
तेज रफ्तार जिंदगी, तनाव भरी दिनचर्या और जंक फूड से भरे खानपान ने आज हर उम्र के लोगों में दिल के रोग (Heart Disease) का खतरा बढ़ा दिया है। पहले जहां हार्ट अटैक और ब्लॉकेज को केवल बुजुर्गों की समस्या माना जाता था, वहीं अब 30 से 40 की उम्र में भी लोग हार्ट ब्लॉकेज, हाई कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऐसे में एक बड़ा सवाल उठता है कि क्या योग (Yoga) के जरिए इन शुरुआती हृदय रोगों को रोका या सही किया जा सकता है? दरअसल, योग न केवल तनाव को कम करता है बल्कि यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है, ब्लड सर्कुलेशन में सुधार लाता है और कोलेस्ट्रॉल के लेवल को भी घटा सकता है। यही कारण है कि आज दुनिया भर के कार्डियोलॉजिस्ट और हेल्थ एक्सपर्ट्स भी हार्ट हेल्थ के लिए योग को अपनाने की सलाह दे रहे हैं। इस लेख में दिल्ली स्थित वेदांत योग फाउंडेशन के फाउंडर, योग गुरु ओम प्रकाश (Yoga Guru Om Prakash, Founder of Vedanta Yoga Foundation, Delhi) से जानिए, क्या योग से शुरुआती हार्ट डिजीज को रिवर्स किया जा सकता है?
क्या योग से शुरुआती हार्ट डिजीज को रिवर्स किया जा सकता है? - Can Yoga Reverse Early Heart Disease
योग गुरु ओम प्रकाश बताते हैं कि योग एक माइंड-बॉडी अभ्यास है जिसमें शारीरिक आसन, नियंत्रित श्वास (प्राणायाम) और ध्यान शामिल हैं। ''रिवर्स'' का आशय है कि रोग की दिशा ही उलट जाए अर्थात धमनियों में जमा प्लाक कम हो जाए, दिल का कार्य बेहतर हो जाए, रोग की प्रगति रुक जाए। अगर किसी व्यक्ति को शुरुआती समय में ही पता चल जाता है कि उसे हार्ट डिजीज हो चुकी है तो योग से भले ही यह पूरी तरह ठीक न हो पाए लेकिन रोगियों के ब्लड प्रेशर, लिपिड-प्रोफाइल, बॉडी मास इंडेक्स में सुधार देखा जा सकता है। अर्थात, योग अकेले चिकित्सीय उपचार (दवाएं, बायपास आदि) की जगह नहीं ले सकता, लेकिन सहायक उपाय के रूप में बेहद उपयोगी साबित होता है।
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विशेष रूप से, यदि रोग बहुत शुरुआत में हो, जैसे कि धमनियों के हल्के संकुचन, तनाव, हाई ब्लड प्रेशर, लिपिड असंतुलन आदि, तो योग इन कारकों को धीमा कर सकता है जिससे आगे-प्रगति टल सकती है। इस प्रकार, योग पूरा उलट कर दे ऐसा वादा नहीं करता, लेकिन रोग की दिशा बदलने, जोखिम को कम करने में अहम योगदान है।
हार्ट हेल्थ के लिए योग कैसे सहायक
- योग करने से तनाव कम होता है। दरअसल, तनाव होने पर हमारे शरीर में कॉर्टिसोल, एड्रेनालाईन जैसे हार्मोन एक्टिव होते हैं, जो ब्लड प्रेशर बढ़ा सकते हैं और धमनियों को संकुचित कर सकते हैं। योग इन प्रतिक्रियाओं को शांत करता है।
- नियमित योगाभ्यास से सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर में कमी आ सकती है तथा LDL (खराब कोलेस्ट्रॉल) में भी कमी देखी जा सकती है।
- योग से जागरूकता बढ़ती है, जिससे लोग बेहतर आहार, नियमित एक्सरसाइज और पर्याप्त नींद लेने लगते हैं।
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एक्सपर्ट की सलाह
यदि आपको पहले से हार्ट डिजीज है, तो योग चुनने से पहले कार्डियोलॉजिस्ट से परामर्श करें। शुरुआत में आसान योग को 20-30 मिनट समय के साथ शुरू करें और कम-से-कम 3-4 सप्ताह लगातार अभ्यास करें, इससे सुधार दिखने की संभावना बढ़ जाती है। योग के साथ संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और तनाव मैनेजमेंट भी जरूरी है।
निष्कर्ष
यह दावा करना सही नहीं होगा कि योग अकेले ही शुरुआती दिल के रोगों को पूरी तरह उलट सकता है, लेकिन यदि आप इसे नियमित रूप से अपनाते हैं, लाइफस्टाइल सुधारते हैं और डॉक्टर के सुझाव के साथ चलते हैं, तो यह हृदय रोग की प्रगति को धीमा करने, जोखिमकारकों को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।
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FAQ
हृदय रोग के शुरुआती लक्षण क्या होते हैं?
हृदय रोग के शुरुआती लक्षणों में सीने में हल्का दर्द या भारीपन, सांस फूलना, थकान, चक्कर आना और घबराहट शामिल हैं। कई बार यह लक्षण मामूली लगते हैं, लेकिन इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।क्या हर दिन योग करने से हार्ट अटैक का खतरा कम हो सकता है?
नियमित योग और ध्यान करने से हार्ट अटैक का खतरा कम हो सकता है क्योंकि यह तनाव और सूजन (inflammation) को घटाता है।क्या युवा उम्र में भी हृदय रोग हो सकता है?
आजकल तनाव, धूम्रपान, एल्कोहल, मोटापा और खराब लाइफस्टाइल के कारण 25-35 वर्ष की उम्र में भी हार्ट डिजीज के मामले बढ़ रहे हैं।
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Oct 28, 2025 16:33 IST
Published By : Akanksha Tiwari