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प्रीडायबिटीज और इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या को रिवर्स करने के लिए फॉलो करें ये टिप्स, मिलेगा फायदा

प्री-डायबिटीज और इंसुलिन रेसिस्टेंस इस बात को दिखाती है कि आपके शरीर में इंसुलिन काम कर तो रहा है, लेकिन उतनी प्रभावी तरह से नहीं, जिससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल नहीं रहता है। ऐसे में आइए जानते हैं इसे रिवर्स करने के टिप्स के बारे में- 
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प्रीडायबिटीज और इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या को रिवर्स करने के लिए फॉलो करें ये टिप्स, मिलेगा फायदा


आज के समय में खराब लाइफस्टाइल, खानपान की गलत आदतों और शारीरिक गतिविधियों की कमी अक्सर सेहत पर बुरा प्रभाव डालता है। लोगों में डायबिटीज और इंसुतिन रेसिस्टेंस की समस्या काफी ज्यादा बढ़ गई हैं। खासकर प्री-डायबिटीज और इंसुलिन रेसिस्टेंस स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे संकेत है, जिन्हें समय रहते सुधार लिया जाए तो टाइप 2 डायबिटीज होने से बचाया जा सकता है। प्री-डायबिटीज और इंसुलिन रेसिस्टेंस इस बात को दिखाती है कि आपके शरीर में इंसुलिन काम कर तो रहा है, लेकिन उतनी प्रभावी तरह से नहीं, जिससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल नहीं रहता है। ऐसे में अगर आप प्री-डायबिटीज और इंसुलिन रेसिस्टेंस को कंट्रोल रखना चाहते हैं या रिवर्स करना चाहते हैं तो अपने लाइफस्टाइल में जयपुर के नारायणा अस्पताल की सीनियर कंसल्टेंट एंडोक्राइनोलॉजी और डायबिटीज डॉ. अभिनव कुमार गुप्ता के बताएं इन बदलावों को शामिल कर सकते हैं।

प्रीडायबिटीज और इंसुलिन रेजिस्टेंस रिवर्स करने के लिए टिप्स - Tips To Reverse Prediabetes And Insulin Resistance in Hindi

1. खाने में प्रोटीन शामिल करें

प्रोटीन का सेवन आपके ब्लड शुगर को स्थिर रखने, क्रेविंग्स को कम करने और मसल्स को बनाने में मदद करता है। लेकिन, भारतीय खाने में अक्सर प्रोटीन की कमी पाई जाती है, क्योंकि यहां का भोजन ज्यादातर कार्ब्स बेस्ड यानी रोटी-चावल पर आधारित होता है। इसलिए आप सुबह के नाश्ते में 2 उबल अंडे या बेसन का चिला शामिल करें। दालें, राजमा, छोले, पनीर, दही, सोया बीन को अपने लंच और डिनर में शामिल करें। दही या छाछ को लंच और डिनर में जरूर लें, यह न सिर्फ प्रोटीन से भरपूर होता है, बल्कि पाचन को भी बेहतर बनाता है। इसके अलावा, अगर आप नॉनवेज खाते हैं तो हफ्ते में 2-3 बार चिकन या मछली का सेवन करें।

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2. हफ्ते में कम से कम 150मिनट चलना

प्रीडायबिटीज और इंसुलिन रेजिस्टेंस को रिवर्स करने का सबसे बेहतर तरीका चलना यानी वॉक करना है। यह एक असरदार एक्सरसाइज है, जो आपके शरीर में इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाता है और ब्लड शुगर को कंट्रोल करने का काम करता है। इसलिए, आप खाना खाने के बाद 10 से 15 मिनट की वॉक करें, खासकर रात के खाने के बाद, सुबह की वॉक को अपने रूटीन का हिस्सा बनाएं। इसके अलावा, अगर आपके लिए घर से बाहर जाना संभव नहीं है तो आप घर के अंदर ही 20-25 मिनट तेज वॉक कर सकते हैं। इतना ही नहीं, घर का कोई भी काम जैसे- झाडू-पोछा या सीढ़ियां चढ़ना भी वॉक की गिनती में आता है।

