
इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance) अक्सर एक छिपी हुई बीमारी होती है, लेकिन इसका असर शरीर पर काफी गहरा और लंबे समय तक रहता है। जब शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन पर सही प्रतिक्रिया नहीं देतीं, तो पैंक्रियाज (अग्न्याशय) जरूरत से ज्यादा इंसुलिन बनाने लगता है। इससे इंसुलिन का लेवल बढ़ जाता है, जिसे हाइपरइंसुलिनमिया (Hyperinsulinemia) कहा जाता है। शुरू में यह शरीर के लिए फायदेमंद लगता है, लेकिन धीरे-धीरे यह कई मेटाबॉलिक बीमारियों का कारण बन सकता है। इस लेख में जानेंगे शरीर के लिए इंसुलिन रेजिस्टेंस के नुकसान। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने Dr. Raman Boddula, Senior Consultant Endocrinologist At Yashoda Hospitals, Hyderabad से बात की।

1. टाइप 2 डायबिटीज- Type 2 Diabetes
- Dr. Raman Boddula ने बताया कि पेट के आसपास फैट जमा होना इंसुलिन रेजिस्टेंस का सबसे पहला संकेत है। इसके कारण वजन और कमर का माप बढ़ सकता है, भले ही व्यक्ति हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल फॉलो कर रहा हो।
- अगर इसे नजरअंदाज किया जाए, तो शुगर कंट्रोल बिगड़ने लगता है और धीरे-धीरे प्री-डायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज में बदल सकता है।
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2. दिल की बीमारियां- Heart Diseases
- इंसुलिन रेजिस्टेंस का असर सिर्फ ब्लड शुगर तक सीमित नहीं है।
- यह हाई ब्लड प्रेशर, एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों में फैट जमना), हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ा देता है।
- शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ते हैं और एचडीएल (गुड कोलेस्ट्रॉल) कम हो जाता है, जिससे दिल की बीमारियों (Heart Disease) का खतरा और बढ़ जाता है।
3. हार्मोनल असंतुलन- Hormonal Imbalance
महिलाओं में इंसुलिन रेजिस्टेंस, हार्मोनल असंतुलन, पीरियड्स की अनियमितता, पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) और बांझपन (Infertility) का कारण बन सकती है।
4. टेस्टोस्टेरोन कम होना- Low Testosterone
- पुरुषों में इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण फैट बढ़ने और टेस्टोस्टेरोन कम होने (Testosterone Kam Hone) की समस्या हो सकती है।
- इसके साथ ही थकान, ध्यान की कमी और मसल्स की ताकत में गिरावट जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।
5. ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन- Oxidative Stress And Inflammation
- ज्यादा इंसुलिन और ग्लूकोज शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन (Inflammation) बढ़ाते हैं, जिससे धीरे-धीरे कोशिकाओं को नुकसान होता है।
- यह स्थिति नींद की समस्या, याददाश्त में कमी और फैटी लिवर जैसी बीमारियों से भी जुड़ी होती है।
निष्कर्ष:
Dr. Raman Boddula का कहना है कि इंसुलिन रेजिस्टेंस को सही समय पर पहचानकर और लाइफस्टाइल बदलकर ठीक भी किया जा सकता है। नियमित एक्सरसाइज, फाइबर और साबुत अनाज से भरपूर आहार, अच्छी नींद और तनाव कंट्रोल करना, इलाज के सबसे अच्छे तरीके हैं। शुरुआती पहचान और सुधार से आप लंबे समय की बीमारियों से बच सकते हैं और शरीर का मेटाबॉलिक बैलेंस दोबारा पा सकते हैं।
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Nov 03, 2025 16:40 IST
Published By : Yashaswi Mathur