिटिव तरीके से लिया और अपना इलाज शुरू करवाया। पूरा इलाज लेने के बाद मैंने कैंसर को हरा भी दिया और आज मैं बिल्कुल स्वस्थ हूं।
कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरपी से हुआ कैंसर का इलाज
जब मुझे कैंसर के बारे में पता चला, तो मैं डर गई थी। फिर मेरी फैमिली और डॉक्टर्स ने मुझे इलाज के लिए मोटिवेट किया। कैंसर का इलाज करने के दौरान सबसे पहले मेरी सर्जरी की गई थी। इसके बाद मुझे कीमोथेरेपी के 16 सेशन दिए गए। जब कीमोथेरेपी पूरी हो गए, तो इसके बाद 35 दिनों तक लगातार रेडिएशन थेरेपी दी गई थी। सर्जरी, कीमोथोरेपी और रेडिएशन थेरेपी के बाद मैं पूरी तरह से ठीक हो गई थी।
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रेडिएशन थेरेपी की मशीन को अपना दोस्त बनाया
जब मंजू कत्याल से पूछा गया कि अकसर लोग कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी लेने से डर जाते हैं। तो क्या इन दोनों थेरेपी को लेने के दौरान उन्हें भी डर लगा? इस पर मंजू कत्याल बताती हैं, “मुझे याद है, जब कीमोथेरेपी लेने के बाद, रेडिएशन थेरेपी लेने की बारी आई, तो मैं मशीन को देखते ही डर गई थी। मैंने सोचा कि अब इसी मशीन को अपना नया दोस्त बनाना है। आखिर, कैंसर को मात देने में यही मेरी मदद करने वाला है। इसके बाद से मेरा डर खत्म हो गया है, देखते-ही-देखते मेरी 35 दिन की रेडिएशन थेरेपी पूरी हो गई। अच्छी बात यह है कि मुझे रेडिएशन थेरेपी का कोई भी साइड-इफेक्ट देखने को नहीं मिला।
फैमिली और दोस्तों का पूरा साथ मिला
जब मुझे कैंसर हुआ, तो इसके बाद मुझे मेरे परिवार और दोस्तों का पूरा साथ मिला। मुझे लगता है कि कैंसर का मरीज मानसिक रूप से टूट जाता है। ऐसे में उसे परिवार वालों और दोस्तों के सहयोग की जरूरत होती है। इस दौरान कैंसर रोगियों को सकारात्मक विचारों की जरूरत होती है। इसलिए अगर आपके घर में भी किसी को कैंसर है, तो आपको उसका साथ देना चाहिए। इससे वह कैंसर को मात देने में काफी हद तक कामयाब हो सकता है।
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