3. रोजाना कम से कम 30 ग्राम फाइबर लें

फाइबर इंसुलिन रेसिस्टेंस को कम करने में अहम भूमिका निभाता है, क्योंकि यह आपके पाचन को धीमा करता है और ब्लड शुगर लेवल को धीरे-धीरे बढ़ाता है। इसलिए, आप अपनी डाइट में रोटी में चोकर मिलाकर मल्टीग्रेन बनाकर खा सकते हैं। इसके अलावा, मौसमी फल जैसे सेब, अमरूद, पपीता और संतरा खा सकते हैं। सब्जियों में पत्तेदार साग, भिंडी, टिंडा, परवल, गाजर आदि चीजें शामिल कर सकते हैं। साथ ही अपनी डाइट में फाइबर शामिल करने के लिए आप इसबगोल का सेवन भी कर सकते हैं और नाश्ते में मूंग या चना दाल भी खा सकते हैं।

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4. हफ्ते में 3 बार स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करें

हमारे शरीर की मांसपेशियां इंसुलिन को सबसे ज्यादा रिस्पॉन्ड करती हैं। ऐसे में जब आप वेट लिफ्टिंग या बॉडीवेट एक्सरसाइज़ करते हैं, तो इंसुलिन सेंसिटिविटी में तेजी से सुधार होता है। इसके लिए आप अपने घर पर ही बॉडी वेट एक्सरसाइज करें, जिसमें स्क्वैट्स, पुश-अप्स, प्लैंक्स और लंजेस शामिल हो। इसके अलावा, आप 2 लीटर के पानी की बोतल या ईंट का इस्तेमाल हल्के वेट के रूप में भी कर सकते हैं। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग शुरू करने की शुरुआत में आप हप्ते में सिर्फ 2 दिन इसे करें, और फिर धीरे-धीरे 3-4 दिन तक बढ़ाएं। पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी इसे कर सकती हैं। बता दें कि स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से आपका शरीर भारी नहीं बनता है, बल्कि टोन होता है।

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5. इंटरमिटेंट फास्टिंग करें

प्रीडायबिटीज और इंसुलिन रेजिस्टेंस को रिवर्स करने के लिए आप इंटरमिटेंट फास्टिंग भी कर सकते हैं। इसका मतलब है कि आप खाने का एक सीमित समय तय करें, इससे इंसुलिन लेवल कम रहता है और शरीर ज्यादा फैट बर्न करता है। यह तरीका इंसुलिन रेसिस्टेंस को तेजी से कम कर सकता है। इस फास्टिंग में आप 16 घंटे फास्ट रखते हैं और सिर्फ 8 घंटे ही खाना खाते हैं, जैसे सुबह 9 बजे से रात 5 बजे के बीच खाना खाएं, उसके बाद सिर्फ पानी या हर्बल चाय पर निर्भर रहे। इसके अलावा आप सुबह की चाय के साथ बिस्कुट, नमकीन खाने से बचें और अगर आप चाहे तो शुरुआत में 12:12 पैटर्न को फॉलो कर सकते हैं।

निष्कर्ष

प्री-डायबिटीज और इंसुलिन रेसिस्टेंस एक गंभीर समस्या है, जो आपको ये संकेत देता है कि आपको अपने लाइफस्टाइल में हेल्दी बदलाव करने की जरूरत है। ऐसे में अगर आप भी प्री-डायबिटीज और इंसुलिन रेसिस्टेंस को बेहतर रखना चाहते हैं तो डॉक्टर के बताएं इन टिप्स को फॉलो कर सकते हैं।
Image Credit: Freepik

FAQ

  • प्री डायबिटीज का मतलब क्या होता है?

    प्री-डायबिटीज का मतलब है कि आपके ब्लड में शुगर का लेवल नॉर्मल से ज्यादा है, लेकिन यह इतना ज्यादा भी नहीं है, जिसे डायबिटीज हो। प्री डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आपको डायबिटीज होने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।
  • प्री-डायबिटीज के क्या लक्षण हैं?

    प्री-डायबिटीज होने पर आपके शरीर में कोई खास लक्षण नजर नहीं आते हैं। दरअसल, ज्यादातर लोगों को इस बीमारी के बारे में पता ही नहीं होता है, क्योंकि यह आमतौर पर बिना किसी लक्षण के नजर आते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में हाथ पैर में सुन्नपन और झुनझुनी हो सकती है।
  • प्री डायबिटीज में क्या नहीं खाना चाहिए?

    प्री डायबिटीज में, आपको कुछ खास तरह के खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए, जिसमें ज्यादा चीनी वाले फूड्स, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स, और प्रोसेस्ड फूड्स शामिल है।

 

 

 

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